निर्भया कांड के साढ़े पांच साल बाद भी महिलाओं के लिए महफूज नहीं दिल्ली
दिल्ली पुलिस में 88823 पद स्वीकृत हैं। वर्तमान में तैनात 76426 ही हैं। कुल संख्या के साठ फीसद का शहर की कानून व्यवस्था से कोई वास्ता नहीं है।
नई दिल्ली (राकेश कुमार सिंह)। देश की सबसे चर्चित व दिल को झकझोर देने वाली 16 दिसंबर 2012 को हुई वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म की घटना को साढ़े पांच साल बीतने को हैं, लेकिन दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर हालात जैसे पहले थे, वैसे ही आज भी हैं। सरकार ने पूरे मामले में कमियों की जांच के लिए जस्टिस उषा मेहरा आयोग का गठन किया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कानून व्यवस्था में बदलाव के दर्जनों सुझाव दिए, लेकिन ज्यादातर पर अमल नहीं हो पाया है।
आयोग ने केंद्र के कई मंत्रालयों, दिल्ली सरकार, विभागों व दिल्ली पुलिस को अलग-अलग तरह के अनेक सुझाव दिए थे। दिल्ली के थानों के हालात को देखते हुए कहा गया था कि हर थाने में एक तिहाई महिलाकर्मियों की संख्या होनी चाहिए।
आयोग की सिफारिश के बाद कई मंत्रियों, गृह मंत्रालय के अधिकारियों व तत्कालीन पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने भी दावे किए थे कि दो साल में हर थाने में कम से कम 15-15 महिला पुलिसकर्मी हो जाएंगी, लेकिन ये सारे दावे सिफर साबित हुए। आयोग ने कहा था कि पुलिस एप लाए जिससे मुसीबत के समय महिला मोबाइल से सिग्नल दे सके।
इसका पालन करते हुए हिम्मत एप लाया गया। शराब की दुकानों पर आयोग ने कहा था कि दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग आवासीय सेक्टर में ठेके का लाइसेंस न दें। जहां भी ऐसा है उसका लाइसेंस तुरंत रद कर दें। बच्चों को शराब न बेचें। ठेके के सामने सीसीटीवी कैमरे लगे हों और उसकी रिकार्डिंग होनी चाहिए। इसका भी पालन नहीं किया गया।
नियमों के पालन में लापरवाही
यातायात पुलिस व परिवहन विभाग को कहा गया था कि दोनों यातायात नियम तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का खाका तैयार करें। नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। मोटर वाहन एक्ट में यह प्रावधान है कि सार्वजनिक अथवा निजी वाहनों में खिड़कियों में परदा नहीं लगा होना चाहिए। वसंत विहार की घटना के बाद इस मसले पर कई महीने तक ध्यान दिया गया, लेकिन अब स्थिति यथावत है।
दिल्ली पुलिस में कर्मियों की कमी
दिल्ली पुलिस में 88823 पद स्वीकृत हैं। वर्तमान में तैनात 76426 ही हैं। कुल संख्या के साठ फीसद का शहर की कानून व्यवस्था से कोई वास्ता नहीं है। 6500 महिला पुलिसकर्मियों में 4500 डेस्क ड्यूटी में रहती हैं।