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Honey Trap: इंडियन आर्मी को अपनी खूबसूरती के जाल में फंसा रहीं दुश्मन देश की युवतियां

दुश्मन देश की रणनीति जानने के लिए दुनिया के तकरीबन सभी देश हनीट्रैप का सहारा लेते रहे हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 09 Feb 2018 09:50 AM (IST)Updated: Sat, 10 Feb 2018 08:38 AM (IST)
Honey Trap: इंडियन आर्मी को अपनी खूबसूरती के जाल में फंसा रहीं दुश्मन देश की युवतियां
Honey Trap: इंडियन आर्मी को अपनी खूबसूरती के जाल में फंसा रहीं दुश्मन देश की युवतियां

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। भारत-पाक सीमा पर देश के बहादुर सैनिकों के हाथों बार-बार हार झेल रहा पाकिस्तान अब खूबसूरत युवतियों के सहारे भारत पर जीत के ख्वाब पाल रहा है। पाक की खुफिया एजेंसी ISI अक्सर ऑपरेशन विषकन्या के जरिये भारतीय सैनिकों में घुसपैठ कर गुप्त सूचना जुटाने का प्रयास करती है। कभी-कभी इसमें उसे कामयाबी भी मिल जाती है।

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ताजा मामले में दुश्मन देश पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (ISI) के जाल में फंसे दिल्ली एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन अरुण मारवाह (51) ने गोपनीय दस्तावेज भी मुहैया करा दिए हैं। ISI हनीट्रैप के जरिये पहले भी ऐसा करती रही है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कुछ महीने पहले ISI के एक एजेंट ने लड़की बनकर एयरफोर्स के अधिकारी अरुण मारवाह से संपर्क किया था। भ्रम में फंसे अरुण मारवाह खूबसूरत लड़की की आवाज पर ही दीवाने हो गए, जबकि वह लड़का था। इसके बाद दोनों में फोन पर ही लगातार चैटिंग होने लगी। यह भी बताया जा रहा है कि चैटिंग के दौरान अरुण मारवाह उस 'लड़की' से अश्लील बात भी करते थे। 

बता दें कि दुश्मन देश की रणनीति जानने के लिए दुनिया के तकरीबन सभी देश हनीट्रैप का सहारा लेते रहे हैं। दरअसल, दुश्मन देश की रणनीति का खासकर सैन्य रणनीति का राज जानने के लिए खूबसूरत महिलाओं को जासूस बनाकर हथियार के रूप में इस्तेमाल करना ही 'हनी ट्रैप' कहलाता है।

शातिर देश हनीट्रैप के माध्यम से दुश्मन की रणनीति में सेंध लगाकर अहम दस्तावेज और खुफिया जानकारी जुटा लेते हैं। पाकिस्तानी एजेंसी ISI से जुड़ी महिलाएं यह काम करने में माहिर हैं, खासकर भारतीय उपमहाद्वीप में भाषा (उर्दू-हिंदी मिश्रित) एक सी होने के चलते उन्हें और आसानी होती है। 

जानिये क्या है हनीट्रैप

ज्यादातर मामलों में 'हनी ट्रैप' से जुड़ी महिला पहले उस शख्स से दोस्ती करती है फिर दोस्ती की आड़ में शिकार बनाती हैं और बाद में उन्हें ब्लैकमेल तक करती हैं। सेना से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ भी ऐसा ही होता है। 

बता दें कि 'हनी ट्रैप' के जरिये एक महिला जासूस को बाकायदा जिम्मेदारी दी जाती है कि वह संबंधित अधिकारी, नेता या ऊंचे पदों पर बैठे व्यक्ति को अपने हुस्न के जाल में फंसाकर जरूरी सूचनाएं जुटाए। इसके लिए उसे जासूस महिला को बड़ी रकम भी दी जाती है। 

गौरतलब है कि 'हनी ट्रैप' का चलन काफी सालों से या कहें सदियों से रहा है। पहले और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी, फ्रांस, अमेरिका और रूस जैसे बड़े देशों हनी ट्रैप का जमकर इस्तेमाल किया। अब इसी हथियार का इस्तेमाल पाकिस्तानी एजेंसी ISI भारत में कर रही है।

क्यों होता हनीट्रैप का खेल

दुनिया के शक्तिशाली देशों में शुमार अमेरिका, चीन और रूस हनीट्रैप के जरिये जासूसी कराने के लिए बदनाम हैं। बताया तो यहां तक जाता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से संबंधित की जानकारी रूस के पास है। जाहिर है यह काम भी हनीट्रैप के जरिये ही किया गया होगा।  दरअसल, एक देश अपने दुश्मन का राज जानने के लिए नए-नए हथकंडे आजमाता रहता है। सच यह भी है कि युद्ध सिर्फ सरहद पर ही नहीं होता, बल्कि दुश्मन के घर में सेंध लगाकर अहम जानकारी जुटा लेना भी युद्ध का ही एक अहम हिस्सा होता है।

ऐसा इसलिए भी किया जाता है क्योंकि एक बार दुश्मन देश से की खुफिया जानकारी हाथ लग जाए तो उसके खिलाफ रणनीति बनाना बेहद आसान हो जाता है। ऐसे में यह काम एक महिला जासूस से बेहतर कौन कर सकता है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI इस काम में माहिर है और वह खूबसूरत महिलाओं के जरिये यह खेल करती है।

