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शौर्य और बलिदान की मिसाल, गोलियों से जख्मी था जिस्म, एक कदम भी पीछे नहीं हटे मेजर दहिया

मेजर दहिया बिना लड़खड़ाए आतंकियों को खदेड़ते हुए साथियों के साथ आगे बढ़ते रहे। इसी बीच आतंकियों की दो गोलियां और मेजर दहिया के सीने में लगीं।

By Amit MishraEdited By: Published: Sat, 28 Jul 2018 02:31 PM (IST)Updated: Sat, 28 Jul 2018 02:31 PM (IST)
शौर्य और बलिदान की मिसाल, गोलियों से जख्मी था जिस्म, एक कदम भी पीछे नहीं हटे मेजर दहिया

नारनौल [राजकुमार]। इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में वही अपना नाम अंकित करते हैं, जिनके अंदर जज्बा होता है, जुनून होता है, बुलंद हौसला होता है। उनके रक्त का एक-एक कतरा देश के लिए बहता है। गत वर्ष जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकियों के खिलाफ सेना की तरफ से किए गए ऑपरेशन में शौर्य और बलिदान की मिसाल पेश की थी ग्राम बनिहाड़ी में जन्मे वीर मेजर सतीश दहिया ने। मेजर दहिया हंदवाड़ा में 16 फरवरी 2017 को आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे।

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पथराव कर रास्ता रोक लिया

भारत सरकार ने उनकी वीरता को देखते हुए उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र प्रदान किया था। मेजर सतीश 30 आरआर के साथ अटैच थे। वे हंदवाड़ा ऑपरेशन को लीड कर रहे थे और 13 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान मेजर दहिया को तीन गोलियां लगी थीं। इसके बावजूद बिना लड़खड़ाए आतंकियों को खदेड़ते हुए साथियों के साथ आगे बढ़ते रहे। इसी बीच आतंकियों की दो गोलियां और मेजर दहिया के सीने में लगीं। सेना की गाड़ी जब उन्हें बेस अस्पताल ले जाने के लिए चलने लगी तो स्थानीय लोगों ने पथराव कर रास्ता रोक लिया। इसके कारण ज्यादा खून निकलने की वजह से वह शहीद हो गए।

2009 में मिला बहादुरी पुरस्कार

सतीश दहिया करीब नौ साल पहले सेना में शामिल हुए थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बनिहाड़ी के राजकीय स्कूल में हुई। उन्होंने दसवीं उत्तर प्रदेश के मोदी नगर से की। राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से पोस्ट ग्रेजुएशन अंग्रेजी विषय में किया। वर्ष 2008 में बतौर कमीशन सेना में लेफ्टिनेंट पद पर भर्ती हुए। वर्ष 2012 में प्रमोशन मिला और मेजर बने। उन्हें 2009 में बहादुरी पुरस्कार भी दिया गया था।

शौर्य चक्र से सम्मानित 

फरवरी 2011 में सतीश दहिया की शादी पवेरा की सुजाता चौधरी के साथ हुई थी। उनकी एक बेटी प्रियांशा है।मेजर दहिया को उनके अदम्य साहस और वीरता के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया था। यह पुरस्कार लेने उनकी मां और पत्नी दिल्ली गई थीं। 

बेटी को आर्मी अफसर बनाना चाहते थे मेजर दहिया

परिजनों के मुताबिक, मेजर दहिया बेटी प्रियांशा को आर्मी में अपने से भी ऊंचे ओहदे का अफसर बनाना चाहते थे। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अभी से तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने बेटी को पढ़ाने के लिए जयपुर के एक प्ले स्कूल में दाखिला करवा दिया था। सतीश दहिया की पत्नी सुजाता ने भी कहा था कि बेटी को सेना का बड़ा अफसर बनाकर पति का सपना जरूर पूरा करूंगी।


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