MCD Mayor Election: मेयर चुनाव में एक पद से भाजपा ने एक तीर से साधे दो निशाने, लोकसभा की दो सीटों पर दे दिया संदेश
महापौर चुनाव में लंबी जद्दोजहद के बाद आप और भाजपा दोनों ही अपने-अपने हिसाब से राजनीतिक समीकरण बनाकर प्रत्याशियों की घोषणा की है। जिससे न केवल लोकसभा चुनाव में लाभ लिया जा सके बल्कि आने वाले समय में भी राजनीतिक समीकरण साध सके। भाजपा ने इस मामले में एक पद से दो लोकसभाओं को इसलिए भी साधा क्योंकि कृष्ण लाल का वार्ड दोनों लोकसभाओं के बीच में है।
निहाल सिंह, नई दिल्ली। महापौर चुनाव में लंबी जद्दोजहद के बाद आप और भाजपा दोनों ही अपने-अपने हिसाब से राजनीतिक समीकरण बनाकर प्रत्याशियों की घोषणा की है। जिससे न केवल लोकसभा चुनाव में लाभ लिया जा सके बल्कि आने वाले समय में भी राजनीतिक समीकरण साध सके।
यही वजह है कि आप ने पटेल नगर से विधायक और कैबिनेट मंत्री राजुकमार आनंद के इस्तीफे और अनुसूचित जाति विरोधी आरोपों का जवाब उसी के पड़ोस की विधानसभा करोल बाग की देवनगर वार्ड से पार्षद महेश खिच्ची को महापौर पद का प्रत्याशी बना दिया।
जबकि पुराने कार्यकर्ता और सक्रियता से अपनी बात रखने वाले रविंद्र भारद्वाज को उप महापौर पद का प्रत्याशी बना दिया। इसी तरह चांदनी चौक और उत्तर-पश्चिमी लोकसभा को साधने के लिए भाजपा ने कृष्ण लाल को महापौर पद का प्रत्याशी बनाया।
एक पद से साधे दो लोकसभा
भाजपा ने इस मामले में एक पद से दो लोकसभाओं को इसलिए भी साधा क्योंकि कृष्ण लाल का वार्ड दोनों लोकसभाओं के बीच में है। मूल रूप से यह वार्ड चांदनी चौक विधानसभा का हिस्सा लेकिन वह उत्तर-पश्चिमी दिल्ली लोकसभा से सटे होने के कारण भाजपा इसका लाभ लेना चाहती है।
हालांकि इस बीच दोनों दलों की कोशिश अपने-अपने पार्षदों को साधे रखने की भी है। क्योंकि महापौर चुनाव के लिए 26 अप्रैल की तरीख निर्धारित हैं। ऐसे में दोनों दलों अपने पार्षदों को साधे रखने के लिए उनके संपर्क में रहने की कोशिश में जुटे हैं।
विधायकों के दबदबे से आप पार्षद नाखुश
महापौर चुनाव को लेकर आप पार्षदों द्वारा बागी के तौर पर नामांकन करने की वजह विधायकों का दबदबा बताया जा रहा है। पार्षद विधायकों के पार्टी में दब-दबे से नाराज है।
सूत्र बताते हैं कि दक्षिणी दिल्ली के एक पार्षद का नाम महापौर पद के लिए तय हो गया था लेकिन विधायक ने अपनी पत्नी पार्षद के साथ अपने भी इस्तीफे की पेशकश कर दी।जिससे पार्टी ने दवाब में आकर उस पार्षद को प्रत्याशी बनाने के लिए की चर्चा को खत्म करना पड़ा। फिर दूसरे पार्षदों के नाम पर चर्चा करनी पड़ी।
कांग्रेस : 9
निर्दलीय: 1
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