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बाटला हाउस: कोरोना ने न्याय को किया एक साल दूर, मार्च 2020 में पूरी हो गई थी अंतिम बहस

हाई कोर्ट ने इस मामले के निपटान के लिए समय सीमा तय कर रखी थी लेकिन कोरोना के चलते लगे लाकडाउन ने न्याय को एक साल के लिए दूर कर दिया। इस मामले में पिछले साल मार्च में लगभग 90 फीसद अंतिम बहस हो चुकी थी।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 09 Mar 2021 06:11 AM (IST)Updated: Tue, 09 Mar 2021 10:51 AM (IST)
बाटला हाउस: कोरोना ने न्याय को किया एक साल दूर, मार्च 2020 में पूरी हो गई थी अंतिम बहस
इस साल जब फिर से अदालतें खुली तो सिर्फ पांच तारीखों में ही फैसला आ गया।

नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। न्याय मिलने में अक्सर देरी लंबी और पेचिदा कानूनी कार्यवाही की वजह से होती है। बहुचर्चित बाटला हाउस एनकांउटर में भी पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी हुई, लेकिन इस बाद दलीलें नहीं, कोरोना महामारी देरी की वजह बनी। हाई कोर्ट ने इस मामले के निपटान के लिए समय सीमा तय कर रखी थी, लेकिन कोरोना के चलते लगे लाकडाउन ने न्याय को एक साल के लिए दूर कर दिया। इस मामले में पिछले साल मार्च में लगभग 90 फीसद अंतिम बहस हो चुकी थी और अगली तीन से चार तारीखों में फैसला आना तय था। लेकिन महामारी में बंद हुए न्याय के मंदिरों में सभी मामले अटक गए। अब इस साल जब फिर से अदालतें खुली तो सिर्फ पांच तारीखों में ही फैसला आ गया।

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पिछले साल अंतिम बहस के दौरान पुलिस की तरफ से अदालत को बताया गया कि एनकाउंटर की प्रक्रिया को समझाने के लिए एक एनीमेशन फिल्म बनवाई गई है। अगर अदालत की अनुमति हो तो इस फिल्म को दिखाया जा सकता है। इस पर अदालत ने एनीमेशन फिल्म दिखाने का आदेश दिया और 16 मार्च को साकेत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव की अदालत में एनीमेशन फिल्म दिखाई है।

इसके बाद अदालत ने 18 मार्च 2020 के लिए सुनवाई तय की और कहा कि उसी दिन इस केस की अंतिम बहस का आखिरी हिस्सा सुना जाएगा। 18 मार्च को जब अदालत लगी तो उस दिन केस नहीं सुना जा सका, क्योंकि कोरोना महामारी के कारण हाई कोर्ट ने सभी गैर जरूरी मामलों में सुनवाई टालने को कहा था। इसके बाद से इस केस की सुनवाई भी बंद हो गई। अब इस साल जब अदालतें धीरे-धीरे अपनी पुरानी प्रक्रिया में लौटने लगी तो 27 जनवरी 2021 को पहली सुनवाई हुई। इसके बाद चार तारीखें लगी और आठ मार्च को अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए आरोपित आारिज खान को दोषी करार दिया। इस केस में सबसे पहली सुनवाई 4 जून 2018 को हुई थी और हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार इसका तय समय सीमा में निपटान किया जाना था।


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