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किस्मत से हार गया देश का यह प्रिंसः उसका सपना तो साकार हुआ, लेकिन मौत के बाद...

परिवार के लोगों ने इलाज कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन 29 अक्टूबर को उनकी मृत्यु हो गई।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 15 May 2018 01:59 PM (IST)Updated: Wed, 16 May 2018 09:53 AM (IST)
किस्मत से हार गया देश का यह प्रिंसः उसका सपना तो साकार हुआ, लेकिन मौत के बाद...
किस्मत से हार गया देश का यह प्रिंसः उसका सपना तो साकार हुआ, लेकिन मौत के बाद...

गुरुग्राम (आदित्य राज)। कहते हैं कि किस्मत पर किसका जोर चलता है...तभी यह शेर 'कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता कहीं ज़मीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता' लोगों के दिलों को छू जाता है। ठीक ऐसा ही हुआ दिल्ली से सटे गुरुग्राम के रहने वाले प्रिंस के साथ, जो अब इस दुनिया में ही नहीं हैं। दरअसल, अशोक विहार निवासी प्रिंस गुप्ता का इसरो में साइंटिस्ट बनने का सपना साकार तो हुआ, लेकिन मौत के बाद। डेंगू की चपेट में आने से उनकी पिछले वर्ष मौत हो गई थी। इससे पहले प्रिंस ने इसरो में साइंटिस्ट बनने के लिए परीक्षा दी थी। 12 मई को इसरो से लेटर पहुंचा,जिसमें लिखा था- आप 27 मई को साइंटिस्ट के रूप में ज्वाइन करें। परिवार में उनकी इस उपलब्धि को लेकर जहां खुशी है, वहीं गम है कि काश वह जिंदा होते।

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मूल रूप से नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका निवासी नरेश कुमार गुप्ता परिवार सहित गुरुग्राम के अशोक विहार में रहते हैं। उनकी प्रिंटिंग प्रेस है। उनके इकलौते बेटे प्रिंस गुप्ता ने सर छोटूराम यूनिवर्सिटी मुरथल, सोनीपत से बी.टेक करने के साथ ही पिछले वर्ष आइईएस की परीक्षा दी। उसमें वह चार नंबर से रह गए थे। इसके बाद वह इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन) में साइंटिस्ट बनने के लिए परीक्षा में शामिल हुए। लिखित परीक्षा 7 मई 2017 को हुई थी, जबकि इंटरव्यू 24 सितंबर 2017 को हुआ था।

प्रिंस परीक्षा देने के बाद राजस्थान के अलवर के गांव मालाखेड़ा स्थित अपने ननिहाल चले गए थे। दीपावली में पूरा परिवार एक ही जगह रहे, इसके लिए पिता ने उन्हें गुरुग्राम बुला लिया था। कुछ दिन बाद 26 अक्टूबर की रात उन्हें तेज बुखार आया तो नजदीक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। जांच में डेंगू निकला। परिवार के लोगों ने इलाज कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन 29 अक्टूबर को उनकी मृत्यु हो गई।

भूल गए थे कि बेटे ने परीक्षा भी दी थी

इसरो की तरफ से 12 मई को जैसे ही ज्वाइनिंग लेटर पहुंचा फिर परिजनों को ध्यान में आया कि प्रिंस ने परीक्षा दी थी। लेटर देखने के बाद से एक बार फिर पूरा परिवार गम में डूब गया। प्रिंस के चाचा आकाश गुप्ता ने बताया कि प्रिंस बचपन से ही इंजीनियर या साइंटिस्ट बनना चाहता था। इसके लिए 18 से 20 घंटे पढ़ाई करता था। पढ़ाई पर असर पड़ने के डर से वह किसी समारोह तक में शामिल नहीं होता था।

प्रिंस ने पहली से लेकर बारहवीं कक्षा तक प्रथम श्रेणी से पास किया। केमिस्ट्री एवं फिजिक्स में उन्हें महारत हासिल थी। कोई भी कहीं से उनसे सवाल पूछ सकता था। पूरे परिवार को उनके ऊपर नाज था। यदि वह जिंदा होते तो आज पूरे परिवार में जश्न होता। दुख है कि उनका सपना साकार हो गया, लेकिन मौत के बाद।


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