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IIT Delhi ने पानी से अलग किया हाइड्रोजन ईधन, जानें भविष्य में किस प्लान पर चल रहा काम

रसायन विज्ञान विभाग की प्राध्यापिका प्रो. श्रीदेवी उपाध्यायुला ने बताया कि हम भविष्य का ईंधन तैयार करने की तकनीकी पर काम कर रहे हैं। इसमें हमें आशातीत सफलता मिली है। यह पेट्रोलियम ईधन का बेहतर विकल्प साबित होगा।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2021 02:03 PM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2021 02:03 PM (IST)
IIT Delhi ने पानी से अलग किया हाइड्रोजन ईधन, जानें भविष्य में किस प्लान पर चल रहा काम
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली की फाइल फोटो

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। 21वीं सदी में ईधन की खपत बढ़ी है। लेकिन यह खपत ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन का कारण भी बनी है। ऐसे में यह जरूरी हो गया कि ऐसे वैकल्पिक ईधन के प्रयोग की तकनीकी विकसित की जाए, जो सस्ती और पर्यावरण के अनुकूल हो। इस दिशा में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। वैज्ञानिकों ने बहुत कम लागत में पानी से हाइड्रोजन ईंधन को अलग करने की तकनीक खोज ली है। वैज्ञानिकों ने आइआइटी परिसर में स्थापित हाइड्रोजन प्रोडक्शन पायलट प्लांट में ईंधन बनाकर दिखाया भी।

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पेट्रोलियम से सस्ता

आइआइटी दिल्ली के रसायन विज्ञान विभाग की प्राध्यापिका प्रो. श्रीदेवी उपाध्यायुला ने बताया कि हम भविष्य का ईंधन तैयार करने की तकनीकी पर काम कर रहे हैं। इसमें हमें आशातीत सफलता मिली है। यह पेट्रोलियम ईधन का बेहतर विकल्प साबित होगा। ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम होगा। शोध हाल ही में एप्लाइड कैटालिसिस बी: एनवायरमेंटल नाम के अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में भी प्रकाशित हुआ है।इस तरह बनाया गया ईधनप्रो. श्रीदेवी उपाध्यायुला की माने तो एलपीजी सिलेंडर की भांति ही हाइड्रोजन ईधन का भी प्रयोग हो सकता है।

आमतौर पर पानी से 2000 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर आक्सीजन और हाइड्रोजन अलग होता है। लेकिन हमने इसे सल्फर आयोडिन थर्मोकेमिकल हाइड्रोजन प्रोसेस के जरिये सुगम बनाया है। इस प्रक्रिया में आयोडीन और सल्फर का प्रयोग कर पानी को हाइड्रोजन और आक्सीजन में लगभग 150 डिग्री सेल्सियस पर अलग करते हैं। यही नहीं आयोडीन और सल्फर को रिसाइकिल भी किया जा सकेगा। बकौल प्रो. श्रीदेवी ओएनजीसी एनर्जी सेंटर के आर्थिक सहयोग से यह प्रोजेक्ट चल रहा है। आइआइटी 2007 से ही इस प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहा है।

नौ चरणों वाले इस प्रोजेक्ट के छह चरण हम पूरा कर चुके हैं। हमने प्रयोगशाला में हाइड्रोजन ईंधन बनाकर भी दिखाया। उन्होंने बताया कि जब इसे बड़े पैमाने पर अमल में लाया जाएगा, तो कई बदलावों की आवश्यकता होगी। मसलन, पानी के फोर्स को ही ले लें। पानी से हाइड्रोजन को अलग करने की प्रक्रिया को संतुलित करना होगा।

टीम से जुड़े वैज्ञानिक

इस प्रोजेक्ट पर डिपार्टमेंट ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग से प्रो. श्रीदेवी उपाध्यायुला, प्रो. अशोक एन भास्करवार, प्रो. अनुपम शुक्ला तथा फिजिक्स डिपार्टमेंट से प्रो.सास्वता भट्टाचार्य सहित अन्य शोधार्थी जुड़े हैं।


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