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International Womens Day 2021: बिना थके, बिना रुके कोरोना पर रोकथाम के लिए लड़ रहीं जंग

International Womens Day 2021 वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो.. कविता की इन्हीं पंक्तियों को आत्मसात करते हुए कोरोना के दौरान दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में कार्यरत वरिष्ठ पैथोलाजिस्ट डा. शिवानी पाइक ने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 01:15 PM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 04:37 PM (IST)
International Womens Day 2021: बिना थके, बिना रुके कोरोना पर रोकथाम के लिए लड़ रहीं जंग
दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में कार्यरत वरिष्ठ पैथोलाजिस्ट डा. शिवानी पाइक ।

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो.. कविता की इन्हीं पंक्तियों को आत्मसात करते हुए कोरोना के दौरान दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में कार्यरत वरिष्ठ पैथोलाजिस्ट डा. शिवानी पाइक ने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है। 

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उन्होंने ऐसे समय में अस्पताल में कोरोना जांच केंद्र स्थापित करने की पहल की, जब संक्रमण चरम पर था। शुरुआत में जांच प्रक्रिया जटिल थी। एक दिन में केवल पांच से दस आरटी-पीसीआर जांच ही हो पाती थी। धीरे-धीरे संकट से लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग सशक्त हुआ और रैपिड एंटीजन किट को मंजूरी मिली तो केंद्र पर जांच कराने वालों की संख्या बढ़ी और संक्रमित लोगों की अधिक से अधिक पहचान हो पाई। संक्रमितों की संख्या जरूर बढ़ी, लेकिन संक्रमण पर लगाम लगाने में काफी मदद मिली। 

डा. शिवानी की इस पहल को अस्पताल के साथ-साथ प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने काफी सराहा। डा. शिवानी ने मां की तरह जांच केंद्र पर कार्यरत एक-एक कर्मचारी का मार्गदर्शन करने के साथ उनकी एक-एक जरूरत का खयाल रखा। इसका नतीजा यह हुआ कि संकट भरे माहौल के बीच रहकर भी केंद्र पर कार्यरत हर कर्मचारी स्वस्थ रहा और कोरोना संक्रमण उन्हें छू भी नहीं पाया।

डा. शिवानी बताती हैं कि एक मई को उन्हें अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. बृजेश कुमार व अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक डा. दीपमाला से अस्पताल में केंद्र शुरू करने की मंजूरी मिली थी। रैपिड एंटीजन किट को मंजूरी मिलने के बाद केंद्र पर कई बार सर्वर की समस्या भी होती थी, ऐसे में लोग जल्दबाजी के चलते हंगामा करने के लिए भी आतुर हो जाते थे।

आलम यह था कि पीपीई किट पहनकर डा. शिवानी केंद्र पर लोगों को जागरूक करतीं और उन्हें व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रेरित करती थीं। साथ ही रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद उदासीन लोगों का उन्होंने उत्साहवर्धन किया और उचित सलाह दी। दीवाली के बाद जब संक्रमण अपने चरम पर था, उस दौरान रात को नौ बजे तक केंद्र पर खड़े होकर कतार में खड़े एक-एक व्यक्ति की कोरोना जांच सुनिश्चित करती थीं।

लोगों की परेशानी को कम करने के लिए डा. शिवानी ने तकनीक की मदद ली और एप की मदद से लोगों को जांच के लिए आनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था सुनिश्चित की ताकि केंद्र पर भीड़ न हो और शारीरिक दूरी का नियम दरकिनार न हो पाए। 

जागरूकता पर दिया जोर

डा. शिवानी बताती हैं कि कोरोना संक्रमण ने बायो-मेडिकल वेस्ट प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियों को भी बढ़ा दिया है। इस चुनौती से निपटने के लिए अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ अस्पताल आए मरीजों व उनके तीमारदारों को भी इस बाबत जागरूक किया गया। सभी को समझाया कि मास्क, दस्ताने, पीपीई किट समेत सभी बायो मेडिकल वेस्ट को यहां-वहां नहीं फेंकें, यह खतरनाक हो सकता है। ओपीडी हाल में इस बाबत रोजाना जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। 

कई बार कराई कोरोना जांच

डा. शिवानी ने कहा ‘ कोरोना संक्रमण के दौरान घर जाने में काफी डर लगता था, क्योंकि घर में बुजुर्ग माता-पिता हंै। डर था कि मेरे संपर्क में आकर उन्हें परेशानी न हो जाए। इसलिए जब मौका मिलता था या लगता था कि कोई परेशानी हो रही है तुरंत जांच करवाती थी और ऐसा कई बार हुआ। सभी को दूर से देखना, दूर से बात करना, अलग खाना, अलग-थलग रहना अच्छा तो नहीं लगता था पर सुरक्षा के नियम का पूरा ध्यान रखा।’ 


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