रोमिला थापर ही नहीं इन 12 एमेरिटस प्रोफेसरों पर भी है JNU की नजर, जानें पूरा मामला
75 वर्ष की आयु होने के बाद इन प्रोफेसरों के अनुभव व अकादमिक रिकार्ड का मूल्यांकन किया जाएगा। उनके स्वास्थ्य उपलब्धता आदि को परखा जाएगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। Jawaharlal Nehru University: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने इतिहासकार रोमिला थापर (Romila Thapar) समेत कुल 11 एमेरिटस प्रोफेसरों से उनके सीवी मांगे हैं। इनमें से आधे प्रोफेसरों ने प्रशासन को जवाब दे दिया है, जबकि प्रशासन को अन्य के जवाब का इंतजार है। इधर, कई प्रोफेसर जेएनयू प्रशासन के इस कदम का विरोध कर रहे हैं।
शिक्षक संघ ने जताई आपत्ति
जेएनयू शिक्षक संघ ने भी आपत्ति जताई है। जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय में 20 से ज्यादा एमेरिटस प्रोफेसर हैं। इनमें से 12 से सीवी मांगा गया है, क्योंकि पिछले वर्ष अगस्त में विश्वविद्यालय के सर्वोच्च निकाय कार्यकारी परिषद (ईसी) की बैठक में एमेरिटस प्रोफेसर की योग्यता के नियमों में बदलाव करते हुए प्रस्ताव पास किया गया था।
नियमों में हुआ है बदलाव
इसके तहत 75 वर्ष की आयु होने के बाद इन प्रोफेसरों के अनुभव व अकादमिक रिकार्ड का मूल्यांकन किया जाएगा। उनके स्वास्थ्य, उपलब्धता आदि को परखा जाएगा। जिनसे कानूनी प्रक्रिया के तहत सीवी मांगा गया है, वे सभी 75 वर्ष की आयु 31 मार्च 2019 से पहले ही पार कर चुके हैं।
इन 12 एमेरिटस प्रोफेसरों से मांगा गया है सीवी
स्कूल ऑफ लैंग्वेज, लिटरेचर एंड कल्चर स्टडीज में प्रो. हरजीत सिंह गिल, स्कूल सोशल साइंसेज में प्रो. रोमिला थापर, प्रो. योगेंद्र सिंह, प्रो. डी बेनर्जी, प्रो. अमित बहादुरी, प्रो. टीके ओनमन, प्रो. शीला भल्ला, स्कूल ऑफ फिजिकल साइंसेज में प्रो. आर राजारमन, स्कूल ऑफ एनवायरमेंटल साइंसेज के प्रो. सीके वाष्ण्रेय, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के प्रो. एसडी मुनी, प्रो. अशोक संजय गुहा और स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज के प्रो. आशीष डट्टा।
प्रो. डट्टा रह चुके हैं जेएनयू कुलपति
प्रो. आशीष डट्टा जेएनयू के कुलपति रह चुके हैं। वह जेएनयू में 1996 से 2002 तक कुलपति रहे। वह प्रतिष्ठित मॉलिक्युलर बायोलॉजिस्ट एवं शिक्षाविद हैं। उन्हें 1999 में पद्मश्री और 2008 में पद्मभूषण सम्मान दिया गया है। वहीं, प्रो. आर राजारमन ने नोबेल पुरस्कार विजेता हंस बेथे के नेतृत्व में पीएचडी पूरी की थी।
रिपोर्ट के आधार पर लिया जाएगा फैसला
शेष प्रोफेसरों से जवाब मिलने के बाद उपसमिति गठित की जाएगी। यह समिति उनके अनुभव, अकादमिक रिकॉर्ड, स्वास्थ्य आदि को परख कर रिपोर्ट देगी, जिसके आधार ही कोई फैसला लिया जाएगा। इसमें दो माह से ज्यादा समय भी लग सकता है।
कौन होते हैं एमेरिटस प्रोफेसर
किसी संकाय की ओर से प्रस्तावित सेवानिवृत्त ख्याति प्राप्त नामों को कार्यकारी परिषद व अकादमिक परिषद की मंजूरी के बाद एमेरिटस प्रोफेसर के तौर पर मनोनीत किया जाता है। ये शोधार्थियों को पढ़ाने के साथ ही उन्हें मार्गदर्शन दे सकते हैं, लेकिन विश्वविद्यालय की ओर से उन्हें कोई वित्तीय लाभ नहीं दिया जाता है।