Move to Jagran APP

सीएनजी से सिर्फ तीन रुपये महंगी होगी एच-सीएनजी, US-यूरोप में चल रहा ट्रायल

दिल्ली में सबसे अधिक स्वच्छ ईंधन हाइड्रोजन सीएनजी बहुत अधिक महंगी नहीं होगी। मंजूरी दो से तीन साल के भीतर दिल्ली में हाइड्रोजन सीएनजी ईंधन उपलब्ध हो जाएगा।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 31 Jul 2018 08:05 AM (IST)Updated: Tue, 31 Jul 2018 08:05 AM (IST)
सीएनजी से सिर्फ तीन रुपये महंगी होगी एच-सीएनजी, US-यूरोप में चल रहा ट्रायल
सीएनजी से सिर्फ तीन रुपये महंगी होगी एच-सीएनजी, US-यूरोप में चल रहा ट्रायल

नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। दिल्ली में सबसे अधिक स्वच्छ ईंधन हाइड्रोजन सीएनजी बहुत अधिक महंगी नहीं होगी। सीएनजी के मुकाबले इसके मूल्य में केवल एक से तीन रुपये प्रति किलो का अंतर होगा। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने हाइड्रोजन सीएनजी को लेकर अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा करा दी है। इसके मुताबिक, मंजूरी मिलने के दो से तीन साल के भीतर दिल्ली में हाइड्रोजन सीएनजी ईंधन उपलब्ध हो जाएगा।

loksabha election banner

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली को वायु प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए ईपीसीए को हाइड्रोजन ईंधन की संभावना तलाशने को कहा था। इसपर ईपीसीए ने गैस कंपनियों एवं अन्य विशेषज्ञों के साथ दो बैठकें कर विचार विमर्श किया। इनमें सामने आया कि अगर हाइड्रोजन से बसें चलाई जाएंगी तो वह ईंधन काफी महंगा पड़ेगा। बसों को भी उच्च तकनीक से लैस करना होगा,जबकि अगर सीएनजी में हाइड्रोजन गैस मिला दी जाए तो और अधिक स्वच्छ ईंधन मिलेगा। साथ ही नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा भी काफी कम हो जाएगी।

पहले चरण में हाइड्रोजन सीएनजी से बसें चलाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में 5500 बसों के लिए रोज 400 टन एच-सीएनजी की जरूरत होगी। जबकि इसके चार स्टेशन बनाने पर 330 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसके लिए ईसीसी (एन्वायरमेंट कंपनसेशन चार्ज) का इस्तेमाल किया जा सकता है।

अमेरिका समेत कुछ देशों में चल रहा है ट्रायल

सीएनजी में मीथेन मुख्य गैस है। सीएनजी से कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और पीएम का उत्सर्जन होता है। हालांकि, पेट्रोल और डीजल की तुलना में यह काफी कम है। अब सीएनजी और हाइड्रोजन को मिलाकर हाइड्रोजन सीएनजी लाई जा रही है। बताया जा रहा है कि सीएनजी में 18 फीसद तक हाइड्रोजन की मात्रा रहेगी। इससे कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन 70 फीसद तक कम होगा। हालांकि एच-सीएनजी को अभी तक दुनिया में अपनाया नहीं गया है, लेकिन अमेरिका, कनाडा, ब्राजील एवं दक्षिण कोरिया में इस पर ट्रायल चल रहा है।

भूरेलाल (चैयरमेन, ईपीसीए) के मुताबिक, यदि सुप्रीम कोर्ट हमारी रिपोर्ट पर सहमति देता है तो बहुत जल्द बतौर पायलट प्रोजेक्ट हाइड्रोजन सीएनजी बसें चलाने का प्रयास किया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.