बंगाल में जारी हिंसा में 40 हजार से अधिक एसटी/एससी समुदाय के लोग शिकार हुए, विभिन्न विश्वविद्यालयों और कालेजों के प्रोफेसरों ने पीएम को लिखा पत्र
पत्र में कहा गया है कि लगातार जारी हमले में 40 हजार से अधिक एसटी/एससी समुदाय के लोग शिकार हुए हैं।इनमें से 11 हजार लाेग बेघर हुए हैं। पांच हजार से अधिक घरों को गिरा दिया गया है। जबकि 1627 घातक हमले हुए हैं। 142 महिलाओं पर अत्याचार हुए।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। बंगाल में जारी हिंसा पर चिंता जताते हुए अब देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों व कालेजों के 114 एसटी/एससी प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। पत्र में बंगाल विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद दो मई से जारी राजनीतिक हिंसा पर गंभीर चिंता जताई गई है। जिसमें सर्वाधिक अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति समुदाय से आने वाले लोगों को निशाना बनाया गया है।
पत्र में कहा गया है कि लगातार जारी हमले में 40 हजार से अधिक एसटी/एससी समुदाय के लोग शिकार हुए हैं।इनमें से 11 हजार लाेग बेघर हुए हैं। पांच हजार से अधिक घरों को गिरा दिया गया है। जबकि 1627 घातक हमले हुए हैं। 142 महिलाओं पर अत्याचार हुए तथा एसटी/एससी समुदाय के 26 लाेगों की हत्याएं हुईं। इनमें से 200 से अधिक लोग जान बचाने के लिए झारखंड, आसाम और ओडिसा में शरण लिए हुए हैं।
यह पत्र सेंटर फार सोशल डेवलपमेंट (सीएसडी) की ओर से लिखा गया है, जिसपर सीएसडी के सलाहकार व डीयू के अफ्रीकन स्टडीज के पूर्व विभागध्यक्ष प्रो. सुरेश कुमार व डीयू के अकादमिक परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. केपी सिंह के हस्ताक्षर हैं। साथ में 114 प्रोफेसरों के नाम संलग्न है। ये प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय-लखनऊ व राजस्थान विश्वविद्यालय समेत अन्य से जुड़े हैं।
पत्र में कहा गया है कि सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल की ओर से हो रही हिंसक घटनाओं में राज्य पुलिस भी शामिल है और वह भी एसटी/एससी समुदाय के लाेगों को चिन्हित कर निशाना बना रही है। पत्र में राष्ट्रपति से इस हिंसा को रूकवाने तथा दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की अपील की गई है। इसके साथ ही हिंसा के शिकार एसटी/एससी समुदाय के लोगों की पूर्ण सुरक्षा, उनका पुनर्वास व मुआवजे की अपील की गई है।