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Delhi: कोरोना योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा 'राष्ट्रीय कोविड मेमोरियल'

कुछ जागरूक लोगों ने मिलकर राष्ट्रीय कोविड मेमोरियल नामक वर्चुअल मंच बनाया है। इस मंच पर लोग अपने परिजनों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही उनकी यादों को दूसरे लोगों के साथ बांट भी सकते हैं। यह मेमोरियल तीन महीने पहले ही अस्तित्व में आया है।

By Jp YadavEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 11:21 AM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 11:21 AM (IST)
इस मंच से एक स्टार्टअप चलाने वाले दिल्ली के प्रमोद भसीन भी जुड़े हुए हैं।

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। कोरोना ने ऐसी हाहाकार स्थिति पैदा की है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। इसने ना भूल पाने वाले असाधारण जख्म दिए हैं। कोरोना प्रोटोकाल के चलते लोगों को अपनों के अंतिम दर्शन तक का मौका नहीं मिल रहा है। कहीं, अपने भी इनमें गुम होकर महज आंकड़े ना रह जाए, इसलिए कुछ जागरूक लोगों ने मिलकर 'राष्ट्रीय कोविड मेमोरियल' नामक वर्चुअल मंच बनाया है। इस मंच पर लोग अपने परिजनों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही उनकी यादों को दूसरे लोगों के साथ बांट भी सकते हैं। यह मेमोरियल तीन महीने पहले ही अस्तित्व में आया है। अब तक एक हजार से अधिक लोग इस मंच पर आकर अपने किसी 'खास' की यादों को साझा कर चुके हैं।

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कोरोना में जान गंवाने वाले योद्धा के समान इस वर्चुअल मंच के संस्थापकों में से एक कोलकाता के अभिजीत चौधरी कहते हैं कि इस वैश्विक महामारी को तीसरा विश्व युद्ध कहा जा रहा है। करोड़ों लोग इसकी जद में आ चुके हैं। लाखों लोग दम तोड़ चुके हैं। इसमें जान गंवाने लोग किसी योद्धा के समान है और योद्धाओं का स्मारक होना चाहिए। इसी के चलते इस स्मारक का विचार आया। वह कहते हैं कि पिछले वर्ष कोविड में जब उन्होंने लोगों के बीच सहायता कार्य शुरू किया तो वहां के दृश्य देखकर बहुत पीड़ा हुई। जिनके घर के लोग कोरोना के चलते जान गंवा रहे हैं, वह असाधारण पीड़ा में है। एक तो कोई उनका अपना चला गया है, दूसरे उन्हें अपनी भावनाएं साझा करने तथा श्रद्धांजलि अर्पित करने तक का मौका नहीं मिल रहा है। समाज से भी संबल नहीं मिल रहा है। यह स्थिति देखकर विचार आया कि लोग वर्चुअल माध्यम से तो अपनी भावनाएं व्यक्त करने के साथ दूसरे के दर्द के साथ जुड़ सकते हैं।

यह दौर भी जाएगा

इस मंच से एक स्टार्टअप चलाने वाले दिल्ली के प्रमोद भसीन भी जुड़े हुए हैं। भसीन कहते हैं कि यह दौर भी जाएगा, लेकिन 15-20 साल बाद जब लोग इसके बारे में जानना चाहेंगे तो ये वर्चुअल स्मारक आज की त्रासदी से सीधा जोड़ेगा। यह पूरी तरह निश्शुल्क है। यह ठीक है कि अपनों की यादों को साझा करने में शब्द कम पड़ जाएंगे, लेकिन हम लोगों से आग्रह कर रहे हैं कि वह 200 शब्द और एक फोटो के साथ अपनी यादें साझा कर श्रद्धांजलि अर्पित करें।


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