म्यूजिकल ऐप्लीकेशन और मोबाइल गेमिंग के जरिये भारतीय जवानों की जासूसी

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी मोबाइल गेमिंग, टॉप गन, एमपीजंकी, वीडेजंगी और टॉकिंग फ्रोग जैसी म्यूजिकल ऐप्लीकेशन और मोबाइल गेमिंग के जरिये भारतीय सुरक्षा बलों की जासूसी कर रही है। यह खुलासा लोकसभा में गृह राज्यमंत्री हरिभाई पारथीभाई चौधरी ने एक सवाल के लिखित उत्तर कर चुके हैं।

हरिभाई के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी रोजगार मुहैया कराने और वित्तीय मदद के नाम पर पूर्व सैनिकों को जासूसी के जाल में फंसाने के प्रयास लगातार कर रही है। उन्होंने बताया था कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी मोबाइल ऐप के जरिये वायरस भेजकर भारतीय सुरक्षा बलों की निगरानी कर रही है। इन मोबाइल ऐप में टॉप गन, एमपीजंकी, वीडीजंकी, टॉकिंग फ्रोग जैसे ऐप शामिल हैं।

हनीट्रेप में फंस चुके हैं कई सैनिक

पाटन कुमार पोद्दारः 40 वर्षीय पाटन कुमार पोद्दार भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत थे। उनकी पोस्टिंग आंध्रप्रदेश के सिंकदराबाद छावनी की 151 एमसी/एमएफ डिटैचमेंट में थी। सिकंदराबाद में रहते हुए फेसबुक में अनुष्का अग्रवाल नाम की एक लड़की से उसकी दोस्ती हुई। लड़की से बातचीत के दौरान दोनों ने अपनी निजी जानकारियां साझा करना शुरू की। उस पाकिस्तानी जासूस ने अपना संबंध उत्तर प्रदेश के झांसी से बताया था। उसने यह भी बताया कि उसके पिता इंडियन एयर फोर्स के रिटायर्ड कमांडर हैं और फिलहाल झांसी में संयुक्त राष्ट्र की एक एनजीओ चलाते हैं, जिसमें वह भी अपने पिता का सहयोग करती है।

कुछ समय बाद अनुष्का ने सूबेदार को बताया कि वह उसे पसंद करती है और उससे मोहब्बत करने लगी है। इसी दौरान भारतीय सेना का ऑनलाइन सर्वे करने के एवज में 10 हज़ार रुपये देने का वादा भी किया। फिर पोद्दार ने महिला के इशारे पर एक ऑनलाइन फार्म भरा, जिसमें पेशा और निजी ब्योरे जैसी जानकारियां दीं। धीरे-धीरे सर्वे के नाम पर वह उस लड़की को सिकंदराबाद छावनी की सेना से जुड़े राज और जानकारियां उपलब्ध कराता रहा और वह उसके खाते में इसके एवज में पैसे जमा करती रही। जांच के दौरान सेना पुलिस ने भारतीय सेना से जुड़ी बहुत सी संदिग्ध जानकारियां पोद्दार के कंप्यूटर से बरामद की।

रंजीत केकेः भटिंडा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात रंजीत केके (24) को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है। उसे बर्खास्त कर दिया गया। वह कई साल से सोशल मीडिया पर दामिनी मैकनॉट नाम की महिला के संपर्क में था। दामिनी खुद को यूके की एक मैगजीन की एंप्लॉई बताती थी। यह दो साल पहले का मामला है। जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट भारतीय जवानों को हनीट्रैप में फंसाकर सीक्रेट सूचनाएं हासिल कर रहे हैं। यह खुलासा एयरफोर्स के एक जवान की गिरफ्तारी से हुआ था।

दामिनी ने मैगजीन में पब्लिश करने के नाम पर रंजीत से एयरफोर्स की तमाम सूचनाएं हासिल कर ली थीं। इसके बदले रंजीत के अकाउंट में एक बार 25 हजार और दूसरी बार 5,000 रुपये भी ट्रांसफर किए थे।

सुनीत कुमारः तीन साल पहले 2014 में सेना के मेरठ सैन्य क्षेत्र में तैनात सुनीत कुमार फेसबुक के माध्यम से आईएसआई एजेंट पूनम प्रकाश और रिया के संपर्क में आया था। इसके बाद वह सेना की जरूरी सूचनाएं लीक करने लगा। लालच के भंवर में ऐसा फंसा, आतंकी संगठनों के करीब भी पहुंच गया। सुनीत के बाद मनोहर सिंह के बारे में भी कुछ ऐसे ही सुराग हाथ लगे थे। वह भी आईएसआई के "हनी ट्रैप" के जरिये पाकिस्तानी एजेंट के संपर्क में आया था। सेना का जवान और आईएसआई एजेंट मनोहर सिंह काफी शातिर किस्म का था। बरेली में वह ठिकाने बदल-बदलकर किराए के मकानों में रहता था। अति सुरक्षित वीआईपी इलाकों को वह अपना अड्डा खासतौर से बनाता था।


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