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3 लोगों की मौत से IAS कपल को लगी थी ठेस, पढ़िए- 23 देशों में कर रहे क्या अनूठा काम

1983 बैच की आइएएस अधिकारी दीपा बगाई अाैर अतुल बगाई संयुक्त राष्ट्र में तैनात हैं। अतुल यहां पर्यावरण संरक्षण के इंडिया हेड हैं, जबकि दीपा संयुक्त राष्ट्र में सलाहकार हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 08:44 PM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 08:47 PM (IST)
3 लोगों की मौत से IAS कपल को लगी थी ठेस, पढ़िए- 23 देशों में कर रहे क्या अनूठा काम

नई दिल्ली [ललित विजय]। बड़ा पद हमेशा बड़ी जिम्मेदारी लेकर अाता है। वह जिम्मेदारी समाज के प्रति हाे या पर्यावरण के प्रति। जिसे बखूबी इस अाइएएस दंपती ने समझा। 23 देशाें में पर्यावरण के लिए काम कर चुके अाइएएस अतुल बगाई अाैर दीपा बगाई काे कचरे में अाग से तीन लाेगाें की माैत ने इतना झकझाेरा कि उन्हाेंने देश काे कचरा मुक्त करने की ठानी। जिसकी शुरुअात अपने घर अाैर सेक्टर से की। इनके प्रयास से अाज सेक्टर- 47 में कचरे से जैविक खाद बन रही है, जिसे लाेगाें को बागवानी के लिए दिया जा रहा है। इस तरह से पर्यावरण ताे बच ही रहा है, लाेगाें काे राेजगार भी मिल रहा है।

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1983 बैच की आइएएस अधिकारी दीपा बगाई अाैर अतुल बगाई संयुक्त राष्ट्र में तैनात हैं। अतुल बगाई संयुक्त राष्ट्र संघ में पर्यावरण संरक्षण के इंडिया हेड हैं, जबकि दीपा बगाई संयुक्त राष्ट्र में सलाहकार हैं। दाेनाें मई 2018 में भारत अाए अाैर नाेएडा के सेक्टर-47 काे अपना अाशियाना बनाया। इसी बीच उनके पास दिल्ली से एक खबर अाई, जिसमें पता चला कि कूड़े में अाग लगने से अॉटाे से जा रहे तीन लाेगाें की जान चली गई। इस खबर ने इस अाइएएस दंपती काे झकझाेर दिया।

इससे अाहत दाेनाें ने निर्णय लिया है कि वह पूरी दुनिया काे पर्यावरण के लिए जागरूक करेंगे। इस बाबत उन्हाेंने पर्यावरण संरक्षण के लिए सबसे पहले अपने सेक्टर से काम प्रारंभ करने की ठानी। इसके लिए सेक्टर में रहने वाली महिलाओं काे जाेड़कर ‘ग्रीन क्रूसेडर्स’ (हरियाली के लिए धर्मयोद्धा) नाम से ग्रुप बनाया गया। इसमें आइएएस अधिकारी महिला से लेकर डॉक्टर, इंजीनियर, आर्किटेक्ट व प्राइवेट कंपनियों में कार्यरत महिलाएं भी हैं। कई हाउस वाइफ भी हैं।

सभी की अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है। ये रोजाना सुबह सबसे पहले अपने घर से ही निकलने वाले कूड़े को अलग-अलग कर देती हैं। सूखा व गीला कूड़े को अलग करती हैं। इसके बाद सभी कूड़े को एकत्र करके सेक्टर के एक ही पार्क में मशीन से कंपोस्ट खाद बना दी जाती है। इस तरह रोजाना करीब 1200 किलोग्राम निकलने वाले कूड़े से जैविक खाद बना दिया जाता है और इसमें से सिर्फ 10-20 फीसदी ही अतिरिक्त कूड़ा बचता है जिसे बाहर नोेएडा प्राधिकरण को देना पड़ता है। पिछले करीब 8 महीने से शुरू की गई इस प्रक्रिया से निकलने वाले खाद काे फिर सेक्टर के लाेगाें काे 10 रुपये प्रति किलाे बेचा जाता है। सेक्टर के लाेग इस जैविक खाद का इस्तेमाल अपनी बागवानी के लिए करते हैं।

सेक्टर हुअा स्वच्छ 50 काे मिला राेजगार

‘ग्रीन क्रूसेडर्स’ ने कचरा से खाद बनाने का प्लांट लगाने के लिए सेक्टर में चंदा किया। कुल दस लाख रुपये एकत्र हुए। फिर कचरे से खाद बनाने के लिए लगभग सात लाख की मशीन खरीदी गई। साथ ही इस पूरी प्रक्रिया में पचास लाेगाें काे राेजगार दिया गया। इस प्लांट में पंद्रह दिन के अंदर करीब अाठ साै किलाे खाद निकलती है। 

ग्रीन क्रूसेडर्स ग्रुप को शुरू करने में अहम भूमिका निभाने वाली 1983 बैच की आईएएस अधिकारी दीपा बगाई हैं। वह संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में एडवाइजर पद पर कार्यरत हैं। वह दुनिया के कई देशों में भी काम कर चुकी हैं।

महिलाअाें की अलग-अलग भूमिका

‘ग्रीन क्रूसेडर्स’ की महिलाअाें के पास अलग-अलग काम हैं। कचरे से खाद बनाने की पूरी याेजना पर मधु सरन काम करती हैं। वह सेक्टर-47 में माैजूद सभी 900 घराें की महिलाअाें से संपर्क में रहती हैं। उन्हें कूड़ा अलग-अलग करने के बारे में बताती हैं। साथ ही प्लास्टिक कूड़े काे अलग रखा जाता है। उसे री-साइकिल के लिए भेजा जाता है।

अब किसानों को जैविक खाद देने के लिए शुरू की मार्केट

ग्रीन क्रूसेडर्स ग्रुप सिर्फ नोएडा ही नहीं, बल्कि अब दिल्ली व एनसीआर के लोगों को भी अपने घर के आसपास के वातावरण को स्वच्छ बनाने के लिए जागरूक करे रहे हैं। इस ग्रुप काे नाेएडा प्राधिकरण का भी सहयाेग मिला है। सेक्टर में हर रविवार को मेला भी लगाया जाता है, जिसमें किसानों को खाद बनाने के बारे में जागरूक किया जाता है। साथ ही उनसे अार्गेनिक सब्जियां लेकर उसका बाजार लगाया जाता है।

प्लास्टिक के बर्तन पर राेक बना लिया ‘बर्तन बैंक’

‘ग्रीन क्रूसेडर्स’ ने सेक्टर में हाेने वाले अायाेजनाें में प्लास्टिक बर्तनाें पर भी राेक लगा दी है। ग्रुप की सदस्य साेनिया तायन ने बर्तन बैंक बनाया है। इसमें सैकड़ों की संख्या में स्टील के बर्तन हैं। सेक्टर में जिसके घर पर जब कभी किसी कार्यक्रम का अायाेजन हाेता है, वह स्टील के बर्तन मुफ्त में इस्तेमाल के लिए ले जाते हैं। फिर इस्तेमाल के बाद उसे धाेकर वापस कर देते हैं।


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