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Inside Story: पढ़िए- कैसे एक धमाके ने घटना को बना दिया भयावह

Delhi Fire News दरअसल तेज धमाके के कारण इमारत के में दरारें आनी शुरू हो गईं और फिर से आग भड़क गई। आग ऊपर के तलों पर फैलने लगी।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 12:11 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 12:11 PM (IST)
Inside Story: पढ़िए- कैसे एक धमाके ने घटना को बना दिया भयावह
Inside Story: पढ़िए- कैसे एक धमाके ने घटना को बना दिया भयावह

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Fire News: फैक्टरी में फंसे लोगों को बाहर निकालने व आग पर काबू के लिए जुटी टीम के सदस्य चीफ फायर ऑफिसर धर्मपाल भारद्वाज ने बताया कि तेज धमाके ने हालात को बेकाबू किया।

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बेसमेंट से शुरू हुई आग को मौके पर पहुंचे आठ दमकलकर्मियों काबू कर लिया था। दमकलकर्मियों के साथ फैक्ट्री के दो कर्मचारी भी थे। टीम ने इन्हें इमारत के नक्शे को समझने के लिए अपने साथ रखा हुआ था ताकि निकास व प्रवेश के मार्गों के बारे में वे बता सकें। यह सब हो ही रहा था कि अचानक तेज धमाका हो गया।

तेज धमाके के कारण इमारत के में दरारें आनी शुरू हो गईं और फिर से आग भड़क गई। आग ऊपर के तलों पर फैलने लगी। बेसमेंट में मौजूद बचावकर्मी अभी आग पर काबू करने का प्रयास कर ही रहे थे कि बेसमेंट की छत गिरनी लगी। छत के गिरने की शुरुआत मध्य हिस्से से हुई मध्य हिस्से के गिरने के बाद पीछे के हिस्से में मौजूद कर्मचारी फंस गए। इन्हें फंसता देख अन्य दमकल कर्मचारी इमारत के ढह रहे हिस्से के बीच से रास्ता बनाते हुए फंसे हुए दमकल कर्मचारियों को बाहर निकालने में जुट गए। लेकिन कुछ देर बाद ही पीछे का पूरा हिस्सा ढह गया।

इमारत के अगले हिस्से में मौजूद कर्मचारियों ने इमारत के मध्य और पीछे के हिस्सों में मौजूद कर्मचारियों को बाहर निकालने की कोशिश की लेकिन इसी दौरान आगे का हिस्सा भी गिर गया। यह पूरा हादसा करीब आधे घंटे में हुआ। इसके बाद अंदर फंसे लोगों को बाहर निकालने के अभियान में बचावकर्मी जुट गए।

राजेंद्र सिंह सागर (अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त बाहरी दिल्ली) के मुताबिक, पुलिस ने लापरवाही का मामला दर्ज कर लिया है। मामले की जांच के दौरान इस बात का पता लगाया जाएगा कि यहां बैटरी बनाने का काम होता था या नहीं और क्या फैक्टरी मालिक को बैटरी बनाने की इजाजत थी कि नहीं।

धुएं व मलबे ने मुश्किल किया बचाव कार्य

पीरागढ़ी में आग पर काबू पाने व मलबे में फंसे लोगों को बाहर निकालने से जुड़ा राहत कार्य काफी मुश्किलों भरा था। मौके पर सबसे पहले पुलिस, अग्निशमन व सिविल डिफेंस की टीम पहुंची। जिस जगह आग लगने की घटना हुई उसके पीछे ही दमकल केंद्र है। सबसे पहले यहीं से दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंची। लेकिन बचाव के दौरान जब हालात बेकाबू होने लगे तो एनडीआरएफ की टीम को बुलाया गया। बचाव कार्य में जुटी सभी टीमों का कहना था कि तेज आग, धुआं व मलबे के ढेर के कारण काफी मुश्किलें सामने आई। बचाव कार्य में जुटे दमकल कर्मियों ने बताया कि एक ओर उन्हें जहां खुशी है कि उन्होंने कई लोगों को मौत के मुंह से बाहर निकाला तो दूसरी ओर इस बात का गम है कि उनके एक साथी की मौत हो गई।

