जानिए दिल्ली उच्च न्यायालय ने समलैंगिक युगल को क्या-क्या चीजें दिलवाकर किया याचिका का निपटारा
साथ ही राज्य सरकारों को इन्हें सुरक्षित स्थान उपलब्ध कराने पर विचार करने को कहा था। सुनवाई के दौरान पीठ ने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में दिल्ली सरकार ने सुरक्षित घर कहां खोला है। उसके बाद इनको सुरक्षित घर मुहैया कराया गया।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। स्वजन से परेशान होकर पंजाब से दिल्ली आये समलैंगिक युगल को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया है और उन्हें सुरक्षा भी उपलब्ध कराई गई है। याचिकाकर्ता आकाश दीप व अमनदीप की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने यह जानकारी न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ को दी। पीठ ने इसके बाद याचिका का निपटारा कर दिया। गैर सरकारी संगठन धनक आफ ह्यूमैनिटी ने अधिवक्ता उत्कर्ष सिंह के माध्यम से याचिका दायर कर कहा था कि वे बालिग हैं और समलैंगिक समुदाय से होने के कारण उनका रिश्ता उनके स्वजन को स्वीकार्य नहीं है।
23 जुलाई को अदालत ने मयूर विहार फेज-2 के एसएचओ को याचिकाककर्ताओं को किग्स-कैंप स्थित सेवा कुटीर परिसर में सुरक्षित घर में शिफ्ट करने का निर्देश दिया था। साथ ही वहां पर पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराने को भी कहा था। याचिकाकर्ता आकाश मूल रूप से पंजाब के मोगा के रहने वाले हैं, जबकि अमनदीप पंजाब के लुधियाना स्थित मलौध के रहने वाले हैं। जिटोवाल काला स्थित एक धागा मिल में अगस्त-2020 में दोनों याची काम करते थे और धागा मिल के होटल में रहते थे। काम करने के दौरान दोनों पहले अच्छे दोस्त बने। इस बीच दोनों फिर एक-दूसरे से प्यार करने लगे और साथ रहने का फैसला कर लिया। स्वजन द्वारा आपत्ति करने पर भाग कर दिल्ली आ गये।
सुप्रीम कोर्ट ने गैर सरकारी संगठन शक्ति वाहिनी की याचिका पर वर्ष 2018 में ऑनर किलिंग के खिलाफ दायर याचिका पर दूसरे धर्म या अंतर-जातीय विवाह चुनने वाले युगल की सुरक्षा के लिए फैसला दिया था। साथ ही राज्य सरकारों को इन्हें सुरक्षित स्थान उपलब्ध कराने पर विचार करने को कहा था। सुनवाई के दौरान पीठ ने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में दिल्ली सरकार ने सुरक्षित घर कहां खोला है। इसके जवाब में दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील राजेश महाजन ने बताया कि किंग्सवे कैंप में सेवा कुटीर परिसर खोला गया है।