तीन साल पहले हुए ट्रेन धमाके में खुरासान मॉड्यूल का आया था नाम
भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में तीन साल पहले 7 मार्च को धमाके में आइएस (इस्लामिक स्टेट) के खुरासान मॉड्यूल का नाम आया था। उस समय यह आइएस का देश में पहला हमला था।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में तीन साल पहले 7 मार्च को धमाके में आइएस (इस्लामिक स्टेट) के खुरासान मॉड्यूल का नाम आया था। उस समय यह आइएस का देश में पहला हमला था। इस हमले के बाद मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश पुलिस ने संयुक्त रूप से आठ आतंकियों की गिरफ्तारी की थी, जबकि एक आतंकी कानपुर के जाजमऊ क्षेत्र निवासी सैफुल्ला को दस घंटे के ऑपरेशन के बाद उत्तर प्रदेश की एटीएस ने लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में एक घर में मार गिराया था। आतंकियों से पूछताछ में सामने आया था कि उनकी 20 दिन बाद यूपी के बाराबंकी जिले में भी भीड़भाड़ वाले इलाके में धमाका करने की योजना थी।
ट्रेन पर हुए हमले के मास्टरमाइंड की पहचान आतिफ मुजफ्फर उर्फ अल-कासिम के रूप में हुई थी जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग का छात्र था। वह टेलीग्राम मैसेजिंग एप से आइएस के विदेशी आतंकियों के संपर्क में रहता था। वह खुद को भारत में खुरासान मॉड्यूल का प्रमुख बताता था।
मध्य प्रदेश पुलिस के पास तीनों आतंकियों के सीसीटीवी फुटेज थे, जिसमें आतिफ, दानिश और मीर हुसैन भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन से निकलते दिखाई दे रहे थे। इसके बाद आतिफ को कानपुर निवासी दानिश अख्तर उर्फ जफर और सैयद मीर हुसैन उर्फ हम्जा के साथ मध्य प्रदेश एटीएस ने मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में पिपरिया के पास एक बस से गिरफ्तार किया था। पुलिस अधिकारियों को आतिफ के कब्जे से फोन भी मिला था, जिससे उसने ट्रेन में बम रखने की फोटो भी भेजी थी।
अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर स्थित खुरासान मॉड्यूल सक्रिय
पुलिस के अनुसार, आतिफ ने भोपाल रेलवे स्टेशन पर पैसेंजर ट्रेन में टाइमर बम रखा था। ट्रेन जब शाजापुर जिले के जाबड़ी स्टेशन पर पहुंची थी तो उसमें विस्फोट हो गया था और दस लोग घायल हो गए थे। गिरफ्तार आतंकियों से पूछताछ में पता चला था कि अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर स्थित खुरासान मॉड्यूल दूसरे क्षेत्रों में विस्तार कर रहा है। वह लड़ाकों की भर्ती कर रहा है ताकि भारत में और हमलों को अंजाम दिया जा सके। मध्य प्रदेश में पैसेंजर ट्रेन में हुए हमले से पहले भी आइएस आतंकियों ने दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु व हैदराबाद में हमले की कोशिश की थी, लेकिन वे सफल नहीं हो सके थे।
छह सोशल मीडिया फ्लेटफार्म पर बना रखे थे कई अकाउंट
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के हत्थे चढ़े आइएस से जुड़े आतंकी जहनजैब सामी और उसकी पत्नी हिना बशीर बेग बेहद शातिर हैं। दोनों ने सीएए के विरोध में चल रहे आंदोलन से मुस्लिम युवाओं को जोड़ने के लिए फेसबुक, थ्रेमा, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम व ट्विटर सहित छह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर करीब 12 अकाउंट बना रखे हैं। इसासे वे गैर-मुस्लिमों के खिलाफ नफरत की अपनी विचारधारा का प्रचार करते थे और मुसलमानों को हिंसक संघर्ष के लिए भी उकसा रहे थे। यह दंपती इंडियन मुस्लिम यूनाइटेड के नाम से सोशल मीडिया पर पेज बनाकर सीएए विरोधी अभियान भी चला रहा था।
पति-पत्नी दोनों ही हैं शातिर
36 वर्षीय सामी व 39 वर्षीय हिना की पिछले साल ही शादी हुई है। पूछताछ में सामी ने बताया कि आइएस की मैगजीन स्वाट अल हिंद के फरवरी का संस्करण निकालने में उसकी अहम भूमिका थी। इसी मैगजीन में यह बात प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी कि भारत में सीएए कानून के चलते मुस्लिम काफी गुस्से में हैं।