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Manish Sisodia Resign: देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है...मनीष सिसोदिया के इस्तीफे की पढ़ें हर लाइन

नीष सिसोदिया ने दिल्ली कैबनिटे के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस्तीफा पत्र मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिया है। मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया है। सिसोदिया को सीबीआई ने आबकारी नीति (2022-22) में घोटाला मामले में रविवार को गिरफ्तार किया था

By Jagran NewsEdited By: GeetarjunPublished: Tue, 28 Feb 2023 09:53 PM (IST)Updated: Wed, 01 Mar 2023 12:55 AM (IST)
Manish Sisodia Resign: देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है...मनीष सिसोदिया के इस्तीफे की पढ़ें हर लाइन
Manish Sisodia Resign: देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है...मनीष सिसोदिया के इस्तीफे की पढ़ें हर लाइन

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। मनीष सिसोदिया ने दिल्ली कैबनिटे के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस्तीफा पत्र मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिया है। मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया है। सिसोदिया को सीबीआई ने आबकारी नीति (2022-22) में घोटाला मामले में रविवार को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को उन्हें 4 मार्च तक सीबीआई रिमांड पर भेज दिया। सीएम केजरीवाल को सिसोदिया द्वारा भेजे गए इस्तीफे की कॉपी भी सामने आई है। पढ़ें हर एक अंश...

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मैं इसे अपना 100 बड़ा सौभाग्य समझता हूं कि मुझे आपके नेतृत्व में लगातार 8 वर्षों तक दिल्ली सरकार में मंत्री के रूप में कार्य करने का अवसर मिला। मुझे खुशी है कि पिछले 8 साल में दिल्लीवासियों की जिंदगी में खुशहाली और समृद्धि लाने का जो काम आपके हैं नेतृत्व में हुआ है, एक मंत्री के नाते मुझे उसमें थोड़ी बहुत भूमिका निभाने का अवसर मिला है। विशेषकर शिक्षा मंत्री के रूप में मिली जिम्मेदारी। शायद पिछले जन्मों का कुछ पुण्य रहा होगा, जिनके फलस्वरूप मुझे इस जन्म में मां सरस्वती की सेवा का ऐसा महान अवसर मिला।

दिल्ली के लोग अच्छे से जानते हैं कि पिछले 8 वर्षों के दौरान के मंत्री के रूप में मैंने अपना कार्य पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ किया है। मेरे स्वर्गीय पिता ने मुझे अपना काम हमेशा ईमानदारी और निष्ठा के साथ पूर्ण करने की शिक्षा दी थी। जब मैं छठवीं क्लास में पढ़ता था तो मेरे पिता ने मुझे भगवान कृष्ण की एक बहुत ही सुंदर सी तस्वीर फ्रेम करा कर मेरे बिस्तर के सामने लगाई थी और कहा था कि मैं रोजाना उठकर सबसे पहले भगवान कृष्ण को प्रणाम किया करूं। इस तस्वीर में उन्होंने अपनी तरफ से नीचे एक वाक्य लिखा था, 'अपने काम को ईमानदारी और निष्ठा से पूर्ण करना ही सच्ची कृष्ण पूजा है।' छठवीं क्लास से 12वीं क्लास तक पढ़ने के दौरान लगातार 7 साल तक, रोजाना सुबह उठते ही मेरी नजर सबसे पहले उस तस्वीर पर ही जाती और मैं अपने पिता के लिखे हुए उस शिक्षा वाक्य को पड़ता रहा। आज मुझे लगता है कि मेरे पिता ने बहुत सोच समझकर यह काम किया होगा। मेरे माता-पिता द्वारा किए गए ऐसे लालन-पालन की बदौलत आज ईमानदारी और निष्ठा मेरे संस्कार में है। दुनिया की कोई ताकत ना मुझसे बेईमानी करा सकती है और ना ही अपने काम के प्रति मेरी निष्ठा कम कर सकती है, यहां तक कि आज अगर मैं खुद भी चाहूं तो भी ना तो किसी काम में बेईमानी कर सकता हूं, ना ही किसी काम से जी चुरा सकता हूं।

