Jamia Violence Case: जामिया नगर हिंसा मामले की सुनवाई पूरी, हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए एडिशनल सालिसिटर जनरल संजय जैन ने दलील दी कि निचली अदालत ने अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करते हुए जांच एवं जांच एजेंसी के खिलाफ अपमानजनक और गंभीर पूर्वाग्रहपूर्ण टिप्पणियां की हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वर्ष 2019 के जामिया नगर हिंसा मामले में जेएनयू पूर्व छात्र शारजील इमाम, सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा और आठ अन्य को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पुलिस की पुनरीक्षण याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने दोनों पक्षों की लंबी जिरह सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रखा। दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए एडिशनल सालिसिटर जनरल संजय जैन ने दलील दी कि निचली अदालत ने अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करते हुए जांच एवं जांच एजेंसी के खिलाफ अपमानजनक और गंभीर पूर्वाग्रहपूर्ण टिप्पणियां की हैं।
उक्त टिप्पणियों को आदेश से बाहर करने का अनुरोध करते हुए यह भी कहा कि अदालत को आरोप तय करने के चरण में साक्ष्य की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाकर अल्प सुनवाई नहीं करनी चाहिए।
साकेत कोर्ट ने चार फरवरी को इमाम के साथ ही छात्र कार्यकर्ता आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा जरगर सहित 11 लोगों को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि पुलिस द्वारा उन्हें बलि का बकरा बनाया गया था।
वहीं, पुलिस ने अपील याचिका में निचली अदालत के आदेश भावुक भावनाओं से प्रभावित होना बताया है। यह भी कहा कि अदालत ने अभियोजन एजेंसी और जांच के खिलाफ गंभीर पूर्वाग्रहपूर्ण और प्रतिकूल टिप्पणी की है।
शरजील इमाम 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में भड़काऊ भाषण देकर दंगे भड़काने के साथ ही फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के बड़े साजिश मामले में आरोपित है।वर्तमान में वह न्यायिक हिरासत में दिल्ली की जेल में बंद है।