Move to Jagran APP

Delhi: पार्थसारथी मंदिर के खास समारोह में पहुंचे जेपी नड्डा, कहा- राजनीति में अध्‍यात्‍म की रही है बड़ी भूमिका

भारत की राजनीति में अध्‍यात्‍म की एक बड़ी भूमिका रही है। भारतीय राजनीति में इसका श्रीगणेश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था और आज इस कार्य को हमारे वर्तमान पीएम नरेन्‍द्र मोदी कर रहे हैं। (फोटो- जागरण)

By Ramesh MishraEdited By: Abhi MalviyaPublished: Tue, 28 Mar 2023 04:39 PM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2023 04:39 PM (IST)
भारत की राजनीति में अध्‍यात्‍म की एक बड़ी भूमिका रही है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। भारत की राजनीति में अध्‍यात्‍म की एक बड़ी भूमिका रही है। भारतीय राजनीति में इसका श्रीगणेश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था और आज इस कार्य को हमारे वर्तमान पीएम नरेन्‍द्र मोदी कर रहे हैं। अध्‍यात्‍म के चलते इन 10 वर्षों में राजनीतिक संस्‍कृति में एक बड़ा बदलाव आया है। इसका असर भारत की मौजूदा राजनीति और नेताओं में भी देखा जा सकता है।

loksabha election banner

नेताओं का चरित्र और चाल-चलन बदला है। पहले नेतागण मंदिर जाने में संकोच और परहेज करते थे, अब वह जनेऊ पहनने में गर्व महसूस करते हैं। इसे हम राजनीतिक संस्‍कृति के बदलाव के रूप में देख सकते हैं। उक्‍त बातें श्रीराधा पार्थसारथी मंदिर की रजत जयंती के मौके पर कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने कहीं।

राजनेताओं के लिए भी कोड आफ कंडक्‍ट होना चाहिए

उन्‍होंने कहा कि राजनेताओं के लिए भी कोड आफ कंडक्‍ट होना चाहिए। भाजपा अध्‍यक्ष ने कहा कि नेताओं को इस बात का भान होना चाहिए कि हमें क्‍या करना है, क्‍या नहीं करना है, क्‍या उचित है, क्‍या अनुचित है। उन्‍होंने कहा कि यह समझ और विवेक गीता के ज्ञान से आता है। भगवत गीता इस समझ को विकसित करती है। भाजपा अध्‍यक्ष ने कहा कि भारत में विश्‍व गुरु बनने की पूरी क्षमता है। इस कार्य के लिए हमारे युवाओं को आगे आना चाहिए। समाज निर्माण में उनकी बड़ी भूमिका है। वह देश की ताकत हैं। इसके पूर्व उन्‍होंने अपने भाषण के प्रारंभ में कहा कि मैं यहां कुछ पाने आया हूं, समझने आया हूं। मुझे सुख और संतोष की अनुभूति हो रही है।

वेद और वेदांत विश्‍व कल्‍याण के लिए

उन्‍होंने कहा कि हमारे वेद और वेदांत अकल्‍पनीय हैं। यह विश्‍व कल्‍याण और मानवता के लिए हैं। भाजपा अध्‍यक्ष ने कहा कि प्रभुपाद जी महराज का जीवन हमारे लिए बेहद प्रेरणादायी है। उन्‍होंने कहा कि व्‍यक्ति 60 वर्ष में सेवानिवृत्ति होता है, लेकिन प्रभुपाद जी महराज ने 69 वर्ष की उम्र में भारतीय संभ्‍यता और संस्‍कृति के प्रसार को एक नया आयाम दिया। उन्‍होंने पूरी दुनिया में अपनी भारतीय संस्‍कृति और भगवत गीता का प्रचार प्रसार किया। अपने अध्‍यात्मिक ज्ञान और चेतना से उन्‍होंने करोड़ों लोगों की जिंदगी में बदलाव लाया।

उनके इस आध्‍यात्मिक आंदोलन से करोड़ों-करोड़ों लोगों की जिंदगी बदल गई। उन्‍होंने समाज को एक नई दृष्टि दी, नई दिशा दी। उन्‍होंने मानवता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्‍होंने कहा कि इंग्‍लैंड में एक पत्रकार ने प्रभुपाद से पूछा कि आप यहां क्‍यों आए हैं, क्‍या लेने आए हैं, तो महराज ने कहा कि तुम भारत का असल खजाना नहीं ले आए मैं उसी की डिलीवरी करने आया हूं। उनका संकेत भारत की वेद और वेदांत की ओर था।