यह दुखद है कि 8 साल तक लगातार ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के साथ काम करने के बावजूद मेरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। मैं जानता हूं, मेरा ईश्वर जानता है कि यह सारे आरोप झूठे हैं। यह आरोप वस्तुत: अरविंद केजरीवाल की सच्चाई की राजनीति से घबराए हुए, कायर और कमजोर लोगों की साजिश से ज्यादा कुछ नहीं है। इनका निशाना मैं नहीं हूं, उनका निशाना आप है, क्योंकि आज दिल्ली ही नहीं देशभर की जनता आपको ऐसे लीडर के रूप में देख रही है, जिसके पास देश के लिए एक विजन है और उस विजन को अमल में लाते हुए लोगों की जिंदगी में बड़े बदलाव लाने की योग्यता भी है। देश में आर्थिक तंगी, गरीबी, बेरोजगारी महंगाई और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से जूझ रहे करोड़ों लोगों की नजर में आज अरविंद केजरीवाल एक उम्मीद का नाम बन चुका है। आपकी बातों को लोग अन्य नेताओं के जुमले के रूप में नहीं देखते बल्कि इस भरोसे के साथ देते हैं कि केजरीवाल जो कहते हैं, वह करके दिखाते हैं।

मेरे ऊपर कई एफआईआर की गई हैं और अभी कई और करने की तैयारी है। उन्होंने बहुत कोशिश की कि मैं आपका साथ छोड़ दूं। मुझे डराया, धमकाया, लालच दिया। जब मैं उनके सामने नहीं झुका तो आज उन्होंने मुझे गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है। मैं इनकी जिलों से भी नहीं डरता हूं, सच्चाई के रास्ते पर लड़ते हुए जेल जाने वाला मैं दुनिया का पहला आदमी नहीं हूं। मैंने हजारों ऐसे लोगों की कहानियां पढ़ी हैं जो आजादी के लिए लड़ रहे थे और अंग्रेजों ने झूठे और बेबुनियाद मुकदमों में फंसा कर जेल में डाला था। यहां तक कि फांसी भी लगवाई थी। यह सब लोग मेरी प्रेरणा के स्रोत हैं, जब मैं उनके बारे में सोचता हूं तो लगता है आज के समय में तो सच्चाई की लड़ाई हुए जेल जाना, उस उन लोगों द्वारा उठाई गई परेशान के सामने तो कुछ नहीं है जो अंग्रेजों के जुल्म सहते हुए भी हंसते हंसते जेल जाते थे । इसलिए मुझे जेल जाने का डर नहीं है। और फिर सच्चाई की ताकत मेरे साथ है तो मुझे डर कैसा।

मैंने दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में ईमानदारी से काम किया है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे लाखों बच्चों की दुआएं मेरे साथ हैं। उनके माता पिता का प्यार मेरे साथ है और सबसे बड़ी बात दिल्ली की शिक्षा में क्रांति लाने वाले हजारों शिक्षकों का आशीर्वाद मेरे साथ है। मेरे खिलाफ जिन्होंने जितने भी आरोप लगाए हैं, समय के साथ उनकी सच्चाई सामने आएगी और यह साबित हो जाएगा कि यह सारे आरोप झूठे थे लेकिन अब उन्होंने आरोपों के तहत साजिश रचते हुए तमाम सीमाएं पार कर जेल में डाल दिया है। तो मेरी इच्छा है कि मैं अब मंत्री पद पर न रहूं। आपके नेतृत्व में दिल्ली सरकार का मंत्री होना और दिल्ली के लोगों के लिए काम करना अपने आप में सौभाग्य की बात है लेकिन फिलहाल इस पत्र के माध्यम से मैं अपना त्यागपत्र आपको प्रस्तुत कर रहा हूं। आप मुझे मंत्री पद की जिम्मेदारियों से मुक्त करें।

मैं जानता हूं कि साजिशकर्ता मुझे और आपको परेशान करने के लिए मुझे जेल में डाल रहे हैं लेकिन मैं समझता हूं कि उनकी इन साजिसों से सच्चाई की राजनीति की हमारी लड़ाई और मजबूत होगी। वह हमें और हमारे साथियों को जेल में बंद कर सकते हैं लेकिन हमारे हौसलों को आसमान की ऊंचाई को छूने से नहीं रोक सकते। मुझे लगता है मेरे जेल जाने से हमारे साथियों का हमारे कार्यकर्ताओं का मनोबल और बढ़ेगा व उनके अंदर देश के लिए कुछ करने का जज्बा और जोर मारेगा।

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है

अंत में, मैं दिल्ली सरकार के उन तमाम अधिकारियों सभी कर्मचारियों को धन्यवाद करना चाहता हूं, जिन्होंने मेरी मंत्री पद पर रहते हुए विगत 8 वर्षों में मेरे साथ काम किया। जिनके सहयोग से मैं मुझे दी गईं जिम्मेदारियों की ठीक से निभा सका।

आपसे पुनः मेरा विनम्र अनुरोध है कि दिल्ली सरकार के मंत्री मंडल से मेरा इस्तीफा स्वीकार कर मुझे इस पद से मुक्त करने की कृपा करें।


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