ग्रीन पटाखा फूटने पर कितनी हो आवाज? इसको लेकर भ्रम से निर्माता परेशान
ग्रीन पटाखे की खोज करने वाले राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) की ओर से स्पष्ट निर्देश नहीं मिलने की वजह से पटाखा निर्माता अब तक अंधेरे में हैं।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। ग्रीन पटाखे की खोज करने वाले राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) की ओर से स्पष्ट निर्देश नहीं मिलने की वजह से पटाखा निर्माता अब तक अंधेरे में हैं। ग्रीन पटाखों की आवाज के मानक को लेकर पटाखा निर्माताओं को स्पष्ट नहीं किया गया है। इसके चलते कंपनियां ग्रीन पटाखों के निर्माण में निवेश से कतरा रही हैं। नतीजतन इस दिवाली भी लोगों को फुलझड़ी, अनार व कम आवाज वाले पटाखों से ही काम चलाना पड़ सकता है।
पिछले साल दिवाली पर सुप्रीम कोर्ट ने नीरी की याचिका पर सिर्फ ग्रीन पटाखे ही बेचने का निर्देश जारी किया था। यह आदेश दिवाली से कुछ ही दिन पहले आने की वजह से देश में कहीं भी ग्रीन पटाखे नहीं बन सके थे। दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बार भी पटाखा निर्माताओं को पहले तो बहुत देर से नीरी ने पटाखा बनाने की अनुमित दी है। उसमें भी यह स्पष्ट नहीं है कि तेज आवाज वाले पटाखे का मापदंड क्या रखा जाए। ऐसे में पटाखा निर्माता कंपनियां तेज आवाज वाले पटाखा बनाकर फंसना नहीं चाहती हैं। देशभर में इस बार 28 कंपनियों को ग्रीन पटाखा बनाने के लिए अनुमित दी गई है। इन्हीं कंपनियों से सभी राज्यों में ग्रीन पटाखे सप्लाई किए जाएंगे। इसमें हरियाणा की जीन बहावानी फायर वर्क्स भी शामिल है। पटाखा छोड़ने के लिए देशभर में दिवाली की रात 8-10 बजे के बीच समय निर्धारित किया गया है। लाइसेंसिंग विभाग के पुलिस अधिकारी का कहना है कि संभवत: अगले साल से तेज आवाज वाले पटाखे लोगों को मिल सकेंगे।
रद आवेदनों पर फिर विचार करेगी दिल्ली पुलिस
दिल्ली में पटाखा बेचने के लिए सभी जिलों से कुल 97 लोगों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। इनमें मानकों पर खरे उतरे आवेदन शॉर्ट लिस्ट कर फायर विभाग के पास एनओसी के लिए भेज दिए गए थे। इसके बाद मानदंड पर खरे उतरे 11 लोगों को लाइसेंस दिए गए जबकि 65 आवेदनों को निरस्त कर दिया गया था। 21 के बारे में फायर विभाग से कोई जवाब नहीं आने पर मामला लटका पड़ा था। बुधवार को ग्रीन पटाखे को लेकर लाइसेंस दिए जाने व अन्य मसले पर पुलिस मुख्यालय में लाइसेंसिंग विभाग के समस्त अधिकारियों के साथ दिल्ली पुलिस के सभी छह रेंजों के संयुक्त आयुक्तों और 15 जिले के डीसीपी की बैठक हुई। इसमें यह निर्णय लिया गया कि जब तेज आवाज वाले पटाखे इस बार मिल ही नहीं सकते तो क्यों न लाइसेंस देने की प्रक्रिया को कुछ लचीचा बना दिया जाए। दिल्ली पुलिस अब दरियादिली दिखाते हुए कुछ अन्य को भी लाइसेंस देने पर विचार कर रही है। ऐसे में पहले रद हुए रद्द कुछ और आवेदनों को स्वीकार किया जा सकता है। दरअसल दिल्ली पुलिस को आशंका है कि कम लोगों को लाइसेंस दिए जाने से लोगों को पटाखे मिलने में परेशानी हो सकती है। इससे कोई नया विवाद भी खड़ा हो सकता है।
जागरूकता अभियान में तेजी लाने के निर्देश
लाइसेंसिंग विभाग के अधिकारियों ने बैठक में सभी जिले के डीसीपी से कहा कि वे अपने-अपने जिले में ग्रीन पटाखों को लेकर जागरूकता अभियान में तेजी लाएं। लोगों को बताएं कि वे ट्रेड मार्क देखकर ही ग्रीन पटाखे खरीदें और दिवाली के दिन निर्धारित समय में ही पटाखा छोड़ें।
पेसो सर्टिफाइड लोगो के जरिये जांच करेंगे दिल्ली पुलिस के जवान
बाजारों में बिकने वाले पटाखे ग्रीन पटाखे हैं, अथवा नहीं इसकी जांच करने के लिए सभी जिले के पुलिसकर्मियों को नीरी द्वारा पेसो सर्टिफाइड लोगो (ट्रेड मार्क) दिया गया है। इस लोगो को सभी थानों के पुलिसकर्मियों को अपने साथ रखने को कहा गया है, ताकि ग्रीन पटाखों की पहचान की जा सके। ट्रेड मार्क में अंतर होने पर पता लग जाएगा कि पटाखा वैध है अथवा अवैध है।
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