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लैप्रोस्कोपिक डोनर हेपटेक्टोमी तकनीक से लिवर ट्रांसप्लांट, जानिये- इसकी खूबियां

डॉक्टर विवेक विज के मुताबिक, पारंपरिक सर्जरी के मुकाबले इस सर्जरी में मरीज जल्द स्वस्थ हो जाता है।

By Edited By: Published: Tue, 15 May 2018 10:21 PM (IST)Updated: Fri, 18 May 2018 09:41 AM (IST)
लैप्रोस्कोपिक डोनर हेपटेक्टोमी तकनीक से लिवर ट्रांसप्लांट, जानिये- इसकी खूबियां
लैप्रोस्कोपिक डोनर हेपटेक्टोमी तकनीक से लिवर ट्रांसप्लांट, जानिये- इसकी खूबियां

नई दिल्ली (जेएनएन)। लिवर प्रत्यारोपण करने में दिल्ली के चिकित्सकों ने पहली लैप्रोस्कोपिक डोनर हेपटेक्टोमी तकनीक से सफल सर्जरी की है। चिकित्सकों का दावा है कि भारत की यह पहली आधुनिक सर्जरी है, जिसमें लिवर डोनेट (दान) करने वाले के शरीर पर कट के निशान नहीं बनते। केवल चार-पांच छोटे छेद के जरिये इसे सिजेरियन करने के स्थान से निकाला जा सकता है।

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इस तकनीक का इस्तेमाल फोर्टिस के डॉक्टरों ने इराक के बच्चे पर किया है। इस बारे में फोर्टिस हेल्थकेयर लिवर प्रत्यारोपण विभाग के निदेशक डॉक्टर विवेक विज ने बताया कि इराक के ढाई वर्षीय अली बहा हुसैन लिवर की 'ग्लाइकोजेन स्टोरेज डिजिज' नाम की बीमारी से पीड़ित था।

इस कारण उसका विकास रुक गया था। उसकी 23 वर्षीय मां ने लिवर दान करने की इच्छा जताई। जिसके बाद उनकी 'लेफ्ट लैटरल हेपेक्टोमी' की गई, जिसमें उनके लिवर के एक हिस्से को निकाला गया। 27 अप्रैल को चिकित्सकों की 10 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद यह सफल प्रत्यारोपण हुआ।

डॉ. विवेक विज ने बताया कि सामान्य स्थिति में लिवर प्रत्यारोपण से शरीर के हिस्से पर कट के निशान बन जाते हैं, लेकिन इस तकनीक से नहीं बनते। उन्होंने बताया कि अभी तक यह सर्जरी कोरिया एवं फ्रांस जैसे देशों में होती थी। डॉक्टर विवेक विज के मुताबिक, पारंपरिक सर्जरी के मुकाबले इस सर्जरी में मरीज जल्द स्वस्थ हो जाता है।


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