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'आप' के सर्वे को कपिल मिश्रा ने बताया फर्जी, बोले- ये सीएम केजरीवाल की चाल है

कपिल ने कहा कि सर्वे केजरीवाल की चाल है। यदि इसमें सच्चाई है तो अरविंद केजरीवाल सार्वजनिक करें कि किस एजेंसी से सर्वे कराया गया। कितने लोगों को सर्वे में शामिल किया गया है।

By Edited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 09:24 PM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 10:49 PM (IST)
'आप' के सर्वे को कपिल मिश्रा ने बताया फर्जी, बोले- ये सीएम केजरीवाल की चाल है

नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। आम आदमी पार्टी (आप) ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सर्वे जारी कर दिल्ली में चार सीटें जीतने का दावा किया है। अब इस सर्वे पर सवाल उठ रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि जो 'आप' कुछ माह पहले तक लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के लिए आतुर थी, वही अब कांग्रेस को लड़ाई में भी नहीं बता रही है। 'आप' अपने को चार सीटें दे रही है, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक सभी चुनावों वे उसकी बुरी तरह हार हुई है।

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फर्जी सर्वे जारी करवाते हैं केजरीवाल 

दिल्ली के पूर्व मंत्री व 'आप' के नाराज विधायक कपिल मिश्रा कहते हैं कि यह सर्वे फर्जी है। केजरीवाल किसी भी चुनाव से पहले ऐसे सर्वे जारी करवाते हैं। पंजाब व गोवा विधानसभा चुनाव से पहले भी जीत के सर्वे जारी कराए गए थे। वर्ष 2016 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव (डूसू) में 'आप' ने दावा किया था वह चुनाव जीत रही है, लेकिन उसकी हार हुई। इसके लिए ईवीएम को जिम्मेदार ठहराया गया।

चाल है केजरीवाल का सर्वे 

कपिल ने कहा कि यह सर्वे केजरीवाल की चाल है। यदि इसमें सच्चाई है तो अरविंद केजरीवाल सार्वजनिक करें कि किस एजेंसी से सर्वे कराया गया। कितने लोगों को सर्वे में शामिल किया गया है। दिल्ली में फरवरी 2015 में पूर्ण बहुमत से काबिज आम आदमी पार्टी (आप) ने 2017 में मेघालय की 60 विधानसभा सीटों में से 35 पर चुनाव लड़ा था। नगालैंड में सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही थी।

ऐसा रहा है 'आप' का हाल 

कपिल मिश्रा की मानें तो 'आप' मेघालय में केवल छह सीटों पर ही प्रत्याशी उतार सकी। सभी छह सीटों को मिलाकर उसे 1140 वोट मिले। इससे अधिक नोटा पर वोट पड़ गए। नगालैंड में भी 'आप' को कुल मिलाकर 7355 वोट मिले। इससे पहले 27 फरवरी को पंजाब के लुधियाना में नगर निगम के 95 वार्ड के हुए चुनाव में भी 'आप' औंधे मुंह गिरी थी। केवल एक सीट पर जीत हासिल हुई थी।

'आप' को मिली हार 

नवंबर 2017 में हुए उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के समय भी 'आप' हार गई। आम आदमी पार्टी गुजरात विधानसभा चुनाव हारी है। गुजरात में एक भी सीट नहीं मिली। इससे पहले 'आप' पंजाब विधानसभा चुनाव हार चुकी है। गोवा विधानसभा चुनाव में 'आप' की सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी। दिल्ली नगर निगम चुनाव भी 'आप' बुरी तरह हार चुकी है।

वर्ष 2013 में पहली बार उतरी थी चुनाव मैदान में

वर्ष 2012 में पार्टी के गठन के बाद से दिल्ली की राजनीतिक स्थिति का आंकलन करें तो 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनावी मैदान में आई आम आदमी पार्टी को 29.49 फीसद वोट मिले थे। इसके बाद 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में 'आप' का वोटिंग फीसद 25 से बढ़ कर 54.3 हो गया।

जीत के दावे पर सवाल 

एमसीडी चुनाव में 'आप' दूसरे स्थान पर रही है, जबकि कांग्रेस तीसरे स्थान पर चली गई है। 'आप' को 45 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 30 सीटों पर ही सिमट गई। इसके बाद 'आप' ने केवल बवाना विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल की है। ऐसे में 'आप' द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव के लिए किए जा रहे जीत के दावे पर सवाल खड़े हो रहे हैं।


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