2012 में सड़क दुर्घटना का शिकार हुए व्यक्ति को एक करोड़ रुपये का मुआवजा
दुर्घटना के बाद से पीड़ित कोमा में है। उसे राइस ट्यूब से खाना दिया जा रहा। वह 100 फीसद विकलांगता की स्टेज पर है। सुधार की फिलहाल कोई संभावना नहीं है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। सड़क दुर्घटना के एक छह साल पुराने मामले में सोमवार को ट्रिब्युनल ने पीड़ित व्यक्ति को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह आदेश दिल्ली के एक मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) दिया है। सड़क दुर्घटना का शिकार होने वाला 19 वर्षीय युवक हादसे के बाद से कोमा में है। वह चल-फिर या उठ-बैठ नहीं सतका। यहां तक कि उसे अब भी राइस ट्यूब के जरिए खाना दिया जा रहा है।
एमएसीटी के प्रेजाइडिंग ऑफिसर अमित बंसल ने पीड़ित को टक्कर मारने वाले वाहन की बीमा कंपनी यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस लिमिटेड को आदेश दिया है कि वह नई दिल्ली में रहने वाले पीड़ित जगजोत सिंह के परिवार को 97,68,000 रुपये का मुआवजा दे। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में यह ध्यान देने वाली बात है कि दुर्घटना के बाद से ही पीड़ित कोमा में है। उसे राइस ट्यूब से खाना दिया जा रहा है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल की चार अप्रैल 2018 की रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र किया गया है।
शिकायतकर्ता के अनुसार पीड़ित वर्ष 2012 में आजादपुर फ्लाई ओवर के पास हादसे का शिकार हुआ था। उस वक्त वह अपनी बाइक से जा रहा था। फ्लाई ओवर पर पहुंचते ही विपरीत दिशा में तेज रफ्तार में आ रहे एक ऑटो डिलीवरी वैन ने उसकी बाइक में जोरदार टक्कर मार दी। दुर्घटना के बाद घायल की मदद करने की जगह वैन ड्राइवर मौके से वाहन लेकर फरार हो गया।
कोर्ट ने कहा कि केस की सुनवाई के दौरान बीमा कंपनी ये साबित नहीं कर सकी कि दुर्घटना करने वाले वाहन के ड्राइवर (मालिक) के पास उस गाड़ी को चालाने के लिए कोई अनुमन्य ड्राइविंग लाइसेंस है। उस वाहन के पास कोई वैध परमिट भी नहीं था। एमएसीटी ने कहा कि दुर्घटना करने वाला वाहन बीमा कंपनी से विधिवत बीमाकृत था। इसलिए बीमा कंपनी याचिकाकर्ता को मुआवजे की पूरी रकम देगी।
कोर्ट ने कहा कि ये ध्यान देने वाली बात है कि पीड़ित को सिर पर गहरी चोट आयी थी। वह 100 फीसद विकलांगता की स्टेज पर है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल की रिपोर्ट भी इसकी पुष्टि करती है। अस्पताल की रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़ित स्थाई रूप से कोमा में है। इसमें सुधार की फिलहाल कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।
सुनवाई के दौरान दुर्घटना करने वाले वाहन के चालक ने कहा कि हादसा बाइक चालक की गलती की वजह से हुआ था। इसमें उसकी कोई गलती नहीं थी। हालांकि ट्रिब्युनल ने दोनों पक्षों के गवाह, सुबुतों और अस्पताल की रिपोर्ट के आधार पर टक्कर मारने वाले वाहन की बीमा कंपनी को पीड़ित को मुआवजा देने का आदेश दिया है।