दिल्ली-NCR में महिलाओं के लिए मिसाल बनीं सुनीता, सोसायटी के चुनाव में लाया बड़ा बदलाव
डा. सुनीता शर्मा उपाध्यक्ष निर्वाचित हुईं तो कार्यकारिणी सदस्य के रूप में स्नेह प्रभा राठी भी चुनाव में दांव आजमाते हुए जीती। इन महिलाओं ने सोसायटी की बेहतरी के लिए दिल्ली पुलिस एमसीडी के साथ ही सांसद व विधायक से बेहतर तालमेल बनाया है।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। पश्चिमी दिल्ली स्थित रानी झांसी कुंज की डा. सुनीता शर्मा कई मामलों में अनुकरणीय हैं। वह न सिर्फ सोसायटी के चुनाव में महिलाओं के मतदान और सहभागिता के अधिकार के लिए लड़ी, बल्कि महिला शक्ति को बहुमत से जीत दिलाकर सोसायटी में बदलाव की बयार ला रही हैं। महिलाओं की जीत ने सोसायटी में रहती अन्य महिलाओं के लिए घर से बाहर निकलने का रास्ता साफ किया है। साेसायटी की गतिविधियों में उनकी सहभागिता बढ़ी है। यह दिल्ली-एनसीआर में अपनी तरह का अलग मामला है। यह महिलाओं के प्रति अपराध के लिए बदनाम दिल्ली के समाज की सोच में आ रहे बड़े बदलाव का संकेत है।
केशवपुरम के नजदीक लारेंस रोड पर रानी झांसी कुंज सोसायटी है। यह आपातकाल के दौरान वर्ष 1976 से अस्तित्व में है। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा बसाई गई यह सोसायटी बड़े भूभाग पर बसी है। इसमें कुल 360 फ्लैट है। बाद में लोगों ने 140 फ्लैट और बना लिए। इस तरह कुल 500 फ्लैट है। इन फ्लैटाें में 500 परिवारों में तकरीबन 2,000 लोग हैं। इनके घूमने और खेलने कूदने के लिए कुल 11 पार्क भी है।
सोसायटी के लिए हर वर्ष चुनाव होता है। इसमें महिलाओं की सक्रियता और भागीदारी न के बराबर होती थी, क्योंकि सोसायटी के संविधान में प्रविधान था कि जिसके नाम पर संपत्ति होगी, वहीं, मतदान और चुनाव लड़ने के लिए योग्य होगा। संपति मालिक मामले में पुरुषों की अधिकता हैं। मुश्किल से पांच से सात फीसद मामले में संपत्ति मालिक महिला हैं। इसलिए चुनाव पुरुषों के ही हवाले था।
वैसे भी, समाज में आम धारणा है कि महिलाएं तो घर संभालने के लिए हैं, उन्हें सियासत और चुनाव से क्या लेनादेना, लेकिन 45 सालों के बाद पिछले वर्ष 2020-21 का चुनाव ऐतिहासिक शामिल हुआ। डा. सुनीता शर्मा ने चुनाव लड़ने का फैसला किया। वह खुद के नाम संपत्ति होने के नाते चुनाव में मतदान और लड़ने के योग्य थी। वह उपाध्यक्ष पद के लिए लड़ी और बड़े अंतर से जीती। उनके प्रयासों से दो नामित सदस्यों में से एक पर महिला कामिनी अग्रवाल को रखा गया।
कामिनी अग्रवाल सक्रिय रूप से सोसायटी के चुनाव में हिस्सा लेना चाहती थीं, लेकिन उन्हें यह अधिकार नहीं था। इस मामले ने सोसायटी में बड़ी बहस और बदलाव को जन्म दिया। अभियान चला और इसपर मतदान की नौबत आ गई। सोसायटी की जनरल बाडी की बैठक हुईं। आखिरकार महिला शक्ति की जीत हुईं और यह फैसला हुआ कि सोसायटी में रहती हर महिला को भी मतदान और चुनाव लड़ने का अधिकार होगा।
इसके बाद हुई वर्ष 2021-22 के चुनाव में पांच में से तीन पदों पर महिला शक्ति ने परचम लहराया। खास बात कि कामिनी अग्रवाल जो पिछले वर्ष नामित सदस्य थीं और चुनाव लड़ नहीं सकती थी। इस बार वह अध्यक्ष पद का चुनाव जीती और सोसायटी की बागडोर एक महिला के हाथ में आई।
इसी तरह डा. सुनीता शर्मा फिर से उपाध्यक्ष निर्वाचित हुईं तो कार्यकारिणी सदस्य के रूप में स्नेह प्रभा राठी भी चुनाव में दांव आजमाते हुए जीती। इन महिलाओं ने सोसायटी की बेहतरी के लिए दिल्ली पुलिस, एमसीडी के साथ ही सांसद व विधायक से बेहतर तालमेल बनाया है। इसी तरह पुरुषों की ही तरह देर रात तक गार्ड के साथ सोसायटी का चक्कर लगाकर सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखती है। उन्हें इसका पूरा ख्याल है कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सबको टीके लगे। इस मुहिम में सोसायटी के गार्ड और घरेलू नौकरानी भी शामिल है।