दुष्कर्म के आरोपी आशु बाबा उर्फ आसिफ खान का ये है असली चेहरा, जो फंसा वो गया
आशु अपनी असली पहचान छिपाकर कई टीवी चैनलों पर लोगों की सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान करने का दावा करता है। आशु बाबा भूत-प्रेत की छाया से बचाने का भी दावा करता है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। दुष्कर्म का आरोपी आशु बाबा (असली नाम आसिफ खान) वास्तुदोष और कालसर्प दोष दूर करने के नाम पर भी लोगों को ठगने का काम करता है। बाबा के आश्रम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक आशु अपनी असली पहचान छिपाकर कई टीवी चैनलों पर लोगों की सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान करने का दावा करता है। ट्रक चालकों और रिक्शा चालकों को मालामाल करने के लिए रत्न देता है। ये लोग कार्यक्रम में आकर बाबा को महिमामंडित करते हैं। आशु बाबा भूत-प्रेत की छाया से बचाने का भी दावा करता है।
मोटी फीस लेता है आशु बाबा
आशु बाबा का पीतमपुरा के तरुण एंक्लेव में मकान और रोहिणी सेक्टर-सात में आश्रम है। जहां लोगों से वह सुबह चार से आठ बजे के बीच मिलता है। वैसे, हौजखास में भी इसका एक कार्यालय है। लोगों से मुलाकात करने के लिए आशु मोटी फीस लेता है। उपाय आदि के नाम पर ली जाने वाली रकम हजारों के बजाय लाखों में होती है।
आश्रम से गायब हुए थे 50 लाख रुपये
सूत्रों के मुताबिक पिछले साल छह फरवरी को तड़के आशु रोहिणी के आश्रम में पहुंचा तो वहां पर ताला लगा हुआ पाया। आश्रम की देखरेख करने वाले लक्ष्मण और हंसराज जोशी भी वहां नहीं थे। कुछ देर इंतजार के बाद आशु बाबा खुद ताला तोड़कर अंदर गया तो देखा कि उसकी अलमारी में रखे 50 लाख रुपये गायब हैं। उसकी शिकायत पर रोहिणी उत्तरी थाना पुलिस ने चोरी का मामला दर्ज किया था।
42 लाख रुपये हुए बरामद
पुलिस ने सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) की मदद से सात मार्च को भारत-नेपाल बार्डर के पास से लक्ष्मण और हंसराज को पकड़ लिया था। उनके पास से 42 लाख रुपये बरामद हुए थे। दोनों ने पूछताछ में पुलिस को बताया था कि आशु के आश्रम में हमेशा मोटी रकम होने की बात उन्होंने चांदनी चौक में रहने वाले अपने दो दोस्तों को बताई थी। उनके दोस्तों ने पैसे चोरी करने के लिए उकसाया था। चोरी के बाद उन्होंने दोनों दोस्तों को आठ लाख रुपये दिए थे। चोरी की रकम के बारे में पुलिस ने बताया था कि आशु बाबा ने कोई प्रॉपर्टी बेची थी, जिससे उसे 50 लाख रुपये मिले थे।
पुलिस अधिकारियों से अच्छे संबंध
सूत्रों के अनुसार आशु के कई पुलिस अधिकारियों से अच्छे संबंध हैं। यही वजह थी कि इतनी मोटी रकम चोरी होने के बारे में आयकर विभाग को भी सूचना देना पुलिस ने जरूरी नहीं समझा था।