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लापता कशिश के पिता का दर्द, 'मंत्री की बेटी होती तो भी क्या एेसे ही काम करता सिस्टम'

कशिश के माता-पिता संजय और सरिता रावत ने यूं ही हार नहीं मानी। दरअसल, वे पुलिस प्रशासन की लापरवाही को कई बार भुगत चुके हैं और अब टूट चुके हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 03:18 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 03:31 PM (IST)
लापता कशिश के पिता का दर्द, 'मंत्री की बेटी होती तो भी क्या एेसे ही काम करता सिस्टम'

नई दिल्ली/नोएडा (जेएनएन)।  यह कहने में तो ठीक लगता है कि कानून की नजर में सब बराबर हैं, लेकिन हकीकत में ऐसा कम ही होता है। दिल्ली से सटे नोएडा के रहने वाले संजय और उनकी पत्नी सरिता के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। 12 मई, 2016 को नोएडा सेक्टर-22 निवासी संजय और सरिता रावत की 5 वर्षीय पुत्री कशिश रावत गुम हो गई। दो साल भी नोएडा पुलिस की जांच वहीं खड़ी है, जहां से शुरू हुई थी। अपनी मासूम बेटी की तलाश में दो साल तक दर-दर भटककर यह दंपती निराश और हताश है और अब दोनों थक-हारकर उत्तराखंड में अपने गांव लौट गए हैं। 

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ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि क्या किसी मंत्री या अधिकारी की बेटी होती तो भी पुलिस सिस्टम ऐसे ही काम करता? यह पहला और आखिरी मामला भी नहीं है, क्योंकि यह पुलिस प्रशासन के लिए धारणा बन चुकी है कि वह इसी तरह से काम करती है यानी अमीर और गरीब का भेद करके। दरअसल, यह सवाल हर उस आम आदमी की जुबां पर आता है जो सिस्टम का सताया हुआ है या उपेक्षित है कि क्या वास्तव में कानून सबके लिए बराबर है।

मई, 2017 में हुआ था प्रदर्शन
सेक्टर-22 के एच ब्लाक से पांच वर्षीय कशिश के लापता होने के एक साल बाद मई, 2017 में पुलिस की लापरवाही से नाराज उत्तराखंड एकता मंच के सदस्यों ने सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय पर धरना भी दिया था।  इसमें उत्तराखंड एकता मंच के लोगों के साथ सेक्टर-22 स्थित एक निजी स्कूल के बच्चे भी शामिल हुए थे। हालांकि कशिश के भाई के अस्वस्थ होने के कारण उसके पिता संजय रावत धरने में शामिल नहीं हो सके थे। इस दौरान एक दिवसीय धरना और सांकेतिक भूख हड़ताल में शामिल लोगों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट रामानुज सिंह को सौंपा था। नाराज लोगों ने धरने के दौरान पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की थी और सिटी मजिस्ट्रेट से इस मामले में हस्तक्षेप कर जांच में तेजी लाने का अनुरोध किया था।

पुलिस ने दिखाई थी लापरवाही
कशिश की तलाश में पुलिस की लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कशिश की गुमशुदुगी को लेकर सेक्टर 12-22 पुलिस चौकी की सफाई के दौरान कशिश अपहरण की जांच के दौरान छपवाए गए बड़े स्तर पर पोस्टर बाहर पड़े मिले थे। पोस्टर चिपकाने के बजाय चौकी में रखने को लेकर भी लोगों ने नाराजगी जताई थी। 

12 मई को सेक्टर 22 से लापता हुई थी कशिश
मूलरूप से उत्तराखंड निवासी संजय रावत निजी कंपनी में काम करते हैं। उनका परिवार सेक्टर 22 के एच ब्लाक में रहता है। संजय की पांच वर्षीय बेटी कशिश 12 मई को घर के पास स्थित पार्क में खेल रही थी। पार्क से उसकी मां बेटे को लेकर कमरे में आ गई थी। वहीं कुछ देर बाद जब वह फिर पार्क में पहुंची, तो कशिश लापता थी। इस मामले में कोतवाली सेक्टर 24 में केस दर्ज हुआ था।

