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IIT दिल्ली और JNU ने मिलाया हाथ, अब साथ मिलकर करेंगे अनुसंधान; जानिए इसके फायदे

देश के दो दिग्‍गज संस्‍थानों ने रिसर्च के लिए हाथ मिलाया है। अब दोनों शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे छात्र एवं शिक्षक एक साथ मिलकर शोध के प्रोजेक्ट में काम कर सकेंगे।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 07:12 PM (IST)Updated: Fri, 27 Sep 2019 03:13 PM (IST)
IIT दिल्ली और JNU ने मिलाया हाथ, अब साथ मिलकर करेंगे अनुसंधान; जानिए इसके फायदे
IIT दिल्ली और JNU ने मिलाया हाथ, अब साथ मिलकर करेंगे अनुसंधान; जानिए इसके फायदे

नई दिल्ली, जेएनएन। JNU and IIT join hands for research: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (आइआइटीडी) अब एक साथ मिलकर शिक्षण, शोध और तकनीक को विकसित करने के लिए एक साथ काम करेंगे। दोनों शिक्षण संस्थानों ने बृहस्पतिवार के दिन आइआइटी दिल्ली के परिसर में साझेदारी की है। जेएनयू के कुलपति प्रो एम.जगदीश कुमार और आइआइटी दिल्ली के निदेशक प्रो वी.रामगोपाल राव ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे दोनों शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे छात्र एवं शिक्षक एक साथ मिलकर शोध के प्रोजेक्ट में काम कर सकेंगे। साथ ही दोनों संस्थानों के छात्र, इनमें पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर सकेंगे।  

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सामाजिक महत्‍व से जुड़े होंगे शोध

जेएनयू के रेक्टर-2 प्रो एस.सी.गारकोटी ने बताया कि जेएनयू और आइआइटी दिल्ली के बीच साझेदारी होने से राष्ट्र और सामाजिक महत्व से जुड़े शोध और तकनीक को विकसित करने के लिए काम किया जाएगा। इससे दोनों शिक्षण संस्थानों में मौजूद शोध के उपकरणों का भी दोनों के छात्र उपयोग कर सकेंगे। 

यह होगा फायदा-

प्रो एस.सी.गारकोटी ने साझेदारी से होने वाले लाभ की विस्तृत जानकारी दी-

  1. जेएनयू और आइआइटी दिल्ली के प्रोफेसर एवं छात्र कई बड़े शोध पर काम कर रहे हैं। जिनमें कई केंद्र सरकार के भी प्रोजेक्ट शामिल हैं। अब दोनों संस्थानों के प्रोफेसर और छात्र इन शोध के प्रोजेक्ट में एक साथ काम कर सकेंगे। इससे शोध प्रोजेक्ट को मूरत रूप देने में भी दोनों संस्थानों के शोधकर्ताओं को फायदा मिलेगा।
  2. जेएनयू में शोध के लिए एडवांस इंस्ट्रूमेंटेशन रिसर्च फैसेलिटी (एआइआरएफ) के उपकरण की सुविधा है। जिसमें सभी प्रकार के शोध के लिए विशलेषण का काम किया जाता है। आइआइटी दिल्ली के शोधकर्ता इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। 
  3. दोनों शिक्षण संस्थानों के प्रोफेसर एक साथ अपने-अपने पीएचडी के छात्रों का शोध के प्रोजेक्ट में नेतृत्व कर सकेंगे। एक प्रोफेसर आइआइटी दिल्ली से होगा और दूसरा प्रोफेसर जेएनयू से होगा। 
  4. हर सेमेस्टर में दोनों शिक्षण संस्थानों के सभी छात्रों के लिए दो सेमिनार का आयोजन किया जाएगा। एक सेमिनार जेएनयू में तो दूसरा सेमिनार आइआइटी दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। 
  5. दोनों शिक्षण संस्थानों के छात्र इनमें पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम की भी पढ़ाई कर सकेंगे। जेएनयू में कई भाषाओं के कोर्स पढ़ाए जाते हैं। आइआइटी दिल्ली के इंजीनियरिंग के छात्र अगर यह कोर्स पढ़ाना चाहते हैं, तो वह इसे पढ़ सकेंगे और उन्हें इसके लिए सेमेस्टर में क्रेडिट भी मिलेगा। इसी तरह से जेएनयू के किसी भी पाठ्यक्रम के छात्र आइआइटी दिल्ली में पढ़ाए जा रहे कोर्सों की पढ़ाई कर सकेंगे। 
  6. दोनों शिक्षण संस्थानों के पुस्कालय का भी उपयोग कर सकेंगे। जेएनयू की पुस्तकालय में कई शोध जर्नल मौजूद हैं। साथ ही आइआइटी दिल्ली में भी शोध और शिक्षण से जुड़ी कई शानदार किताबें मौजूद हैं। इसका उपयोग दोनों के छात्र कर सकेंगे। 
  7. आइआइटी दिल्ली में सेंटर फॉर एटमसफेयरिग साइंसेज और सेंटर आॅफ एक्सिलेंस फॉर रिसर्च आॅन क्लीन एयर मौजूद है। इसमें जेएनयू के छात्र भी काम कर सकेंगे। 

छात्रों के साथ प्रोफेसरों को भी होगा फायदा

जेएनयू के कुलपति एम.जगदीश कुमार ने बताया कि जेएनयू और आइआइटी दिल्ली के बीच साझेदारी से अनुसंधान और शिक्षण में एक साथ कई तरह के प्रयास किए जाएंगे। इसका फायदा दोनों के छात्रों और प्रोफेसरों को मिलेगा। जेएनयू ने स्पेशल सेंटर फॉर नॉर्थ ईस्टर्न स्टडीज और स्पेशल सेंटर फॉर डिजास्टर रिसर्च की स्थापना की है। इन केंद्रों में हो रहे कार्यों से आइआइटी दिल्ली के छात्र भी जुड़ सकेंगे। आपदा प्रबंधन समेत कई तरह के शोध में दोनों संस्थान साथ मिलकर सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों में और नीतियों के निर्माण में भी सहयोग कर सकेंगे। 

दोनों जगह की अपनी-अपनी खूबियां

आइआइटी दिल्ली के निदेशक वी.रामगोपाल राव ने बताया कि IIT दिल्ली और जेएनयू की अपनी-अपनी खूबियां हैं। दोनों संस्थान के बीच साझेदारी से राष्ट्र निर्माण के लिए कई तरह की तकनीक विकसित करने की दिशा में काम किया जा सकेगा। आइआइटी दिल्ली की विशेषता नई तकनीक विकसित करने की है तो जेएनयू बॉयोलॉजी साइंस, ह्यूमेनिटी और सोशल साइंस के क्षेत्र में काफी मजबूत है। दोनों संस्थान के छात्र और शिक्षक एक साथ मिलकर कोई शोध के कार्यों में काम कर सकेंगे और नई तकनीक को विकसित कर सकेंगे, जिससे देश को भी फायदा मिलेगा। 

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