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जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार के पक्ष में यूं ही नहीं आए केजरीवाल, ये हैं बड़े कारण

सीएम अरविंद केजरीवाल ने देश के साथ-साथ दिल्ली की जनता का मूड भांप लिया था कि यह मुद्दा जनभावना से जुड़ा है इसलिए भी उन्होंने समर्थन में देरी नहीं की।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 06 Aug 2019 06:22 PM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 04:40 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार के पक्ष में यूं ही नहीं आए केजरीवाल, ये हैं बड़े कारण
जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार के पक्ष में यूं ही नहीं आए केजरीवाल, ये हैं बड़े कारण

नई दिल्ली, जेएनएन। पिछले पांच साल के दौरान यह पहला बड़ा मौका है जब दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमाने वाली आम आदमी पार्टी (AAM AADMI PARTY) सरकार ने केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार के किसी प्रस्ताव पर इतना खुलकर समर्थन किया है। यहां बात हो रही है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा अनुच्छेद 370 (ATICLE 370) हटाए जाने पर भारतीय जनता पार्टी सरकार का समर्थन करने की। आइए जानते हैं कि आखिर किन वजहों की चलते सीएम केजरीवाल ने आगे बढ़ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने पर भाजपा का समर्थन किया।

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पहला

लगता है कि सीएम अरविंद केजरीवाल ने देश के साथ-साथ दिल्ली की जनता का मूड भांप लिया था कि यह मुद्दा जनभावना से जुड़ा है, इसीलिए सीएम ने खुद ट्वीट कर इस प्रस्ताव का न केवल समर्थन किया, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से वह भाजपा से साथ दिखे।

दूसरा 

दिल्ली में आगामी छह महीनों के दौरान विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में अरविंद केजरीवाल इस मुद्दे को भाजपा के पक्ष में नहीं जाने देना चाहते थे।

तीसरा

लगातार भाजपा की आलोचना करने वाले अरविंद केजरीवाल अपने इस फैसले उस छवि को तोड़ने की भी कोशिश की है कि वह मोदी सरकार के कटु आलोचक हैं।

चौथा

केंद्र में भाजपा के जीतने पर केजरीवाल ने पीएम मोदी को बधाई दी थी। साथ ही इस बात का इशारा भी किया था कि वह राज्य और केंद्र में कोई टकराव नहीं चाहते हैं।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को लेकर हुए फैसले पर मोदी सरकार को संसद के उच्च सदन में सोमवार को जहां अपनों के विरोध का सामना करना पड़ा, वहीं उसे धुर विरोधियों का साथ भी मिला। बीजद, अन्नाद्रमुक और वाईएसआरसीपी ने तो सरकार का समर्थन किया ही, आश्चर्यजनक ढंग से बसपा और आप भी सरकार के साथ खड़ी नजर आईं। जबकि भाजपा की सहयोगी पार्टी जदयू सरकार के फैसले के विरोध में थी। कांग्रेस, सपा, राजग, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी ने भी सरकार का विरोध किया। कांग्रेस ने फैसले को बुनियादी भारी भूल करार दिया। हालांकि, वोटिंग के समय जदयू, राकांपा और तृणमूल ने वाकआउट किया।

अनुच्छेद 370 के प्रस्ताव पर चर्चा में भाजपा के भूपेंद्र यादव ने विपक्ष, खासकर कांग्रेस पर निशाना साधा। बसपा के राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि उनकी पार्टी अनुच्छेद 370 ही नहीं किसी अन्य विधेयक का भी विरोध नहीं कर रही है। राजग की घटक शिवसेना के संजय राउत ने अनुच्छेद 370 को ‘शैतान’ की संज्ञा देते हुए इसके खात्मे की जरूरत बताई। वहीं, वाइएसआर कांग्रेस के सदस्य वी विजयसाई रेड्डी ने कहा कि अगर जवाहर लाल नेहरू ने जम्मू एवं कश्मीर की जिम्मेदारी सरदार पटेल को सौंपी होती तो हमें इस पर अभी चर्चा की जरूरत नहीं पड़ती। बीजू जनता दल (बीजद) के प्रसन्न आचार्य ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि एक दिन पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी भारत का हिस्सा होगा।

कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ये शर्म की बात है कि केंद्र ने जम्मू एवं कश्मीर को राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बना दिया है। चिदंबरम ने अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने को बुनियादी भारी भूल करार दिया। जदयू के रामनाथ ठाकुर ने कहा कि उनके दल का मानना है कि कोर्ट के निर्णय या आपसी समझौते से यह मामला हल हो। तृणमूल के डेरेक-ओ-ब्रायन ने बिल को ‘काला सोमवार’ तथा संविधान के लिए ‘काला दिवस’ बताया। राजद के मनोज झा ने कहा कि धारा 370 को खत्म कर लागू करना इस जीवन में संभव नहीं है। सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि अनुच्छेद 370 को संविधान संशोधन किए बिना हटाया ही नहीं जा सकता।

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