Move to Jagran APP

Para Athletics: दिव्यांगता को नहीं बनने दी कमजोरी, सुधीर ने जहां भी खेला वहां गोल्ड मेडल जीता

पैरा एथलीट सुधीर ने बताया कि पहले बार दिल्ली स्टेट पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लिया लेकिन वह हार गए। लेकिन उन्होंने हार ने मानी अपने मेहनत के दम चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और पदक हासिल कर अपने गुरु व परिवार के सदस्यों का नाम रोशन किया।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 12:51 PM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 12:51 PM (IST)
25 वर्षीय पैरा एथलीट सुधीर की फाइल फोटोः जागरण

नई दिल्ली [पुष्पेंद्र कुमार]। बुलंद हौसले हो तो बड़ी से बड़ी जीत हासिल की जा सकती है। यह साबित कर दिखाया है मयूर विहार फेज-3 निवासी 25 वर्षीय पैरा एथलीट सुधीर ने। वह बचपन से ही दोनों पैर से दिव्यांग है, यहीं कारण है कि वह सामान्य व्यक्ति के मुताबिक काफी कमजोर है। लेकिन उन्होंने दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। वह जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) का अभ्यास कर राज्य स्तर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते रहे हैं। जीवन के पहले पैरा एथलीट खेल में मिली हार के बाद एक बार सुधीर टूट गए थे। लेकिन कहते है न, कठिन परिश्रम करने वाले कभी हारते नहीं है। दो साल कठिन परिश्रम का नतीजा यह हुआ कि पैरा एथलीट खेलों में जहां खेल वहां से सोना जीतकर निकले है।

loksabha election banner

पैरा एथलीट सुधीर ने बताया कि पहले बार दिल्ली स्टेट पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लिया, लेकिन वह हार गए। लेकिन उन्होंने हार ने मानी अपने मेहनत के दम चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और पदक हासिल कर अपने गुरु व परिवार के सदस्यों का नाम रोशन किया। उनका कहना है कि पदक जीतना अपने घर वालों को जीवन की सबसे बड़ी खुशी देना था। इस समय वह दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) व डिस्कस थ्रो का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहें।

अखबार से मिली पैरा एथलीट की जानकारी

सुधीर बताते है कि उन्हें पैरा एथलीट खेलो के बारे में स्कूल तक कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने 12वीं कक्षा तक ही पढ़ाई कर रखी है। पड़ोस में एक दुकान पर अखबार में प्रकाशित पैरा एथलीटों की खबर पड़ी। उन सभी पैरा एथलीटों को देखकर कुछ करने का मन बना। जब परिवार में पैरा एथलीट बनने की राय रखी तो पिता ने जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में भाला फेंक का प्रशिक्षण दिलवाना शुरू कर दिया। आज अपने मेहनत के दम पर दिल्ली स्टेट पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप हिस्सा लिया पहली बार में हार मिली लेकिन उसके बाद बढ़ता चला गाय है। आज एशियन पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप के अभ्यास में जुट गए है।

घर वालों को भेज देते है पदक

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले सुधीर दिल्ली में अपने रिश्तेदार के यहां रहते है। पैरा खेलों में अब तक दो स्वर्ण पदक जीते है। कहते है कि जब भी वे कोई पदक जीतता हूं उसे अपने घर माता-पिता के पास भेज देता हूं।

गुरु का हमेशा मिला साथ

पैरा खेल में जब से उतरा हूं तब से लेकर अब तक कोच डॉ.सतपाल सिंह का काफी साथ मिला है। उन्होंने हर छोटी से छोटी गलतियों को पकड़कर कुछ बेहतर सिखाया है। आज में जो भी हूं अपने गुरु (कोच) सतपाल सर की वजह से ही हूं । 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.