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Delhi Electricity Tariffs 2021: डीईआरसी अध्यक्ष के लिए आसान नहीं दिल्ली में बिजली की दरें निर्धारित करना

Delhi Electricity Tariffs बिजली वितरण करने वाली कंपनियां (डिस्काम) जहां घाटे का हवाला देकर दरें बढ़ाने की मांग कर रही हैं। वहीं. राजनीतिक पार्टियां और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) व्यापारिक संगठन कोरोना महामारी को ध्यान में रखकर उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए आवाज उठा रही हैं।

By Jp YadavEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 09:14 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 09:14 AM (IST)
Delhi Electricity Tariffs: डीईआरसी अध्यक्ष के लिए आसान नहीं दिल्ली में बिजली की दरें निर्धारित करना

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) के नए अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) शबीहुल हसनैन के सामने सबसे बड़ी चुनौती बिजली की नई दरें घोषित करने की है। बिजली वितरण करने वाली कंपनियां (डिस्काम) जहां घाटे का हवाला देकर दरें बढ़ाने की मांग कर रही हैं। वहीं. राजनीतिक पार्टियां और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए), व्यापारिक संगठन कोरोना महामारी को ध्यान में रखकर उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए आवाज उठा रही हैं। इससे आयोग के सामने सभी पक्षों को ध्यान में रखकर बिजली की दरें घोषित करने की चुनौती है। डिस्काम और बिजली से जुड़ी अन्य कंपनियों ने बिजली की दरों से संबंधित अपनी मांगें व विवरण पिछले वर्ष दिसंबर में आयोग के पास जमा करा दिए थे।

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कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार आयोग द्वारा 15 से 20 अप्रैल तक ऑनलाइन जनसुनवाई आयोजित की गई थी, जिसमें विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों व आम उपभोक्ताओं ने बिजली की दरों को लेकर अपने सुझाव दिए थे। नियम के अनुसार अप्रैल में नई दरों की घोषणा हो जानी चाहिए, लेकिन दिल्ली में अभी भी इसका इंतजार है।

चार जुलाई को डीईआरसी के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति सत्येंद्र सिंह चौहान का कार्यकाल पूरा होने से इसमें और देरी होने की बात होने लगी थी। अब न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) शबीहुल हसनैन के नए अध्यक्ष बनने से बिजली की दरें शीघ्र घोषित होने की उम्मीद जगी है, लेकिन यह काम उनके लिए आसान नहीं है।

यूनाइटेड रेजिडेंट्स आफ दिल्ली के (यूआरडी) के महासचिव सौरभ गांधी का कहना है कि पुराने अध्यक्ष के कार्यकाल में जनसुनवाई हुई थी इसलिए नए अध्यक्ष को इस पर फैसला लेना उचित नहीं होगा। उन्हें फिर से जनसुनवाई करके अंतिम फैसला लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं से भारी भरकम स्थायी शुल्क वसूला जा रहा है जिसे कम करने की जरूरत है। इसके साथ ही पेंशन ट्रस्ट अधिभार उपभोक्ताओं से वसूला जाना गलत है। आयोग को इसे लेकर उपभोक्ताओं के हित में फैसला करना चाहिए।

नार्थ दिल्ली रेजिडेंट्स वेलफेयर फेडरेशन के अध्यक्ष अशोक भसीन का कहना है कि हाल के वर्षों में स्थायी शुल्क कई गुना ज्यादा बढ़ा दिए गए हैं। स्थायी शुल्क पर बिजली खरीद समायोजन लागत (पीपीएसी) भी वसूला जा रहा है। कोरोना महामारी को देखते हुए कारोबारियों व अन्य उपभोक्ताओं को राहत मिलनी चाहिए।

दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता सहित अन्य नेता स्थायी शुल्क कम करने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस भी इसके लिए आवाज उठा रही है। अगले वर्ष नगर निगम के चुनाव हैं, इसलिए आम आदमी पार्टी भी नहीं चाहेगी किए इस वर्ष बिजली की दरों में किसी तरह की ब़ढ़ोतरी हो। 


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