Jamia Violence Case: जामिया हिंसा मामले में सुनवाई आज, शरजील इमाम सहित 11 लोगों पर निर्णय दे सकता है दिल्ली HC
Jamia Violence Case जामिया हिंसा मामले पुलिस द्वारा निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी जहां न्यायाधीश ने दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और अब उम्मीद है कि आज सुनवाई के दौरान अदालत अपना फैसला सुना सकता है।
नई दिल्ली, पीटीआई। जामिया हिंसा मामले (Jamia Violence Case) में शरजील इमाम, आसिफ इकबाल और सफूरा जरगर समेत 11 को बरी करने के निर्णय को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में आज मंगलवार को अपना फैसला सुना सकता है। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने पुलिस और 11 आरोपियों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद पुलिस की याचिका पर 23 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बता दें कि इस मामले में साकेत कोर्ट ने 4 फरवरी को शरजील इमाम समेत 11 लोगों को आरोप मुक्त करते हुए कहा था कि उन्हें पुलिस ने बलि का बकरा बनाया है। कोर्ट ने अपनी राय रखते हुए इन शरजील व अन्य लोगों के कदम को विरोध माना था। पुलिस को नसीहत दी थी कि वह विरोध और बगावत में अंतर को समझे। कोर्ट ने यह भी कहा था कि इन लोगों की मिलीभगत से हिंसा हुई, इसका कोई प्रमाण नहीं है।
दरअसल, दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में शरजील सहित 11 लोगों को बरी करने के निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। पुलिस ने याचिका में कहा कि निचली अदालत का आदेश न्याय की कसौटी पर खरा नहीं उतरता, क्योंकि पुलिस द्वारा पेश साक्ष्यों पर गौर नहीं किया गया। उससे पहले मिनी ट्रायल करते हुए मामले में निर्णय सुना दिया। इस याचिका को अभी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है
याचिका में दावा किया गया है कि पुलिस के पास वीडियो फुटेज, काल डिटेल रिकार्ड समेत सभी तरह के साक्ष्य थे। उन पर निचली अदालत ने गौर नहीं किया और मिनी ट्रायल के रूप में निर्णय करते हुए आरोपितों को क्लीन चिट दे दी। याचिका में यह भी तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट का आदेश कानून में विकृत और अस्थिर था, क्योंकि यह सबूतों की विश्वसनीयता का निर्धारण करके आरोप तय करने के चरण में एक मिनी-ट्रायल आयोजित करने में शामिल नहीं हो सकता है कि यह सजा का वारंट करेगा या नहीं।
दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने तर्क दिया था कि दोषसिद्धि मुख्य रूप से पुलिस के गवाहों की गवाही पर हो सकती है और इस तरह ट्रायल कोर्ट ने यह मानने में गलती की थी कि ऐसा कोई सबूत नहीं था जो प्रतिवादियों को दोषी ठहरा सके।
नहीं थी ट्रायल कोर्ट के फैसले में कोई कमी
दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली पुलिस की याचिका का मामले में आरोपित 11 लोगों के अधिवक्ताओं ने विरोध किया, जिन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश में कोई त्रुटि नहीं थी। निचली अदालत ने 11 आरोपियों को बरी करते हुए एक अन्य आरोपी मोहम्मद इलियास के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था।
ट्रायल कोर्ट ने इन्हें किया आरोपमुक्त
दिल्ली की साकेत कोर्ट ने जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा, सफूरा जरगर, मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा खान, मोहम्मद अबुजार, मोहम्मद शोएब, उमर अहमद, बिलाल नदीम, चंदा यादव को आरोपमुक्त किया था।
क्या है मामला
आपको बता दें कि साल 2019 में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में 13 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया से शुरू मार्च के दौरान भीड़ उग्र हो गई थी। उसमें पुलिस पर पथराव हुआ था। कई जगह आगजनी की गई थी। पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए आंसू गैस समेत अन्य कार्रवाई की थी। शुरुआत में मामले की जांच जामिया नगर थाना पुलिस ने की थी। बाद में इस केस को क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया था। इसमें शरजील इमाम समेत कई को आरोपित बनाया गया था। शरजील पर आरोप था कि उसने दंगे भड़काने के लिए भड़काऊ भाषण दिए।