80 साल की उम्र में शुरू किया व्यवसाय, घरेलू महिलाओं के लिए मिसाल हैं उषा दादी
रसिका बताती है कि उनकी सास के द्वारा बनाएं गए व्यंजनों में एक अलग ही स्वाद है। घर पर तो उनके हाथ के बने खाने का हर कोई मुरीद है।
नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। हाथ कांपते है लेकिन उन हाथों में जोश किसी युवा सा है। कदम डगमगाते है लेकिन उन कदमों में बरसों के अनुभव की गहरी छाप है। आमतौर पर जिस उम्र में लोग आराम से जिंदगी बसर करने की ख्वाहिश रखते है उस उम्र में खुद का बिजनेस शुरु कर लाखों लोगो को अपने अचार का स्वाद चखा रही हैं
राजधानी दिल्ली की रहने वाली 82 साल की ऊषा चौबे। वो घरेलू महिलाओं के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता की जीती जागती मिसाल हैं उन तमाम लोगों के लिए जो अपनी अधूरी तमन्नाओं को पूरा करना चाहते हैं, चाहे उम्र जो भी हों।
ये है ऊषा की कारोबारी बनने की कहानी
ऊषा चौबे की कारोबारी बनने की कहानी शुरु होती है दो साल, पहले जब उनकी बहू रसिका चौबे ने उनसे पूछा की क्या ऐसी कोई हसरत है उनकी जो अब तक पूरी नहीं हुई हो। तब ऊषा ने पूरी जिंदगी अपने दम पर एक पैसा भी नहीं कमाने का मलाल होने की बात कही थी। बस यही बात रसिका के मानों दिल पर लग गई और उन्होंने अपनी सास के सपने को साकार करने की ठानी।
रसिका बताती है कि उनकी सास के द्वारा बनाएं गए व्यंजनों में एक अलग ही स्वाद है। घर पर तो उनके हाथ के बने खाने का हर कोई मुरीद है, बस उनके सपने को पूरा करने को लिए घर के किचन को ही स्टार्ट अप फैक्ट्री का रुप दे दिया।
60 साल पुरानी दोस्त के साथ शुरु हुआ था सफर
ऊषा बताती है दो साल पहले जब उनकी बहू रसिका और बेटी निशी और प्रीति ने इस काम को शुरु करने के लिए कहा तो उन्होंने उस वक्त अपनी 60 साल पुरानी दोस्त अन्नपूर्णा भार्गव का साथ मांगा। दोनो ने अचार, गिफ्ट, फोटो फ्रेम, घर में सजाने का समान से लेकर और भी अन्य सामग्री को भी हाथ से बना कर बेचना शुरु किया।
ऊषा के व्यापार की शुरुआत भले ही नई है लेकिन तजुर्बा समझो बहुत पुराना। उनके हाथ के बने लाल मिर्ची और नीबू के अचार का स्वाद लोगों को इतना पसंद आया कि शुरुआत में तो उन्हें आस पास के लोगो से अच्छे आर्डर मिलने लगे। ऊषा बताती है की उन्होंने अपने परिवार की एक शादी समारोह की रस्मों में कई तोहफे और मिठाईयां खुद ही तैयार की थी।
लॉकडाउन में पोते ने शुरु की एंटरप्रेन्योर एट एट्टी' वेबसाइट
ऊषा को अपने हाथ का अचार लोगो को चखाना बहुत पसंद है लेकिन लॉकडाउन में जब सब अपने घरों में कैद हो गए तो यह संभव नहीं हो पा रहा था। ऐसे में उनके पोते अर्नव ने 'एंटरप्रेन्योर एट एट्टी' (अस्सी में उद्यमी) वेबसाइट शुरु की। वो बताती है कि इससे उनका अच्छा समय कट जाता है।
वो बताती है की अचार तो ऑनलाइन लोगो के लिए उपलब्ध है लेकिन ऐसी कई नमकीन, मिठाई और लड्डू, जैम और जेली है जिसे वो अपने आस-पड़ोस में रहने वालों की स्पेशल डिमांड पर जरुर बनाती है। और हर चीज में वो क्वालिटी का बहुत ध्यान रखती हैं। उन्होंने अपने इस स्टार्टअप में सात महिलाओं को भी जोड़ा। ये महिलाएं न केवल कुछ पैसे कमाती हैं बल्कि अपनी रचनात्मकता को आगे लाने का भी मौका पाती हैं। इन सबसे बढ़कर, इन सभी में एक आत्मसम्मान बढ़ा है।