प्रभुपाद की इच्‍छा थी कि घर-घर पहुंचे भगवत गीता : गोपाल कृष्‍ण गोस्‍वामी

ईस्‍ट आफ कैलाश स्थित ऐतिहासिक श्री राधा पार्थसारथी मंदिर के रजत जयंती कार्यक्रम को भव्‍य रूप से मनाया जा रहा है। इस मौके पर देश के प्रमुख इस्‍कान मंदिरों से भक्‍तजन शामिल हो रहे हैं। इस मंदिर का 25 वर्ष पूर्व देश के तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस मंदिर का उद्घाटन किया था। इस भव्‍य मंदिर के निर्माण के पीछे एक लंबा संघर्ष है।

इस दौरान कई सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। इस मौके पर देश के विभ‍िन्‍न इस्‍कान मंदिरों के प्रमुखों संतों ने हिस्‍सा लिया। कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि के रूप में भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा मौजूद रहे। कार्यक्रम में गोपाल कृष्‍ण गोस्‍वामी महराज, राधा-रमण स्‍वामी जी महाराज, वद्री नारायण स्‍वामी महराज, वृजहरि प्रभू व व्रजेंद्र नंदन प्रभू मौजूद रहे।

गोपाल कृष्‍ण गोस्‍वामी जी महाराज ने कहा कि प्रभुपाद की इच्‍छा थी कि भगवत गीता घर-घर पहुंचे। उन्‍होंने सारे विश्‍व की यात्रा की थी। भारतीय संस्‍कृति को विश्‍व के कोने-कोने तक पहुंचाया। उन्‍होंने कहा कि आज समाज में बेचैनी है, उसकी एक बड़ी वजह यह है कि हम वैदिक संस्‍कृति से दूर होते जा रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि आज देश में कई ऐसे विश्‍वविद्यालय है, जहां भगवत गीता का ज्ञान दिया जा रहा है।

इस क्रम में श्रीधाम प्रभुजी महाराज ने कहा कि 1965 में भारत-पाकिस्‍तान युद्ध चल रहा था, सब लोग भयभीत थे। उधर, वियतनाम और अमेरिका के बीच जंग चल रही थी। जंग के दौरान अमेरिका में युवाओं में हिप्‍पी सभ्‍यता का तेजी से विकास हुआ। इनमें सब बुरी आदतें थीं।

ऐसे वक्‍त प्रभुपाद जी अमेरिका गए इन लोगों को हरे कृष्‍ण का मंत्र सुनाकर युवाओं को इन कुरीतियों से मुक्‍त किया। उन्‍होंने कहा कि प्रभुपाद जी कहा करते थे कि हमारा मकसद मंदिर निर्माण नहीं, बल्कि भारतीय संस्‍कृति का विस्‍तार करना था। हालांकि, जब पैसा आया तो मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई। उन्‍होंने कहा कि इस मंदिर के निर्माण में बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। 1971 तक विदेशों में करीब 71 मंदिर बन चुके थे।

इस मौके पर वृंदावन इस्‍कान से आए पंचगौड़ा जी महराज ने अंग्रेजी में संबोधन किया, जिसका हिंदी में अनुवाद किया गया। लोकनाथ स्‍वामी जी महराज ने कहा कि प्रभुपाद स्‍वामी ने 1922 में विदेश में अपनी संस्‍कृति का प्रचार-प्रसार किया। उन्‍होंने कहा इस कार्य में उनको बहुत कठिनाई हुई। विदेश में इस संस्‍कृति के प्रसार के बाद देश में इसके प्रसार के लिए योजना बनाई गई। उन्‍होंने कहा कि यह भारतीय नागरिकों की जिम्‍मेदारी है कि अपनी संस्‍कृति का विकास और विस्‍तार करें।

प्रभुपाद की इच्‍छा थी कि देश के प्रमुख महानगरों में मंदिर की स्‍थापना हो। प्रभुपाद जी महराज का दिल्‍ली से गहरा लगाव था, उनकी इच्‍छा थी कि दिल्‍ली में एक मंदिर का निर्माण हो। यह पहले एक छोटा सा मंदिर था, जो किराए पर था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.