समाजसेवी संगठनों ने भी कशिश का ढूंढ़ने का प्रयास किया था
पुलिस ने कशिश को बरामद करने के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन बरामद करने में कामयाबी नहीं मिली। बड़ी संख्या में पोस्टर पूरे दिल्ली एनसीआर में चिपकाए गए थे। इतना ही नहीं, दिल्ली-एनसीआर के साथ पश्चिमी यूपी सहित अन्य कई प्रदेश में छानबीन हुई थी, लेकिन कशिश को बरामद करने में कामयाब नहीं मिल सकी। सोशल साइट पर अभियान के साथ कई समाजसेवी संगठन ने काफी प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली।

पुलिस ने संदिग्ध का जारी किया था स्केच
कशिश के परिजन को सर्च ऑपरेशन के दौरान सेक्टर 15 के पास कशिश को देखे जाने की जानकारी हुई थी। जिस व्यक्ति ने यह जानकारी दी, उससे बातचीत के आधार पर उस समय पुलिस ने एक संदिग्ध का स्केच जारी किया था, लेकिन उससे कोई कामयाबी नहीं मिल सकी थी। परिजन को एक संदिग्ध नंबर से एसएमएस मिले थे फिरौती के लिए, लेकिन पुलिस उसे भी नहीं पकड़ सकी थी। फिलहाल इस केस की जांच क्राइम ब्रांच की एएचटीयू शाखा कर रही है और जांच बेनतीजा है। 

एक गफ़लत में मां-बाप चले गए थे ब्यावर
कशिश के माता-पिता संजय और सरिता रावत ने यूं ही हार नहीं मानी। दरअसल, वे पुलिस प्रशासन की लापरवाही को कई बार भुगत चुके हैं। इससे पहले वह लगातार अपनी बेटी की तलाश में दर-दर की खाक छान रहे थे। तकरीबन एक साल पहले फेसबुक पर ब्यावर के रवि कटारिया की पुत्री जिज्ञासा को देखकर दिल्ली के संजय रावत यह सोचकर दौड़े चले आए कि वह उसकी करीब छह माह से लापता बेटी कशिश है। ...काश ऐसा होता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दरअसल, पुलिस व एनजीओ को साथ लेकर आए संजय रावत जब ब्यावर पहुंचे तो जिज्ञासा के जन्म से लेकर अब तक के फोटो व दस्तावेज देखकर दिमाग ने तो मान लिया मगर दिल मानते को तैयार नहीं था कि वह कशिश नहीं है।

चेहरों में समानता थी
वास्तव में दोनों बच्चियों में इतनी समानता थी कि कोई भी धोखा खा सकता था। हुआ यूं कि शहर के सेंदडा रोड पृथ्वीराज चौहान कॉलोनी निवासी रवि कटारिया ने कुछ दिनों पूर्व अपनी पुत्री जिज्ञासा (3) के साथ अपनी सेल्फी फेसबुक पर अपलोड की थी। उस फोटो को देख कर शुक्रवार को नोएडा पुलिस के साथ नोएडा सेक्टर 22 निवासी संजय रावत ब्यावर पहुंचे। स्थानीय पुलिस की मदद से संजय रवि कटारिया के घर पहुंचे। जहां जिज्ञासा को देखते ही संजय रावत ने उसे गोद में उठा लिया और अपनी बेटी होने का दावा किया।हालांकि, बाद में उन्हें भी मानना पड़ा कि यह उनकी कशिश नहीं है। पिछले कुछ समय तक कशिश की तलाश में नोएडा पुलिस के साथ ही लापता बच्चों को तलाशने का कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्था सर्च माय चाइल्ड और कशिश के माता पिता लगातार जुटे रहे और शायद आगे भी जुटे रहेंगे। 


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