11 साल तक भारत के साथ दुनिया के इस नामी देश को चकमा देता रहा ये शख्स
गुरदीप पहली बार अपने असली पासपोर्ट से वर्ष 1995 में हांगकांग गया था। इसके बाद से वह वहां लगातार आता-जाता रहा। इसके बाद 2008 से फर्जी पासपोर्ट से दिल्ली से हांगकांग का सफर करता रहा।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Indira Gandhi International Airport) पर 81 वर्ष के बुजुर्ग का भेष धारण कर न्यूयार्क जाने की जुगत में पकड़े गए गुजरात के 32 वर्षीय युवक के मामले के ठीक चार दिन बाद ऐसा ही एक और मामला सामने आया है। हांगकांग की नागरिकता हासिल करने के लिए 68 वर्षीय शख्स 89 वर्ष का वृद्ध बन गया था। रूप बदलकर वह हांगकांग जाने में सफल भी हो गया, लेकिन लौटते वक्त गुरुवार को वह आइजीआइ एयरपोर्ट के इमिग्रेशन काउंटर पर पकड़ा गया।
त्वचा देखकर हुआ शक
अधिकारियों को यात्री की उम्र से त्वचा के मेल न खाने से शक हुआ। आरोपित की पहचान पंजाब के मोंगा निवासी गुरदीप सिंह के रूप में हुई है। वह वहां मजदूरी करता था। एजेंट के माध्यम से उसने चड़ीगढ़ में करनैल सिंह के नाम से अपना फर्जी पासपोर्ट बनवाया था।
आइजीआइ एयरपोर्ट पुलिस सहित अन्य एजेंसियां मामले की जांच में जुट गई हैं। आने वाले समय में फर्जीवाड़े में शामिल कई ट्रेवल एजेंटों की गिरफ्तारी संभव है। यह भी जांच की जाएगी कि क्या इसमें इमिग्रेशन अथवा अन्य विभाग के अधिकारियों की भी मिलीभगत तो नहीं है। एयरपोर्ट के पुलिस उपायुक्त संजय भाटिया ने बताया कि 12 सितंबर को करनैल सिंह नाम का एक वृद्ध स्पाइस जेट की उड़ान संख्या एसजी-32 से हांगकांग से दिल्ली आया था। करनैल सिंह के पासपोर्ट की मुताबिक, उसकी उम्र 89 वर्ष थी। जबकि चाल-ढाल और त्वचा से वह इतना वृद्ध नहीं लग रहा था। पुलिस ने जब आरोपित से पूछताछ की तो पता चला कि उसका असली नाम गुरदीप सिंह है और उसकी उम्र 68 वर्ष है।
फर्जी पासपोर्ट के जरिये 2008 से लगातार भारत से हांगकांग आता-जाता रहा
गुरदीप पहली बार अपने असली पासपोर्ट से वर्ष 1995 में हांगकांग गया था। इसके बाद से वह वहां लगातार आता-जाता रहा। वह वहां की नागरिकता (परमानेंट आइडी) पाने की जुगत में लगा था। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, चूंकि अधिक उम्र वालों को हांगकांग की नागरिकता आसानी से मिल जाती है, इसलिए उसने 2006 में चंडीगढ़ के एक एजेंट के जरिये फर्जी पासपोर्ट बनवाया। इसमें फोटो तो उसका ही लगा था, लेकिन बाकी चीजें बदल दी गईं। करनैल सिंह बना गुरदीप 2008 में फर्जी पासपोर्ट के आधार पर हांगकांग चला गया। फर्जी नाम पर उसने वहां की नागरिकता भी हासिल कर ली और भारत आता-जाता रहा। अंतिम बार वह अगस्त 2018 में हांगकांग गया था। पुलिस ने बताया कि वह पगड़ी बांधे रहता था ताकि बाल को देख कोई उस पर शक न कर बैठे।
इतने साल से अधिकारियों की पकड़ में क्यों नहीं आया गुरदीप सिंह
ताजा मामले में गिरफ्तार किया गया आरोपित गुरदीप लगातार हांगकांग आता जाता रहा है। इस दौरान इमिग्रेशन अधिकारियों को उस पर शक क्यों नहीं हुआ। यह एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है।
वृद्ध बना युवक भी पकड़ा गया था
