Move to Jagran APP

पढ़िए- हरियाणा के मानेसर जमीन घोटाले को पर्दाफाश करने वाली सनसनीखेज स्टोरी

मानेसर जमीन घोटाला सरकार एवं बिल्डरों की मिलीभगत से किया गया था। बिल्डरों को पहले ही बता दिया था कि तीन गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। ऐसे में बिल्डर सक्रिय हो गए थे।

By Edited By: Published: Fri, 28 Dec 2018 08:48 PM (IST)Updated: Sat, 29 Dec 2018 08:33 AM (IST)
पढ़िए- हरियाणा के मानेसर जमीन घोटाले को पर्दाफाश करने वाली सनसनीखेज स्टोरी
पढ़िए- हरियाणा के मानेसर जमीन घोटाले को पर्दाफाश करने वाली सनसनीखेज स्टोरी

गुरुग्राम [आदित्य राज]। मानेसर जमीन घोटाला प्रदेश सरकार एवं बिल्डरों की मिलीभगत से किया गया था। सरकार ने बिल्डरों को पहले ही बता दिया था कि तीन गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। इसे देखते हुए इलाके में कई बिल्डर सक्रिय हो गए थे। उन्होंने किसानों को यह कहकर डरा दिया था कि यदि सरकार जमीन का अधिग्रहण करेगी तो बहुत ही कम पैसा मिलेगा। इस बात से घबराकर किसानों ने अपनी जमीन बिल्डरों के हाथों बेच दी थी। जब बिल्डरों ने जमीन खरीद ली फिर सरकार ने अधिग्रहण करने का फैसला वापस ले लिया था।

loksabha election banner

घोटाले को थाने से लेकर सीबीआइ ही नहीं बल्कि सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचाने में विशेष भूमिका निभाने वाले पूर्व सरपंच ओमप्रकाश यादव ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि अगस्त 2004 में ओम प्रकाश चौटाला की सरकार ने मानेसर, नखड़ौला व नौरंगपुर गांव की 912 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कराई थी।

इसके लिए सेक्शन-4 का नोटिस जारी किया गया था। वर्ष 2005 में भूपेंद्र ¨सह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। इस सरकार ने चौटाला सरकार द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। अगस्त 2005 में जमीन अधिग्रहण के लिए सेक्शन-6 का नोटिस जारी कर दिया गया। इसके बाद दो अगस्त 2007 में सेक्शन-9 का नोटिस भेजा गया। 24 अगस्त 2007 को सरकार ने अचानक अधिग्रहण का फैसला वापस ले लिया। तब तक बिल्डर किसानों से 444 एकड़ जमीन खरीद चुके थे। इसके बाद सभी किसान ठगा महसूस करने लगे।

किसानों के साथ की गई धोखाधड़ी को उन्होंने हर स्तर पर उजागर करने का निर्णय लिया था। इसी दिशा में 12 अगस्त 2015 को मानेसर थाने में मामला दर्ज कराया गया था। फिर वर्तमान प्रदेश सरकार ने मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने का निर्णय लिया था।

15 सितंबर 2015 को सीबीआइ ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। वर्ष 2017 के दौरान सीबीआइ ने जांच में भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनकी सरकार के दौरान हरियाणा राज्य औद्योगिक संरचना विकास निगम (एचएसआइआइडीसी) में तैनात रहे कुछ अधिकारियों एवं बिल्डरों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। यह मामला सीबीआइ पंचकूला की अदालत में लंबित है। पूरा भरोसा है कि जिन नेताओं, अधिकारियों एवं बिल्डरों ने किसानों के साथ धोखा किया था, सभी को एक न एक दिन सजा मिलेगी।

मानेसर के पूर्व सरपंच ओमप्रकाश कहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय ने इसी साल 12 मार्च को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए बिल्डरों द्वारा खरीदी गई जमीन का मालिकाना हक एचएसआइआइडीसी को दे दिया। जिला प्रशासन से भी मालिकाना एचएसआइआइडीसी को दे दिया गया है। प्रदेश सरकार किसानों को राहत देने के लिए जल्द से जल्द मुआवजा दिलाए इससे काफी किसानों की स्थिति ठीक हो जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.