मौत का सेफ्टिक टैंक, सुरक्षा मानकों की अनदेखी से चली गई तीन जानें
सीवर के अंदर मीथेन और हाइड्रोजन सल्फाइड गैस होती है, लेकिन ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम होती है। इससे नीचे व्यक्ति का दम घुटने लगाता है और समय से बाहर नहीं निकल पाता।
नई दिल्ली [ निर्भय कुमार पाण्डेय ] । सीवर लाइन व सेफ्टिक टैंक की सफाई के दौरान हमेशा से लापरवाही बरती जाती है। यही मुख्य कारण है कि सफाई करते समय मजदूर काल के गाल में समा जाते हैं। लाजपत नगर में रविवार को भी निजी ठेकेदार ने यही लापरवाही बरती और मौके से फरार भी हो गया। घटना की सूचना आसपास के लोगों ने पुलिस को दी थी।
नगर निगम स्वच्छता कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष संजय गहलौत का कहना है कि सीवर की सफाई करते हुए मजदूर के पास गैस मॉस्क, गैस डिटेक्टर, ऑक्सीजन सिलेंडर, टॉर्च युक्त हेलमेट, कमर में बेल्ट (जिसमें रस्सी बंधी हो) और एक घुटने तक का गम बूट (जू्रता) होना आवश्यक है।
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ये सावधानियां कभी नहीं बरती जातीं और मजदूर हादसे का शिकार हो जाते हैं। कोर्ट भी मजदूरों द्वारा सफाई पर प्रतिबंध लगा चुकी है।
क्या हैं सुरक्षा के उपाय
गहलौत का कहना है कि फिलहाल सफाई मशीन इतनी तादाद में उपलब्ध नहीं है, जिसकी मदद से पूरी दिल्ली की सफाई हो सके। हालांकि, जागरूक सफाई कर्मचारी सीवर लाइन या फिर सेफ्टिक टैंक की सफाई करने से पहले माचिस की तिल्ली जलाकर मेन हॉल में डालते हैं।
यदि आग लग जाती है तो कुछ समय के लिए मजदूर रुक जाते हैं। कई मामलों में ठेकेदार अपने लाए हुए मजदूरों को पैसों का लालच देकर मेन होल में उतार देते हैं।
दम घुटने से होती है मौत
एक अधिकारी ने बताया कि सीवर के अंदर मीथेन और हाइड्रोजन सल्फाइड गैस होती है, लेकिन ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम होती है। इससे नीचे व्यक्ति का दम घुटने लगाता है और समय से बाहर नहीं निकल पाता। जब तक उसे बाहर निकाला जाता है, काफी देर हो चुकी होती है।
हादसे का जिम्मेदार कौन
जलमंत्री ने भले ही हादसे की जांच के आदेश दे दिए हों, लेकिन सवाल है कि इनका असली जिम्मेदार कौन है।
संबंधित विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और ठेकेदारों का लालच बेकसूर दिहाड़ी मजदूरों की मौत का कारण बनता है। इस मामले में भी दिल्ली जल बोर्ड ने सफाई का जिम्मा एक निजी ठेकेदार को दे दिया था जो कि घटना के बाद से फरार है।
पहले भी जान ले चुकी है जहरीली गैस
- 24 अगस्त 2015 : स्वरूप नगर इलाके में सेप्टिक टैंक में सफाई के लिए उतरे दो मजदूरों की जहरीली गैस की चपेट में आकर दम घुटने से मौत।
2- 15 जुलाई 2017 : वसंतकुंज के घिटोरनी गांव में फार्म हाउस के रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंक की सफाई के लिए उतरे मजदूरों में चार की जहरीली गैस की चपेट में आकर मौत, एक बेहोश।
सेफ्टिक टैंक में सुरक्षा के मानकों की अनदेखी