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'अटल जी न तो स्वस्थ हैं और न अस्वस्थ, वह बुजुर्ग अवस्था में हैं'

अटल जी तो न स्वस्थ है और न ही अस्वस्थ, वह बुजुर्ग अवस्था में है। जब तक उनके हाथ में कलम टिकी, तब तक अपने हर जन्मदिन पर कविता जरूर लिखी।

By Amit MishraEdited By: Published: Sun, 24 Dec 2017 06:14 PM (IST)Updated: Sun, 24 Dec 2017 09:07 PM (IST)
'अटल जी न तो स्वस्थ हैं और न अस्वस्थ, वह बुजुर्ग अवस्था में हैं'

नई दिल्ली [सुधीर कुमार पांडेय]। उद्योग भवन मेट्रो स्टेशन से करीब एक किलोमीटर दूर 6 ए कृष्णा मेनन मार्ग। वातावरण में गंभीरता। गेट के पास लगी नेम प्लेट और उस पर अटल जी का नाम। आवास में प्रवेश करने के लिए बढ़ा, तो एक सुरक्षाकर्मी ने रोका। कहा, किससे मिलना है। मैंने कहा-शिव कुमार जी से। जवाब मिला-आपको पास बनवाना पड़ेगा। बिना पूछे, यहां तक बता दिया कि पास कहां से बनेगा। रिसेप्शन में कर्मचारियों ने फिर वही सवाल दोहराया। बिना दूसरा सवाल पूछे पास बनाने की प्रक्रिया पूरी की। गेट के बाहर से लेकर आवास के अंदर तक अटल जी की छाप दिखी। तहजीब, सम्मान, सहयोग..गभीरता, पर सुरक्षा जांच से कोई समझौता नहीं।

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भाजपा ही आगे बढ़ेगी

जरूरी प्रक्रिया पूरी कर जब शिव कुमार जी के कमरे में दाखिल हुआ तो पहला सवाल-बताइये, क्या काम है। मैंने कहा-अटल जी के बारे में बात करनी थी। 25 दिसंबर को जन्मदिन है उनका। पूछा-क्या जानना चाहते हैं..दीनदयाल जी की हत्या के बाद वर्ष 1969 में सुप्रीम कोर्ट की वकालत छोड़कर पूरी तरह से अटल जी के साथ हूं। वह कैसी भी स्थिति में रहे हों, मैंने उनका साथ कभी नहीं छोड़ा। वह कहते हैं, अटल जी जब राजनीति में आए तो उस समय देश और दुनिया में कई कद्दावर नेता थे। जवाहरलाल नेहरू, राम मनोहर लोहिया, मार्शल टीटो। उन्होंने सघर्ष कर अपनी पहचान बनाई। उनका कभी कोई विरोधी नहीं रहा। हिंदी को वह वरीयता देते थे। नेहरू जी जब प्रधानमंत्री थे, तब लोकसभा में अटल जी की सीट पीछे थी, लेकिन वह अपनी बात जरूर रखते थे। रक्षा से जुड़े किसी मुद्दे पर अटल जी ने हिंदी में सवाल पूछा, तो नेहरू ने भी स्वेच्छा से हिंदी में ही जवाब दिया। भाजपा की मजबूत नींव अटल जी ने ही रखी। 1984 में इंदिरा जी की मौत के बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को केवल दो सीटें मिली थीं। पत्रकारों ने सवाल किया, तो अटल जी ने कहा कि यह प्रकृति का नियम है। जो शीर्ष पर होता है, उसे नीचे आना पड़ता है। आने वाले समय में भाजपा ही आगे बढ़ेगी। हुआ भी ऐसा। इंदिरा जी के समय कांग्रेस 18 राज्यों में थी, तो आज भाजपा 19 राज्यों में है।

अटल जी राजनीति की चादर हमेशा उजली रही। शिव कुमार जी बताते हैं कि अटल जी ने जब प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, तब बिकने वाले भी बहुत थे और खरीदार भी। अटल जी जोड़-तोड़ में विश्र्वास नहीं करते थे, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया। उन्होंने विदेश में कभी भी देश के किसी भी व्यक्ति के विरोध में कुछ नहीं कहा। साहित्य और प्रकृति से उनका लगाव हमेशा से रहा। वह कहते थे कि मैं कवि हूं, पर कवि का भूत हूं। अटल जी का कवित्व उनके बाबाजी की देन है। पिता जी भी अच्छे कवि थे। अटल जी को हर आदमी स्नेह करता है। उनमें राम का आदर्श, कृष्ण का सम्मोहन, बुद्ध का गांभीर्य और विवेकानंद का ओज है। वह हमेशा अच्छा भोजन करते थे और अच्छा पहनते थे। अटल जी की दिनचर्या आज भी संतुलित है। वह सुबह सात बजे उठ जाते हैं। फिजियोथेरेपिस्ट के माध्यम से दैनिक कार्य करते हैं। नाश्ते में तरल पदार्थ लेते है। दोपहर चार बजे के आसपास सूप लेते हैं।

अटल जी न तो स्वस्थ हैं और न अस्वस्थ, वह बुजुर्ग अवस्था में हैं

शिव कुमार जी बताते हैं कि जब तक उनके हाथ में कलम टिकी, तब तक अपने हर जन्मदिन पर कविता जरूर लिखी। जिनकी जिह्वा पर सरस्वती विराजमान थी, वह आज मौन है। अटल जी की एक कविता याद आती है। अटल जी तो न स्वस्थ है और न ही अस्वस्थ, वह बुजुर्ग अवस्था में है। मैं भी अस्सी साल का हूं। इस उम्र तक आते-आते हाथ कांपने लगते हैं।

पृथ्वी लाखों वर्ष पुरानी, जीवन एक अनंत कहानी
पर तन की अपनी सीमाएं, यद्यपि सौ वर्षों की वाणी
इतना काफी है, अंतिम दस्तक पर खुद दरवाजा खोलो। 

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