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Independence Day: आजादी के जश्न में नहीं शामिल हुए थे महात्मा गांधी, जानें 15 अगस्त से जुड़ी कुछ रोचक बातें

Happy Independence Day जब 15 अगस्त 1947 को पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा था। उस वक्त महात्मा गांधी दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे। उन्होंने नेहरू का ऐतिहासिक भाषण भी नहीं सुना था।

By Umesh KumarEdited By: Published: Fri, 12 Aug 2022 08:16 AM (IST)Updated: Fri, 12 Aug 2022 08:16 AM (IST)
Independence Day: आजादी के जश्न में नहीं शामिल हुए थे महात्मा गांधी, जानें 15 अगस्त से जुड़ी कुछ रोचक बातें
आजादी से जुड़ी कुछ रोचक बातें। ( फाइल फोटो)

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) के तहत देशभर में कई आयोजन किए जाने हैं। वहीं केंद्र सरकार ने देश भक्ति और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए "हर घर तिरंगा अभियान" भी चलाया है।

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इसके तहत नियमों में भी बदलाव किए गए हैं। अब आप 13 से 15 अगस्त तक अपने घर में दिन या रात कभी भी तिरंगा फहरा सकेंगे। स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) की कुछ रोचक बातें भी हैं जिन्हें शायद ही आप जानते हों। आइए जानते हैं क्या थी वो बातें...

आजादी के जश्न में नहीं शामिल हुए थे गांधी जी

कहा जाता है कि जब 15 अगस्त 1947 को पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा था। उस वक्त महात्मा गांधी दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे। यहां वह हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए गए हुए थे। गांधी जी यहां अनशन कर रहे थे।

17 अगस्त को अलग हुई थी भारत-पाक सीमा

बताया जाता है कि 15 अगस्त तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ था। रेडक्लिफ ने 17 अगस्त को सीमा रेखा का निर्धारण किया। इसके बाद भारत और पाकिस्तान की सीमाएं अलग हुई। हालांकि पाकिस्तान ने 14 अगस्त को ही अपने को स्वतंत्र मान लिया था।

कई अन्य देश भी इसी दिन हुए थे आजाद

15 अगस्त को केवल भारत ही अपना स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाता। बल्कि कई अन्य देश भी हैं जो अपनी आजादी को सेलिब्रेट करते हैं। इनमें दक्षिण कोरिया, बहरीन और कांगो देश शामिल हैं, लेकिन इनके आजाद होने के साल अलग-अलग हैं।

महात्मा गांधी ने नहीं सुना था नेहरू का भाषण

ऐसा कहा जाता है कि 14 अगस्त की मध्यरात्रि को जवाहर लाल नेहरू अपना ऐतिहासिक भाषण दे रहे थे। उस वक्त गांधी जी जल्दी सोने चले गए थे। जवाहर लाल नेहरू का भाषण "ट्रिस्ट विद डेस्टनी" के रूप में जाना जाता है।


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