ब्लड डोनेट करना है तो जंक फूड से करें परहेज, वरना यह काम कभी नहीं कर पाएंगे आप
हीमोग्लोबिन की कमी के कारण अधिकतर लोग रक्तदान करने में सक्षम नहीं हैं। इसके कई कारण हैं। पहला पेट में कीड़ा और दूसरा प्रमख कारण है एनीमिया।
नई दिल्ली (मनीषा गर्ग)। जंक फूड का अधिक सेवन रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी का मुख्य कारण बन रहा है। दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) अस्पताल में ब्लड बैंक की विभागाध्यक्ष डॉ. मौसमी स्वामी ने बताया कि हीमोग्लोबिन की कमी के कारण अधिकतर लोग रक्तदान करने में सक्षम नहीं हैं। इसके कई कारण हैं। पहला पेट में कीड़ा और दूसरा प्रमख कारण है एनीमिया। सुबह नाश्ता नहीं करना और दोपहर व रात के खाने में जंक फूड से ही काम चला लेना मुख्य कारण हैं। इसके चलते शरीर को आयरन व प्रोटीन की उचित मात्रा नहीं मिल पाती है।
खाने में गुड़-चने का करें इस्तेमाल
डॉ.मौसमी बताती हैं कि आजकल लोग अपनी डाइट को लेकर काफी लापरवाह नजर आते हैं, वहीं महिलाओं में हर माह माहवारी के दौरान खून की कमी के चलते उनमें हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। इसके लिए जरूरी है कि वे खाने में गुड़-चने को शामिल करें।
उनका कहना है कि पश्चिमी दिल्ली में डीडीयू में ही ब्लड बैंक की सुविधा है, लेकिन मांग के मुताबिक पूरे क्षेत्र में रक्त उपलब्ध करा पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। हर दिन 200 यूनिट रक्त की खपत है। इसके अलावा आचार्य श्री भिक्षु अस्पताल, राव तुलाराम अस्पताल, दादा देव मातृ एवं शिशु अस्पताल, गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल में भी नियमित तौर पर रक्त उपलब्ध करवाया जाता है। हालांकि उन अस्पतालों में रक्त भंडारण की व्यवस्था जरूर है। आने वाले समय में इन अस्पतालों में भी ब्लड बैंक की सुविधा होगी। जरूरत पड़ने पर निजी अस्पताल, थैलासीमिया के मरीजों व अन्य सरकारी अस्पतालों में भी रक्त उपलब्ध कराया जाता है।
डॉ. मौसमी बताती हैं कि देश में अधिकतर लोगों का रक्त समूह बी है, लेकिन इस समूह के रक्त की मांग के मुताबिक रक्तदान करने वालों की संख्या काफी कम है। दुर्भाग्य की बात है कि आज भी लोगों की मानसिकता है कि रक्तदान से शरीर में कमजोरी व रक्त की कमी हो जाती है, पर लोगों को यह समझना चाहिए कि यदि हम रक्तदान नहीं करेंगे तो जरूरत पड़ने पर लोगों की रक्त कैसे उपलब्ध कराएंगे। खून में तीन तरह के पदार्थ पाएं जाते है। इसमें लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी), प्लेटलेट्स व प्लाज्मा शामिल है। रक्तदान करने के बाद रक्त को विभक्त किया जाता है और इन तीनों पदार्थों को अलग किया जाता है। इसके बाद जिसको जिस पदार्थ की जरूरत होती है, उसे वह पदार्थ उपलब्ध कराया जाता है।
चलाया जा रहा जागरूकता अभियान
समय के साथ लोगों में काफी जागरूकता आई है, लेकिन युवाओं में यह जागरूकता विशेष रूप से देखी गई है। डॉ.मौसमी बताती हैं कि दिल्ली सरकार की ओर से रक्तदान अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित किया जा रहा है। हर माह 1600 लोग रक्तदान के लिए अस्पताल आते हैं। इसमें पुरुषों की संख्या महिलाओं की संख्या से अधिक है। अस्पताल की तरफ से क्षेत्र के स्कूल, कॉलेजों व अलग-अलग जगहों पर भी समय-समय पर रक्तदान शिविर व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
लोगों को रक्तदान के प्रेरित करेंगे लोक कलाकार
इस दौरान यह बताया जाता है कि 18 से 65 साल तक की उम्र के लोग रक्तदान करने के लिए सक्षम हैं। 55 साल से कम व्यक्ति 350 मिलीलीटर व 55 साल से अधिक 450 मिलीलीटर रक्तदान कर सकते है। इस बार विश्व रक्तदान दिवस पर सरकार ऐसे लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करने का अभियान शुरू करने जा रही है। तीन से चार माह के अंतराल पर वे रक्तदान के लिए अस्पताल आएं। इससे रक्त कोष में रक्त की कमी नहीं होगी। लोक कलाकारों की टीम की ओर से भी नुक्कड़ नाटक के माध्यम से अस्पताल परिसर में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। कलाकारों की यह टीम जागरूकता के साथ रक्तदान करने के लिए भी आगे आ रही है।