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जानिए कौन है ग्रेटा थनबर्ग, किस काम से दुनिया में फिर से चर्चा में आया नाम

पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग का पूरा नाम ग्रेटा टिनटिन एलेओनोरा अर्नमैन थनबर्ग है। 18 वर्षीय ग्रेटा स्वीडन में स्टाकहोम की रहने वाली है। ग्रेटा को जलवायु परिवर्तन के विषय को लेकर वर्ष 2018 में शुक्रवार को स्कूल में हड़ताल करने के अभियान के लिए जाना जाता है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 05 Feb 2021 12:54 PM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2021 07:30 PM (IST)
जानिए कौन है ग्रेटा थनबर्ग, किस काम से दुनिया में फिर से चर्चा में आया नाम
ग्रेटा थनबर्ग का पूरा नाम ग्रेटा टिनटिन एलेओनोरा अर्नमैन थनबर्ग है।

नई दिल्ली, विनय तिवारी। पर्यावरणप्रेमी ग्रेटा थनबर्ग को एक पर्यावरण एक्टिविस्ट के तौर पर जानी जाती है। उनका पूरा नाम ग्रेटा टिनटिन एलेओनोरा अर्नमैन थनबर्ग है। वो स्वीडन की रहने वाली है और उनकी उम्र अभी मात्र 18 साल है।

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ग्रेटा का जन्म 3 जनवरी 2003 में स्वीडन में हुआ था। उनके पिता स्वांते थनबर्ग अभिनेता है और मां मेलेना अर्नमैन ओपेरा सिंगर है। पहले वो पर्यावरण के लिए काम करने के लिए जानी जाती थी मगर दो दिन पहले उन्होंने जो ट्वीट किया उसकी वजह से चर्चा में आ गई। इस ट्वीट में एक टूलकिट भी था जिसमें किसानों के प्रदर्शन का समर्थन करने की बात कही गई थी। 

8 साल की उम्र में ग्रेटा ने जलवायु परिवर्तन के बारे में सुना और इसे लेकर उन्होंने काम शुरू कर दिया। पहली बार वो इसी वजह से चर्चा में आई थी। उनके पर्यावरण आन्दोलन को अन्तरराष्ट्रीय ख्यति मिली है। उनके आन्दोलनों के फलस्वरूप विश्व के नेता अब जलवायु परिवर्तन पर कार्य करने के लिए विवश हुए हैं।

स्कूल से छुट्टी लेकर संसद के बाहर करती थी प्रदर्शन 

ग्रेटा स्वीडन की पहली ऐसी 18 साल की स्टूडेंट हैं जो अपने स्कूल से हर सप्ताह छुट्टी करके पर्यावरण बचाव के लिए काम करने के लिए संसद के बाहर धरने पर बैठती थीं। उनके काम के लिए उनको टाइम मैगजीन के कवर पेज पर जगह दी गई। इसके अलावा उनके काम को हर तरफ प्रशंसा मिल चुकी है। आज पर्यावरण के क्षेत्र में ग्रेटा की अपनी एक अलग पहचान है। उसने इस अभियान को ‘फ्राइडेज फार फ्यूचर’ नाम दिया था।

ग्रेटा आटिज्म के एक प्रकार एस्पर्जर सिंड्रोम से पीड़ित है। पहली बार उसने आठ साल की उम्र में इसके बारे में सुना था, जिसके बाद वह शाकाहारी हो गई और विमान यात्रा करना बंद कर दिया। विमान का ईंधन जलने से बड़ी मात्रा में ऐसी गैसें निकलती हैं, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देती हैं। ये सोचते हुए ग्रेटा ने ये कदम उठाया था। 

संयुक्त राष्ट्र में दे चुकी हैं भाषण 

ग्रेटा ने सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र में स्पीच दी थी। उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आपकी हिम्मत कैसे हुई ये कहने कि मुझे यहां नहीं होना चाहिए था बल्कि अभी स्कूल में होना चाहिए था। अपने खोखले शब्दों से आपने मेरा बचपन और मेरे सपने चुरा लिए हैं। ग्रेटा थनबर्ग को टाइम मैगजीन पर्सन ऑफ द ईयर भी घोषित कर चुकी है। अब ग्रेटा थनबर्ग का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी चल रहा है।

स्वीडन की संसद के सामने किया था प्रदर्शन 

पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में ग्रेटा की पहल से उसका विश्वास पक्का हो गया कि अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो बदलाव लाया जा सकता है। 2018 में 15 साल की उम्र में ग्रेटा ने स्कूल से छुट्टी ली और स्वीडन की संसद के सामने प्रदर्शन किया।

उस समय उसके हाथ में एक बड़ी सी तख्ती होती थी, जिस पर बड़े अक्षरों में लिखा होता था ‘स्कूल स्ट्राइक फॉर क्लाइमेट’। देखते ही देखते उसके अभियान में हजारों लोग शामिल हो गए। स्कूलों के बच्चे पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम में ग्रेटा के साथ हो गए। उसके बोलने का लहजे और शब्दों के चयन ने उसे अन्तरराष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता बना दिया।

व्लादिमीर पुतिन राष्ट्रपति साध चुके हैं निशाना 

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने 2019 में ग्रेटा थनबर्ग की स्पीच को लेकर कहा कि वे ऑस्ट्रेलियाई बच्चों की बिना मतलब की चिंता में डाल रहीं हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी उन पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि अगर बच्चे पर्यावरण के मुद्दों पर ध्यान दे रहे हैं तो उनका समर्थन करना चाहिए। उनके अलावा ट्रंप और ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोलसोनारो ने भी उन्हें स्पीच के लिए घेरा था।


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