India China Border Tension: चीन को सबक सिखाने की तैयारी में दिल्ली का ऑटो पार्ट्स बाजार
कारोबारियों का साफ मानना है कि चीन से हम सामान मंगाते हैं तो हमारे पैसे का इस्तेमाल वह हमारे खिलाफ ही करता है। यह उसकी नियत है।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। भारत के साथ संबंध सुधारने की गरज से चीनी सेना बॉर्डर से भले ही पीछे हट रही हो, पर दिल्ली के बाजारों ने इस पूरे प्रकरण को एक सबक के तौर पर लिया है। कारोबारियों का साफ मानना है कि चीन से हम सामान मंगाते हैं तो हमारे पैसे का इस्तेमाल वह हमारे खिलाफ ही करता है। यह उसकी नियत है। इसलिए अब उस पर भरोसा मुनासिब नहीं होगा। इस बार कड़े फैसले लेकर उस पर अमल करने का समय है। इसलिए कुछ बाजारों ने चीन से आयात पूरी तरह बंद कर दिया है तो देसी उत्पादों को बढ़ावा देने तथा दूसरे देशों से आयात की संभावनाएं तलाश रहे हैं। कश्मीरी गेट से मोरी गेट तक तकरीबन 30 हजार दुकानों में ऑटो, ट्रक व ट्रैक्टर का पार्ट्स का कारोबार होता है। यहां तकरीबन 30 फीसद भागीदारी चीनी उत्पादों की है। बाकी 50 फीसद उत्पाद देसी है। बाकी में यूरोप समेत अन्य देशों के उत्पाद खपते हैं। यहां से देसी उत्पाद देश के विभिन्न कोनों के साथ दूसरे देशों में भी जाते हैं। अब इन बाजारों में चीन से आयात करीब-करीब बंद है।
कश्मीरी गेट के ऑटो पार्ट्स मार्केट में मुश्किल से 10 फीसद आयात रह गया है। इन सामानों के आर्डर लॉकडाउन के पहले दिए गए थे। कारोबारियों के मुताबिक अब आगे आयात नहीं होगा, वहीं मोरी गेट ट्रैक्टर पार्ट्स मार्केट ने पूरी तरह से आयात बंद कर दिया है। देसी उत्पाद पर जोर यहां के कारोबारी देसी उत्पादों पर जोर देने लगे हैं। देसी उत्पाद नरेला, बवाना, वजीरपुर व आनंद पर्वत औद्योगिक क्षेत्रों में बनते हैं तो नोएडा, गाजियाबाद, साहिबाबाद, राई, गुरुग्राम, मानेसर सोनीपत और पंजाब के भी कुछ जिलों में ऑटो पार्ट्स बनते हैं। अब कश्मीरी गेट व मोरी गेट के कारोबारी इन देसी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके साथ ही उन्हें नए आर्डर दिए जा रहे हैं। विकल्पों पर भी जोर इसके साथ ही तात्कालिक तौर पर विकल्पों पर भी विचार चल रहा है, जिसमें चीन की जगह ताइवान, इथोपिया, रोमानिया व जापान जैसे देशों से मोटर उपकरण मंगवाने पर है। यहां से आयात थोड़ा महंगा पड़ेगा, पर गुणवत्ता में यहां के उत्पाद चीन से कहीं आगे हैं।
जमीन, श्रम और बाजार उपलब्ध, फिर किसकी चिंता कारोबारियों का साफ कहना है कि हम खुद ही बड़ा बाजार हैं। यहां जमीन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। श्रम भी काफी है। बस उत्पादन की बात है। अगर नई तकनीकी के साथ उत्पादन शुरू कर दें तो एक समय के बाद हम पूरे विश्व को सामान उपलब्ध कराने की स्थिति में हैं। इसके लिए वे सरकारों से ईमानदारी भरा प्रयास चाहते हैं। ऐसी नीति बने, जिसमें नया उद्योग लगाने में कोई परेशानी न आए, बल्कि उन्हें प्रोत्साहित किया जाए। जरूरी आर्थिक व तकनीकी मदद की जाए।
निरंजन पोद्दार (अध्यक्ष, ऑटोमोटिव एवं जनरल ट्रेडर्स एसोसिएशन) की मानें तो यह बात व्यापारियों को समझ में आ गई है कि हमारे पैसे से ही चीन हमारे सैनिकों को लहूलुहान कर रहा है और हमें धौंस दिखा रहा है। इसलिए चीन से आयात को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। इसकी जगह दूसरे देशों और देसी उत्पादों पर जोर दिया जा रहा है। सरकार को भी इस दिशा से गंभीरता से प्रयास करना होगा।
विनय नारंग (महासचिव, ऑटोमोटिव पार्ट्स मर्चेंट एसोसिएशन, कश्मीरी गेट) का कहना है कि मोरी गेट खास बात यह है कि खरीदारों में भी चीन उत्पादों के खिलाफ जागरूकता देखने को मिल रही है। लोग देसी उत्पादों को तरजीह दे रहे हैं। कई दुकानदारों ने भी चीनी उत्पादों की बिक्री नहीं करने का फैसला किया है। देसी उत्पाद चीन से लाख गुना अच्छे हैं। जरूरी है कि केंद्र सरकार इस दिशा में गंभीरता से आगे बढ़े। ऐसा न हो कि कुछ दिनों का चीनी विरोध हो। फिर आयात शुरू कर दिया जाए।