CBSE 12th Exam 2021: देशभर के लगभग 14 लाख बोर्ड परीक्षार्थियों में असमंजस की स्थिति, जानें- क्या कहते हैं एक्सपर्ट
CBSE 12th Exam 2021 शिक्षा विशेषज्ञ परीक्षाओं को रद करने की बात को सिरे से खारिज कर रहे हैं। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 के मौजूदा हालात को देखते हुए परीक्षाएं कुछ सप्ताह और आगे टाल दी जाए पर परीक्षा जरूर संपन्न कराई जानी चाहिए।
नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। कोरोना महामारी की तीसरी लहर के दावों के बीच केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 12वीं की बोर्ड परीक्षा को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। देशभर से परीक्षा देने वाले लगभग 14 लाख बोर्ड परीक्षार्थियों में असमंजस की स्थिति है कि बोर्ड परीक्षाएं दो-चार माह और स्थगित की जाएंगी या रद। हालांकि, शिक्षा विशेषज्ञ परीक्षाओं को रद करने की बात को सिरे से खारिज कर रहे हैं। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 के मौजूदा हालात को देखते हुए परीक्षाएं कुछ सप्ताह और आगे टाल दी जाए पर परीक्षा जरूर संपन्न कराई जानी चाहिए, क्योंकि इन परीक्षा से ही छात्रों का भविष्य जुड़ा है।
जुलाई में परीक्षा, अगस्त तक जारी हो परिणाम
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बोर्ड परीक्षाओं को जुलाई माह के पहले या दूसरे सप्ताह में आयोजित कर लेना चाहिए। अगस्त तक सभी छात्रों का परिणाम बिना देरी के जारी कर देना चाहिए। वहीं, सितंबर माह से सभी कालेजों में छात्रों की दाखिला प्रक्रिया शुरू की जाना चाहिए। वहीं, कालेजों को अब अंक आधारित दाखिला की व्यवस्था भी बदलनी होगी। दाखिले के लिए 50 फीसद अंक 10वीं-12वीं के और 50 फीसद अन्य आधार पर जोड़े जाने चाहिए और उसी के आधार पर दाखिला लेना चाहिए।
ऑनलाइन परीक्षाएं विकल्प नहीं है
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के बढ़ते मामलों पर अगर ऑनलाइन परीक्षाओं का निर्णय लिया जाता है तो ये उचित नहीं होगा। क्योंकि अभी छात्रों को आनलाइन परीक्षाओं की तैयारी नहीं है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों के लिए तो ये संभव नहीं है कि ऑनलाइन परीक्षा दे क्योंकि हर छात्र के पास स्मार्टफोन व इंटरनेट की सुविधा नहीं है। इसलिए ऑफलाइन परीक्षाओं के अलावा कोई विकल्प फिलहाल नहीं है।
सीबीएसई को है केंद्र सरकार के निर्णय का इंतजार
सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने कहा कि बोर्ड परीक्षाओं को आयोजित कराने को लेकर जून माह में कोरोना के मामलों की समीक्षा की जाएगी। समीक्षा के बाद परीक्षा स्थगित की जाएगी या रद इसका फैसला केंद्र सरकार का होगा। वहीं, सीबीएसई के अन्य अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय को 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं को लेकर जल्द ही कोई निर्णय लेना होगा। क्योंकि आगे की स्थिति मंत्रालय के निर्णय पर ही निर्भर करेगी।
वहीं अशोक गांगुली (पूर्व चेयरमैन, सीबीएसई) का कहना है कि मेरे हिसाब से तो परीक्षा होनी चाहिए क्योंकि कक्षा 12 स्कूली शिक्षा का अंतिम वर्ष होता है। संक्रमण दर घटते ही जुलाई में परीक्षा आयोजित होनी चाहिए। परीक्षाओं के रद होने से छात्रों का मूल्यांकन कैसे होगा, सही मूल्यांकन होगा या नहीं ये प्रश्नचिन्ह बन जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बोर्ड की तरह सीबीएसई और अन्य राज्य बोर्ड को मूल्यांकन के लिए योगात्मक से ज्यादा रचनात्मक आंकलन की एक व्यवस्था को आगामी शैक्षणिक सत्र से लागू कर देना चाहिए। इस संबंध में केंद्र सरकार को अगले सत्र के लिए मूल्यांकन नीति पर भी एक विधिवत निर्देश जारी करना चाहिए।
विनीत जोशी (पूर्व चेयरमैन, सीबीएसई) की मानें तो बोर्ड को अभी थोड़ा रूककर कोरोना के मामलों की समीक्षा कर किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए। इसमें छात्रों के स्वास्थ्य को विशेषकर ध्यान रखना चाहिए। स्थितियां सही नहीं होती है तो स्थगित जरूर की जा सकती हैं। बच्चे इस समय तनाव का शिकार न हो इसके लिए स्कूलों को छात्रों को विभिन्न तरह की गतिविधियों से जोड़े रखना होगा। वहीं, स्कूलों को अब नए सत्र से छात्रों का लगातार मूल्यांकन करना चाहिए। इससे कोरोना जैसी चुनौती तो निपटेगी ही साथ ही पढ़ाई भी अच्छी होगी।
ज्योति अरोड़ा (सदस्य, गवर्निंग बाडी, सीबीएसई) का कहना है कि मंत्रालय को जल्द ही कोई उचित निर्णय लेना चाहिए। क्योंकि अब ऐसी स्थिति नहीं है कि परीक्षाओं को बहुत ज्यादा टाला या रद किया जाए। सभी छात्रों ने सालभर ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई की है। छात्रों को इन परीक्षाओं का बेसब्री से इंतजार है। कई छात्रों को उच्च शिक्षा के विदेश के कालेजों में दाखिला भी लेना है। इसके अलावा इस समय स्कूलों को छात्रों का तनाव कम करने के लिए स्कूल स्तर पर हेल्पलाइन शुरू करनी चाहिए।