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पाकिस्तान में बैठे दाऊद के इशारे पर छोटा राजन की हत्या की साजिश, मिला IB से इनपुट

देश ही नहीं एशिया की सबसे सुरक्षित दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को डी-कंपनी अपने गुर्गों के जरिये जहर देकर भी मरवा सकती है।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 12:01 PM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 03:52 PM (IST)
पाकिस्तान में बैठे दाऊद के इशारे पर छोटा राजन की हत्या की साजिश, मिला IB से इनपुट

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। देश ही नहीं एशिया की सबसे सुरक्षित दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को अब भी सबसे ज्यादा खतरा डी-कंपनी से ही है। उसे जेल में ही जहर देकर मारा जा सकता है, ऐसी आशंका को देखते हुए जेल प्रशासन ने उसकी सुरक्षा को और कड़ा कर दिया गया है। एक समय छोटा राजन डी कंपनी का सबसे खास गुर्गा माना जाता था। कई साल पहले इस बात का खुलासा हुआ था कि पाकिस्तान में बैठे दाऊद ने छोटा राजन को मारने की सुपारी दी है। इस मामले में अब तक कई गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं।

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ऐसी है छोटा राजन की सुरक्षा
जेल सूत्रों के मुताबिक, जेल प्रशासन को मिले खुफिया इनपुट के मुताबिक डी कंपनी के गुर्गे छोटा राजन को मारने की साजिश रच रहे हैं। इसके लिए वह तिहाड़ जेल की रसोई में घुसपैठ करने की कोशिश कर सकते हैं, ताकि खाने में जहर मिलाकर साजिश को अंजाम दिया जा सके। खतरे को देखते हुए छोटा राजन को जेल प्रशासन की ओर से अतिरिक्त सुरक्षा दी जा रही है। यही नहीं छोटा राजन के लिए बना खाना परोसे जाने से पहले तमाम तरह की जांच प्रक्रिया से गुजारा जा रहा है। वह कड़ी सुरक्षा के बीच तिहाड़ जेल संख्या दो में बंद है। यहां कई अन्य गैंगस्टर भी बंद हैं।

खाना और चाय विशेष जांच के बाद दिया जाता है
पूर्व सांसद शहाबुद्दीन व कुख्यात बदमाश नीरज बवानिया भी इसी जेल में है। इस जेल में छोटा राजन को हाई सिक्योरिटी वार्ड में रखा गया है। वार्ड से सटे कमरे में ही उसके लिए रसोई बनाई गई है। यहां खाना बनाने के बाद जेल के चिकित्सक रोजाना उसकी जांच करते हैं। फिर करीब दस मिनट बाद खाना छोटा राजन को परोसा जाता है। इसके अलावा चाय व पानी की भी जांच की जाती है। इस जेल में चप्पे चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे का भी पहरा है।

मुलाकात करने वालों पर रहती है खास नजर
जेल अधीक्षक स्वयं उसके वार्ड पर पूरी नजर रखते हैं। राजन के सेल के आसपास तमिलनाडु पुलिस का भी सख्त पहरा रहता है। उससे मुलाकात करने वालों को भी सुरक्षा से जुड़ी पूरी जांच के बाद ही मिलने की अनुमति है। देश की अलग-अलग अदालतों में राजन पर चल रहे मुकदमों के लिए जेल प्रशासन ने उसकी सेल में ही वीडियो कांफ्रेंसिंग का इंतजाम किया है, ताकि उसे गवाही के लिए कहीं और न जाना पड़े।

इस संबंध में तिहाड़ के अतिरिक्त महानिरीक्षक राजकुमार का कहना है कि जहां तक खतरे की बात है तो छोटा राजन के बारे में प्रशासन को कहीं से कोई खतरे की जानकारी नहीं मिली है। हां सुरक्षा के लिहाज से जो भी बातें जरुरी है, उस पर ध्यान दिया जा रहा है।

दोस्त बन गए दुश्मन
यहां पर बता दें कि कभी दाऊद इब्राहिम की शागिर्दी में रहने वाला छोटा राजन पिछले कई सालों से उसका जानी दुश्मन है। 1993 मुंबई हमलों-दंगों के बाद छोटा राजन के अलग होने से खफा अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद लगातार उसकी हत्या के प्रयास में है। हत्या के  सिलसिला पिछले दो दशक से जारी है।

25 अक्टूबर, 2015 को इंडोनेशिया के बाली में छोटा राजन को गिरफ्तार किया गया था। यह ऑपरेशन सीबीआई, इंटेलीजेंस यूनिट, मुंबई क्राइम ब्रांच, ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया पुलिस के साथ इंटरपोल के सफल कोऑर्डिनेशन के जरिए सफल हो सका था। इसके बाद उसे भारत लाकर तिहाड़ जेल में बंद कर दिया गया। तब से वह तिहाड़ जेल में बंद है। 

डी कंपनी ने दी है छोटा राजन को मारने सुपारी
दाऊद द्वारा सुपारी देने के बाद भारत में खुफिया एजेंसियां अलर्ट हो गईं और छोटा राजन की सुरक्षा चाक चौबंद कर दी गई है, लेकिन खतरा अब भी बरकरार है। नीरज बवाना को भी छोटा राजन से अलग अलग बैरक में डाल दिया गया था। इस दौरान डीकंपनी के गुर्गे और नीरज बवाना के एक साथी के बीच हुई बातचीत को सुरक्षा एजेंसियों ने इंटरसेप्ट कर लिया था। इससे पता चला कि डीकंपनी छोटा राजन को मरवाना चाहती है। नीरज बवाना के गुर्गों के जरिए इस साजिश को अंजाम दिया जाना है। 

छोटा राजन संभालता था भारत में दाऊद का काला धंधा

बताया जाता है कि बड़ा राजन की मौत से बाद छोटा राजन ने पूरे गैंग की कमान संभाल ली थी। अपने  काले साम्राज्य के विस्तार के दौरान अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से उसके रिश्ते बने फिर इसके बाद दोनों ने मिलकर मुंबई में वसूली, हत्या, तस्करी और फिल्म फाइनेंस का जमकर काम किया। इस बीच 1988 में छोटा राजन दुबई चला गया।

क्यों हुई दाऊद से दुश्मनी

छोटो राजन कभी दाऊद का खास हुआ करता था। इतन ही नहीं, भारत में अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम के बाद बड़े गैंगस्टरों में दूसरे नंबर पर छोटा राजन का ही नाम आता था। दोनों में आपसी समझ और याराना इस कदर था कि छोटा राजन लंबे समय तक डी कंपनी के साथ काम करता रहा। फिर दोनों के बीच विरोधाभास उस समय पैदा हुआ जब बाबरी कांड के बाद 1993 में मुंबई बम ब्लास्ट ने छोटा राजन को अंदर तक हिला दिया। छोटा राजन का पता चला कि इसमें दाऊद का हाथ है तो वह आग बबूला हो गया। नाराजगी इस कदर बढ़ी कि उसने खुद को दाऊद से अलग किया और अपना ही गैंग बना लिया। इसके बाद दोनों के बीच दुश्मनी इस कदर बढ़ी कि दोनों के बीच कई गैंगवार हुए।  

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