Delhi News: आइआइटी दिल्ली की मदद से बनेंगे चिकित्सा उपकरण, निर्माण से टेस्टिंग तक होगी मदद
इस बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए समय-समय पर कैंप भी लगाए जाएंगे जिसमें छात्रों फैकल्टी और स्टार्टअप को विस्तार से जानकारी दी जाएगी। आइआइटी दिल्ली तकनीकी सलाह उपभोक्ता आवश्यकताओं के अनुरूप उपकरण डिजाइन में भी मदद करेगा।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के साथ मिलकर आइआइटी दिल्ली देश को चिकित्सा उपकरणों के निर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा। इसके लिए आइआइटी दिल्ली में मेडटेक टेक्नोलाजी डेवलपमेंट फेसिलिटी शुरू की गई है।
प्रोजेक्ट से जुड़े प्रो. कल्याण सुंदरम ने बताया कि किसी भी चिकित्सा उत्पाद के दो मुख्य पड़ाव आइएसओ मैन्युफैक्चरिंग और टेस्टिंग होते हैं। आइआइटी दिल्ली इन पड़ावों को पार करने में मदद करेगा। दो साल पहले एक विस्तृत प्रपोजल तैयार कर आइसीएमआर को सौंपा गया था, जिसमें कहा गया था कि आइआइटी मेडिकल डिवाइस के प्रूफ आफ कान्सेप्ट से क्लीनिकल इवैल्यूएशन तक की जिम्मेदारी संभालेगा।
इस बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए समय-समय पर कैंप भी लगाए जाएंगे, जिसमें छात्रों, फैकल्टी और स्टार्टअप को विस्तार से जानकारी दी जाएगी। आइआइटी दिल्ली तकनीकी सलाह, उपभोक्ता आवश्यकताओं के अनुरूप उपकरण डिजाइन में भी मदद करेगा।
यह पहल बायोमेडिकल इकोसिस्टम में बड़ा बदलाव लाएगी और शोधकर्ताओं, डाक्टरों, उद्यमियों और शिक्षाविदों को अपने विचार को प्रभावी ढंग से बाजार में ले जाने में मदद करेगी। आइसीएमआर के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से इस बाबत एक ट्वीट भी किया गया, जिसमें लिखा गया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत महामारी पर रोकथाम के लिए तकनीक के विकास पर भी काम किया जाएगा। हड्डी, नेत्र संबंधी, हृदय संबंधी बीमारियों के लिए प्रत्यारोपण योग्य उपकरण भी बनाए जा रहे हैं।
वहीं, इससे पहले एक कार्यक्रम को स्कूलों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। पहले बैच में, दिल्ली के 10 सरकारी स्कूल के छात्रों का चयन किया गया और उनमें से प्रत्येक को एक संकाय संरक्षक नियुक्त किया गया। अपने अनुभव का वर्णन करते हुए, कार्यक्रम में भाग लेने वाली छात्राओं में से एक, संमिता पॉल ने कहा, मुझे स्टेम मेंटरशिप प्रोग्राम के दौरान आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर और पीएचडी छात्रों के साथ बातचीत करना बहुत अच्छा लगा।
मुझे नई चीजें सीखने को मिलीं, जिसने मेरी शोध रुचियों को विकसित किया। विशेष रूप से, ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला उन अवधारणाओं के बारे में जानने के लिए बहुत उपयोगी थी, जिन्हें स्कूली पाठ्यक्रम में नहीं पढ़ाया जाता है।