ASI की अनदेखी से ढह रहीं हैं ऐतिहासिक धरोहरें, 776 स्मारकों की कोई सुध लेने वाला ही नहीं
एएसआइ अपने 174 स्मारकों के संरक्षण को लेकर भी गंभीर नहीं है।
नई दिल्ली (वीके शुक्ला)। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) और विभिन्न एजेंसियों की अनदेखी से राजधानी में मौजूद धरोहरें ढह रहीं हैं। कहीं संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है तो कहीं वे जमीन में ही दबी हुई हैं। धरोहरों को लेकर किस तरह की उदासीनता है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दिल्ली में करीब बारह सौ स्मारकों में से 174 ही एएसआइ के पास संरक्षित हैं, जबकि 250 को दिल्ली सरकार ने संरक्षित करने की तैयारी शुरू की है।
दिल्ली में 776 ऐसे स्मारक हैं, जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। इनमें कई हवेलियां भी शामिल हैं। ये हवेलियां पुरातात्विक धरोहर की सूची में हैं, लेकिन इन्हें तोड़कर नष्ट करने का सिलसिला जारी है। पिछले कई साल में कुछ गायब हो चुकी हैं तो कई में अवैध निर्माण हो चुका है।
नगर निगम की आंख अदालत के आदेश के बाद खुलती है। कई स्मारक सूचीबद्ध ही नहीं हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो महरौली स्थित आर्कियोलॉजिकल पार्क में ही बीस साल में करीब आधा दर्जन स्मारक नष्ट हो चुके हैं। कुछ ढहने की कगार पर हैं।
इस पार्क की जमीन डीडीए की है, जबकि स्मारक एएसआइ और डीडीए दोनों के पास हैं। कुछ साल पहले उपराज्यपाल ने इस पार्क के स्मारकों की दशा सुधारने की योजना की घोषणा की थी, लेकिन स्मारकों की दशा अब भी खराब है।
एएसआइ के स्मारकों की भी दशा ठीक नहीं है। वर्षों से उनका संरक्षण नहीं कराया गया है। ढह रहे कुछ स्मारकों के बारे में आज तक यह पता नहीं किया गया कि इन्हें किसने बनाया था। एएसआइ अपने 174 स्मारकों के संरक्षण को लेकर भी गंभीर नहीं है।
महरौली स्थित लालकोट की दीवार कहने के लिए एएसआइ के पास संरक्षित है, लेकिन दीवार जमीन में ही दबी है। संजय वन के दूसरे भाग में स्थित इस दीवार का कुछ हिस्सा दिखता भी है, लेकिन अनदेखी के कारण यह ढह रही है। लालकोट राजपूत राजा अनंगपाल के महल की चारदीवारी है।
जफर महल में भी काफी समय से संरक्षण कार्य नहीं कराया गया है। इसके मुख्य गेट के साथ ही अंदर के भागों में भी बहुत कार्य कराने की जरूरत है। हस्तसाल स्थित हस्तसाल मीनार दिल्ली सरकार की उपेक्षा की शिकार है। पंचशील एंक्लेव स्थित खरबूजे का गुंबद की भी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
वहीं एएसआइ के प्रवक्ता डॉ. डीएन डिमरी का कहना है कि एएसआइ के तहत आने वाले सभी स्मारकों पर पूरा ध्यान दिया जाता है। साल भर स्मारकों की निगरानी होती है और जरूरत के हिसाब से संरक्षण कार्य कराया जाता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कई स्मारक एएसआइ के अंतर्गत नहीं आते हैं, जिनके बारे में वह कुछ नहीं कह सकते हैं।