महिला IPS ने पत्र लिख कर बयां किया पुलिस का दर्द, कहा- मैं 1000 किलोमीटर दूर रह कर भी महसूस कर रही
महिला IPS ने पत्र लिख कर कहा कि हमारे अपने बहुत सारे लोगों के बीच गुस्सा और निराशा इतना तीव्र है कि मैं दिल्ली से एक हजार किलोमीटर दूर रहते हुए भी इसे महसूस कर सकती हूं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी में वकीलों और पुलिस के बीच हुई हिंसक घटना के बाद दिल्ली की डीसीपी रह चुकी आइपीएस मेघना यादव ने पुलिस आयुक्त को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने पुलिस का दर्द बयां किया है। वह इस समय हैदराबाद में तैनात हैं। पुलिस आयुक्त को भेजे गए पत्र में उन्होंने कहा कि जो कुछ हुआ है, उससे मैं आहत और बहुत निराश हूं।
उन सभी के लिए मेरी प्रार्थना जो आहत, घायल और अपमानित हैं, भले ही वे पुलिस विभाग से हैं या नहीं। घटनाक्रम कुछ भी हो सकता है, मैं उसके लिए किसी को दोष नहीं देना चाहती। आपने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि कोई भी निर्णय लेना और दृष्टिकोण बनाना जल्दबाजी में नहीं होना चाहिए। मैं इस समय दिल्ली पुलिस में भी नहीं हूं, लेकिन आपको यह बात बताने के लिए लिख रही हूं कि हमारे अपने बहुत सारे लोगों के बीच गुस्सा और निराशा इतना तीव्र है कि मैं दिल्ली से एक हजार किलोमीटर दूर रहते हुए भी इसे महसूस कर सकती हूं।
दिल्ली में मेरे कार्यकाल के दौरान कई बार ऐसे अवसर थे जब झड़पों में सही और गलत के बीच एक बहुत स्पष्ट विकल्प पर एक निर्णय लेना था। विभाग की गरिमा और सम्मान और भलाई प्राथमिकता थी और कई हमनें अपने अधिकारियों और अपने स्वाभिमान पर समझौता किया। वह भी तब जबकि हम स्पष्ट रूप से गलत नहीं थे। ऐसी स्थिति बार-बार होने के कारण हमने कुछ खो दिया है।
हमारी वर्दी हमें अन्य व्यवसाय से अलग करती है। जब हमारे लोगों को लगता है कि यह स्थिति हमारे लायक नहीं है, तो यह चिंता का विषय है। यह किसी व्यक्ति के कार्यकाल के बारे में नहीं है। यह एक संस्कृति, अपनेपन की भावना, अपने विभाग को अपना सर्वश्रेष्ठ देने की भावना के बारे में है। यह जानते हुए हम एक-दूसरे के साथ खड़े हैं कि हमारा सम्मान सामूहिक है और हमारी शर्म भी सामूहिक है। अगर पुलिस बल से यह भावना खत्म हो गई तो पुलिस असंवेदनशील हो जाएगी।
आज मुझे लगता है कि आपको यह बताने की आवश्यकता है कि जनता के बीच विश्वास निर्माण के उपायों पर चर्चा पुलिस मुख्यालय में हुई एक बैठक में हुई थी। चर्चा में जनता के बीच विश्वास बनाने की सख्त आवश्यकता बताई गई थी। हमारी पुलिस फोर्स अगर अपना आत्मविश्वास खो देती है तो कोई रास्ता नहीं है कि हम एक व्यापक, सामंजस्यपूर्ण विभाग के रूप में आम नागरिक की सेवा कर सकें।