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कोरोना के बारे में अब क्या सोचते हैं दिल्ली के पहले मरीज रोहित, पढ़ें उन्हीं की जुबानी

पेशे से कारोबारी 46 वर्षीय रोहित उन दिनों को याद करते हुए आज भी सिहर उठते हैं। वह कहते हैं कि एक साल पहले कोरोना की वजह से एक घना अंधेरा था। न कोई दवा थी न ही इससे बचने के उपाय।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 10:23 AM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 10:23 AM (IST)
कोरोना के बारे में अब क्या सोचते हैं दिल्ली के पहले मरीज रोहित, पढ़ें उन्हीं की जुबानी
दिल्ली के पहले कोरोना मरीज रोहित दत्ता की फाइल फोटो

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पिछले साल मार्च की शुरुआत में ही दिल्ली में कोरोना ने दस्तक दे दी थी। इसके पहले शिकार थे रोहित दत्ता। पेशे से कारोबारी 46 वर्षीय रोहित उन दिनों को याद करते हुए आज भी सिहर उठते हैं। वह कहते हैं कि एक साल पहले कोरोना की वजह से एक घना अंधेरा था। न कोई दवा थी, न ही इससे बचने के उपाय। यह अच्छी बात है कि एक साल के बाद अब हम लोग उजाले में आ चुके हैं।

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कोरोना के प्रभाव को कम करने वाली दवाएं आ चुकी हैं। टीकाकरण पूरे देश में शुरू हो चुका है। हजारों लोगों को टीका लग चुका है। जल्द ही यह आंकड़ा लाखों में और फिर करोड़ों में भी पहुंच जाएगा। कोरोना के खात्मे में यह सबसे बड़ी उम्मीद हम सबके सामने हैं। टेक्निकल टेक्सटाइल के कारोबारी मयूर विहार फेज-दो निवासी रोहित ने बताया कि वह कारोबार के सिलसिले में पिछले साल फरवरी में इटली गए थे। 25 फरवरी को वापस लौटे तो हल्का बुखार हुआ।

नजदीकी डॉक्टर के पास पहुंचे और दवा ली, लेकिन दवा का असर नहीं हुआ। 29 फरवरी को राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे। यहां कोरोना की जांच हुई। दो मार्च को रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद सफदरजंग अस्पताल में वह भर्ती हुए। उन्होंने कहा कि डाक्टरों का व्यवहार ऐसा था कि उनके प्रति मेरे मन में जो नकारात्मक विचार थे, सब बदल गए। ऐसे समय में जब कोई आपको पानी नहीं पूछता। वहां के एक डॉक्टर अपने पैसे से खरीदकर मेरे लिए जूस लेकर आ गए। 

लोगों से टीकाकरण अभियान को सफल बनाने की अपील

डॉक्टरों ने यह विश्वास दिला दिया कि मैं यहां से स्वस्थ होकर घर जाऊंगा। घर लौट भी गया, लेकिन डर खत्म नहीं हो रहा था। इसके अलावा कई लोगों की नजरों में गुनहगार भी बना हुआ था। कुछ मान रहे थे कि दिल्ली में कोरोना की वजह मैं ही हूं। हालांकि, समय के साथ कई लोगों के विचार बदल गए। अच्छी बात यह रही कि मेरी वजह से कोई संक्रमित नहीं हुआ। सरकार ने काफी तेजी के साथ इस पर काम किया और आज टीकाकरण का अभियान चल रहा है। 

रोहित दत्ता का कहना है कि हमारे देश ने इस लड़ाई को सबसे बेहतर तरीके से लड़ा। हम दूसरे देशों को टीका भेज रहे हैं। उन्होंने कहा कि टीका के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहा हूं। उन्होंने लोगों से भी अपील की कि टीका लगवाएं।


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