आठ सितंबर को आइजीआइ एयरपोर्ट पर सीआइएसएफ ने 81 वर्ष का बुजुर्ग बनकर न्यूयार्क जाने की कोशिश कर रहे गुजरात के अहमदाबाद निवासी 32 वर्षीय जयेश को दबोचा था। सुरक्षा कर्मियों को धोखा देने के लिए उसने व्हील चेयर ले रखी थी। उसने चेहरे पर वृद्ध का मेकअप किया था। शरीर के अन्य अंगों की त्वचा से चेहरे की त्वचा मेल नहीं खाने के कारण एयरपोर्ट पर सुरक्षाकर्मियों को यात्री पर शक हुआ। जिसके बाद उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। उसने भी एजेंट के माध्यम से वृद्ध के नाम से फर्जी पासपोर्ट और यात्र दस्तावेज बना रखे थे।
32 साल का युवक 81 साल का बनके जा रहा था विदेश
आइजीआइ एयरपोर्ट पर 81 वर्ष के बुजुर्ग के मेकअप में 32 वर्ष के युवक के विदेश जाने के प्रयास और हांगकांग से भारत आए 89 वर्षीय वृद्ध के भेष में बुजुर्ग के पुलिस द्वारा पकड़े जाने के मामले में ट्रेवल एजेंट और अन्य संबंधित विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत सामने आ रही है। अधिकारियों के अनुसार, जांच में कई गंभीर बातें सामने आई हैं। इस फर्जीवाड़े में पुलिस की स्पेशल ब्रांच, पासपोर्ट आफिस और इमिग्रेशन विभाग के अधिकारियों के भी शामिल होने की आशंका है। पुलिस दिल्ली व पंजाब सहित देश भर में सक्रिय ट्रेवल एजेंटों की जानकारी खंगाल रही है।
जयेश पटेल में पकड़ा गया था इसी हफ्ते
एयरपोर्ट अधिकारियों के मुताबिक विदेश जाने की जुगत में लगे गुजरात के अहमदाबाद के निवासी जयेश ने दिल्ली से फर्जी नाम और पते पर पासपोर्ट बनवाया था। जिस पते पर पासपोर्ट बनाया गया है वह कालकाजी का है। एजेंट और अधिकारियों के गठजोड़ की वजह से जयेश का अमरीक सिंह के फर्जी नाम वाला पासपोर्ट मात्र 24 घंटे के अंदर बन गया था। जयेश ने इस पासपोर्ट के लिए इसी वर्ष 20 अगस्त को आवेदन किया था। अगले ही दिन न केवल यह पासपोर्ट बना गया बल्कि जयेश को प्राप्त भी हो गया। सामान्य प्रक्रिया से यह पासपोर्ट बनाया गया था। जबकि जयेश ने पासपोर्ट बनाने के लिए तत्काल का कोई आवेदन नहीं दिया था।
पुलिस की जांच में सामने आया है कि फर्जी नाम पर पासपोर्ट बनाने के लिए 30 लाख रुपये में सौदा हुआ था। अधिकारियों के मुताबिक, पासपोर्ट बनवाने के लिए दो पड़ोसी गवाह की जरूरत होती है। उनसे पूछताछ और हस्ताक्षर के बाद पासपोर्ट बनाया जाता है। लेकिन, इस मामले में किसी भी गवाह के हस्ताक्षर नहीं लिए गए। यही नहीं फिंगर पिंट व अन्य जानकारी के मामले में भी लापरवाही बरते जाने की बात सामने आई है। जयेश को अमेरिका का वीजा भी मिल गया था। उधर पासपोर्ट बनाने के लिए जयेश की पुलिस जांच करने वाले अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। फिलहाल मामले की जांच जारी है। रिपोर्ट आने के बाद अधिकारी के खिलाफ और कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
इस मामले में पुलिस की अब तक की जांच में दिल्ली के ट्रेवल सिद्धू सहित गणोश और उसके दो साथियों की संलिप्तता सामने आई है। फिलहाल सभी एजेंट फरार हैं। उनके खिलाफ लुकआउट सकरुलर जारी कर दिया गया है। एजेंटों के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए जयेश से पूछताछ की जा रही है।
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