जेएनयू देशद्रोह विवाद: उमर खालिद का निष्कासन, कन्हैया पर 10 हजार का जुर्माना
जेएनयू की कमेटी ने घटना के तत्काल बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उमर खालिद को कैंपस से निष्कासित कर दिया था, वहीं कन्हैया कुमार पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।
नई दिल्ली (जेएनएन)। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में 9 फरवरी, 2016 की घटना के मामले में उमर खालिद के निष्कासन और कन्हैया कुमार पर लगाए गए 10,000 रुपये के जुर्माने की सजा की बरकरार रहेगी। जेएनयू की उच्च स्तरीय जांच समिति ने पूर्व में दी गई इस सजा पर मुहर लगा दी है।
बता दें कि जेएनयू पैनल ने अफजल गुरु को फांसी देने के खिलाफ परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम के मामले में 2016 में खालिद और दो अन्य छात्रों के निष्कासन और छात्रसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया था, इस दिन कथित तौर पर राष्ट्रविरोधी नारेबाजी भी हुई थी।
वहीं, जेएनयू छात्रसंघ ने इस कार्रवाई को छात्रों के हितों के खिलाफ बताते हुए कहा कि नारेबाजी का जो वीडियो सामने आया था, उससे छेड़छाड़ की गई थी। हम इस मामले में अपने वकीलों से बात कर रहे हैं। इसके बाद फैसले को कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। कमेटी ने अफजल गुरु को फांसी देने के खिलाफ कैंपस में आयोजित कार्यक्रम में कथित राष्ट्र विरोधी नारेबाजी के मामले में खालिद और छात्रसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित कुल 21 छात्रों को दोषी पाया था।
कमेटी के फैसले के खिलाफ छात्रों ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की थी। अक्टूबर 2017 में हाई कोर्ट ने कमेटी के फैसले की फिर समीक्षा कर अपीलीय पदाधिकारी को निर्णय लेने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट ने कन्हैया, उमर खालिद, अनिर्बान समेत 15 छात्रों को राहत दे दी थी। कोर्ट ने जेएनयू प्रशासन के फैसले को खारिज करते हुए दोबारा सुनवाई करने का निर्णय दिया था।
इस्लामी आतंकवाद पाठ्यक्रम को जेएनयू ने बताया अफवाह
वहीं, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने इस्लामी आतंकवाद पाठ्यक्रम को अफवाह करार दिया है। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. प्रमोद कुमार ने स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय की प्रशासनिक परिषद इस्लामी आतंकवाद शीर्षक से किसी भी तरह का पाठ्यक्रम शुरू करने का इरादा नहीं रखती है। यही नहीं, परिषद के पास कभी इस तरह की कोई योजना प्रस्तावित नहीं थी। जेएनयू रजिस्ट्रार का यह जवाब जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी के उस पत्र के जवाब में आया है, जिसमें उन्होंने इस्लामी आतंकवाद पाठ्यक्रम को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन से स्पष्टीकरण मांगा था।