यासीन मलिक से जुड़ी NIA की याचिका पर सुनवाई से जज ने खुद को किया अलग, कोर्ट ने सुनाई थी आजीवन कारावास की सजा
Delhi News अलगाववादी नेता यासीन मलिक से जुड़ी एनआईए की याचिका पर सुनवाई करने से एक जज ने खुद को अलग कर लिया है। दरअसल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की है। इस आदेश के अनुसार यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। पढ़िए आखिर पूरा मामला क्या है?
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक मामले में अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) के लिए मौत की सजा की मांग करने वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की अपील पर सुनवाई से दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अमित शर्मा ने खुद को अलग कर लिया है।
न्यायमूर्ति अमित शर्मा के इस मामले से अलग होने के बाद कोर्ट ने मामले को नौ अगस्त को एक अलग पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।
एनआईए (NIA) ने पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) के उस आदेश के खिलाफ अपील की है, जिसमें मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
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मलिक ने किया था ये दावा
मलिक ने दावा किया था कि वह हृदय और किडनी की गंभीर समस्याओं से पीड़ित हैं और उसे इलाज के लिए एम्स में स्थानांतरित किया जाए।यह भी पढ़ें- 'वो जिस रफ्तार से काम करते हैं...' कपिल सिब्बल ने जमकर की CJI की तारीफ; ये है वजह
पिछली सुनवाई पर अदालत ने जेल प्रशासन को मलिक के स्वास्थ्य संबंधी रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया था। यासीन मलिक ने एम्स या जम्मू-कश्मीर के किसी निजी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में रेफर करने का निर्देश देने की मांग की थी।
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