नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने करोड़ों की धोखाधड़ी के तीन मामलों में वांछित आरोपित पति-पत्नी को गिरफ्तार कर लिया है। ये उत्तरी रोहिणी, संसद मार्ग व आर्थिक अपराध शाखा में दर्ज धोखाधड़ी के तीन मामलों में वांछित थे। दिल्ली पुलिस की तरफ से दोनों पर 50-50 हजार रुपये का इनाम था।
2011 में लिया था लोन
विशेष आयुक्त क्राइम ब्रांच रवींद्र सिंह यादव के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए पति-पत्नी के नाम ओमेंद्र सिंह और प्रभा है। दोनों शीशराम पार्क, उत्तम नगर के रहने वाले हैं। ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने रोहिणी कोर्ट में आरोपित प्रभा और ओमेंद्र सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि आरोपित व्यक्तियों ने रोहिणी स्थित अपनी संपत्ति को गिरवी रख बैंक से 2011 में करीब साढे 27 लाख का गृह ऋण लिया था।
बाद में इन्होंने कर्ज की किश्त नहीं चुकाई और डिफॉल्टर हो गए। शिकायतकर्ता बैंक को पता चला कि प्रभा ने 27 मार्च 2014 को पंजीकृत सेल डीड द्वारा सेक्टर 22, रोहिणी निवासी नरेश कुमार के पक्ष में एक सेल डीड निष्पादित किया है। सत्यापन करने पर पता चला कि नरेश कुमार कोई और नहीं, बल्कि उसका पति ओमेंद्र सिंह है, जिसने बैंक को धोखा देने के लिए अपना नाम बदल लिया था। शिकायतकर्ता बैंक को यह भी पता चला कि प्रभा द्वारा 15 मई 2012 को उस संपत्ति को सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के पास भी गिरवी रखा गया है। यह संपत्ति उसके पति ओमेंद्र सिंह उर्फ नरेश कुमार द्वारा कई बैंकों में गिरवी रखी हुई पाई गई। वर्तमान मामला 2019 में दर्ज किया गया था, लेकिन आरोपित व्यक्ति तब से अपनी गिरफ्तारी से बच रहे थे और उनका पता नहीं लग सका था।
लगातार ठिकाना बदल रहे थे आरोपित
डीसीपी अमित गोयल व एसीपी रमेश चंदर के नेतृत्व में इंस्पेक्टर मनमीत मलिक, एसआई नरेश कुमार,सिपाही राजेश, आशीष व पुष्पा की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर 15 मार्च काे उत्तम नगर इलाके में दोनों को दबोच लिया। दोनों आठ साल से फरार चल रहे थे और दिल्ली में लगातार अपना ठिकाना बदल रहे थे। इन तीनों मामलों में विभिन्न अदालतों ने दोनों को भगोड़ा घोषित कर रखा था।
आरोपितों ने एक एजेंट अमरेंदर की मदद से अपनी मकान नंबर 139, पाकेट-पांच, सेक्टर-22, रोहिणी की संपत्ति को कई बैंकों में गिरवी रख दिया और 1.22 करोड़ का ऋण लिया था। वह संपत्ति प्रभा के नाम थी और उसका पति ओमेंद्र कर्ज में गारंटर था। उन्होंने कर्ज के पैसे को ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में लगाया लेकिन कुछ घटनाओं के कारण उन्होंने अपना सारा पैसा खो दिया।