एनडीआरएफ के असिस्टेंट कमांडेंट श्रीनिवास ने बताया कि हमारी टीम मौके पर करीब सवा नौ बजे पहुंची। इसके तत्काल बाद हमलोग अंदर फंसे लोगों को ढूंढने में जुट गए। एनडीआरएफ की टीम के लिए सबसे पहले चुनौती इस बात का पता करने की थी कि इमारत में या मलबे के ढेर के नीचे लोग कहां फंसे हैं। इसके लिए सबसे पहले टीम ने श्वान दस्ते का सहारा लिया। इसके बाद एक के बाद एक अंदर फंसे लोगों की जानकारी मिलती गई। इस दौरान बचाव टीम ने लाइफ डिटेक्टर का भी इस्तेमाल किया।

एनडीआरएफ के अधिकारियों ने बताया कि यहां जामनगर हाउस, द्वारका व गाजियाबाद से टीमें बुलाई गई थी। मलबे को हटाने के लिए मौके पर कई लोगों ने जेसीबी मशीनें भेजी ताकि बचाव कार्य में कोई व्यवधान नहीं आए। पुलिस के अनुसार लोगों का इस तरह का सहयोग देखकर बचाव कार्य में जुटे लोगों का उत्साह काफी बढ़ा। अधिकारियों ने बताया कि तमाम इंतजामों के बावजूद सबसे अधिक दिक्कत अमित को मलबे से बाहर निकालने में हुई। लाइफ डिटेक्टर की मदद से यह तो पता लगा लिया था कि अमित इमारत के अगले हिस्से में जमा मलबे के ढेर में फंसे हैं, लेकिन उन तक पहुंचना आसान नहीं था। अमित को निकालने के लिए मलबे को हटाना बेहद जरूरी था, लेकिन इसके पहले यह जरूरी था कि उन्हें ऑक्सीजन मिलती रहे। इसके लिए मलबे के ढेर में एक रास्ता बनाया गया और ऑक्सीजन की पाइपलाइन भेजी गई ताकि वे सांस ले सकें। इस बीच बचाव टीम ने उन्हें मलबे के ढेर से निकाल लिया। पुलिस के अनुसार अमित मलबे में करीब छह घंटे तब फंसे रहे।

घटना की होगी मजिस्ट्रेट जांच, उठ रहे सवाल 

इमारत में आग लगने व इसके ढहने की भयावह घटना के बाद एक सवाल जिसका उत्तर सभी जानना चाह रहे हैं, वह सवाल इमारत में आग से बचाव के उपकरण थे या नहीं, इसे लेकर है। मौके पर मौजूद अग्निशमन विभाग व पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह अभी छानबीन का विषय है।

जो दमकलकर्मी उस हिस्से में बचाव कार्य के दौरान गए थे, अभी वे बयान देने की स्थिति में पूरी तरह नहीं है। एक दमकलकर्मी की मौत से अभी माहौल गमगीन है। एक अन्य समस्या यह है कि फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों के पुलिस ने अभी बयान नहीं लिए हैं। पश्चिमी जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि इस घटना की मजिस्ट्रेट जांच की जाएगी।

उधर बाहरी जिला पुलिस के अतिरिक्त उपायुक्त राजेंद्र सिंह सागर कहा इलाके के तमाम फैक्ट्री मालिकों से आग्रह करेंगे कि वे अग्निशमन से जुड़े तमाम उपाय करें। अग्निशमन विभाग के अधिकारियों से भी इस बात का आग्रह किया जाएगा कि वे इलाके में आग से सुरक्षा के इंतजामों के बावत एक ऑडिट कराएं। इस कार्य में यदि कहीं पुलिस के सहयोग की जरूरत है तो वह उन्हें मुहैया कराया जाएगा।


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