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70 लोगों की जान की कीमत सिर्फ 21 हजार, जुर्माने की राशि 12 किस्तों में

आश्चर्य की बात यह है कि इतने बड़े हादसे के लिए केवल एक जेई (जूनियर इंजीनियर) राजेंद्र कौशिक को दोषी माना गया है और 21 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 12 Jul 2018 08:50 AM (IST)Updated: Thu, 12 Jul 2018 10:33 AM (IST)
70 लोगों की जान की कीमत सिर्फ 21 हजार, जुर्माने की राशि 12 किस्तों में
70 लोगों की जान की कीमत सिर्फ 21 हजार, जुर्माने की राशि 12 किस्तों में

नई दिल्ली (सुधीर कुमार)। नवंबर 2010 में ललिता पार्क इलाके में हुए हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। पांच मंजिला इमारत ढहने से 70 लोगों की मौत हो गई थी और 77 लोग घायल हुए थे। आश्चर्य की बात यह है कि इतने बड़े हादसे के लिए केवल एक जेई (जूनियर इंजीनियर) राजेंद्र कौशिक को दोषी माना गया है और 21 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है। जुर्माने की राशि एक साल में पेंशन से काटी जाएगी। नगर निगम के इस फैसले पर नियुक्ति एवं अनुशासनात्मक मामलों की समिति ने भी बुधवार को मुहर लगा दी। समिति ने सिर्फ एक व्यक्ति पर कार्रवाई को तो अनुचित बताया, लेकिन मामूली कार्रवाई पर कुछ जवाब नहीं दिया।

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150 लोग मौजूद थे घर में

ललिता पार्क के इस भवन में हर मंजिल पर छज्जे से ही दीवारें खड़ी की गई थीं। भवन में करीब 200 लोग रहते थे। रविवार का दिन होने से करीब 150 लोग मकान में ही थे, तभी हादसा हो गया और 70 लोगों की जान चली गई। 77 लोग जख्मी हुए थे।

पुलिस ने मकान मालिक अमृत सिंह को गिरफ्तार किया था, जबकि नगर निगम ने कई अफसरों को निलंबित कर दिया था। इनमें जेई सीबी सिंह और एई राकेश कुमार भी शामिल थे। हालांकि, इन दोनों को बाद में एक अन्य मामले में निगम ने बर्खास्त कर दिया था। ललिता पार्क मामले में 2012 में जेई राजेंद्र कौशिक के खिलाफ निगम के सतर्कता विभाग ने आरोप पत्र दाखिल किया था।

आरोप पत्र में कहा गया कि जो इमारत गिरी थी, उसकी तीसरी व चौथी मंजिल को 2005 में बनाया गया था, लेकिन मिलीभगत के चलते इस अवैध निर्माण को नहीं रोका गया। सतर्कता विभाग ने इस मामले में पांच प्रतिशत पेंशन एक वर्ष तक काटने की सिफारिश की, जिसे नियुक्ति समिति ने भी मंजूर कर लिया। जेई राजेंद्र कौशिक 2016 में नगर निगम से सेवानिवृत्त हो गया। उसे करीब 35 हजार रुपये पेंशन मिलती है। अब उसकी पेंशन से 12 महीने तक 1750 रुपये कटेंगे। 

गुंजन गुप्ता (चेयरपर्सन, नियुक्ति समिति, पूर्वी निगम) ने कहा कि सिर्फ एक जेई के खिलाफ कार्रवाई की गई है, जबकि इस घटना के लिए निगम अधिकारियों की पूरी चेन जिम्मेदार है। सभी को सजा दी जानी चाहिए थी, क्योंकि इतनी बड़ी इमारत साढ़े पांच महीने में नहीं बनी होगी। हमने संबंधित अधिकारियों को और छानबीन करने का निर्देश दिया है।

बिपिन बिहारी सिंह (महापौर) ने बताया कि इस मामले में किस तरह की जांच हुई और उसकी क्या रिपोर्ट है, उसे देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। हालांकि, इतने बड़े हादसे के लिए सिर्फ एक ही व्यक्ति जिम्मेदार नहीं हो सकता है। इसकी जांच करवाई जाएगी।

राजेश कौशिक (घटना का जिम्मेदार माना जा रहा शख्स) का कहना है कि मेरे साथ गलत हुआ है। वह इलाका सिर्फ साढ़े पांच महीने तक मेरे कार्यक्षेत्र में था। उस अवधि में निर्माण नहीं हुआ था। सिर्फ उस मकान में बिजली का लोड बढ़वाया गया था।


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